October 22, 2008
विवाह और दुल्हन का जिक्र होते ही लोगों के जेहन में गहने-जेवर का ख्याल जरूर आता है जो हकीकत भी है। लेकिन समय के साथ लगता है अब यह हकीकत बदलने वाली है।
सोने की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी का असर देखिए कि अब दुल्हनें शादी में सोने की बजाय नकली जेवर पहनने की तैयारी कर रही हैं। कोलकाता की एक फैशन डिजाइनर आशिमा लाहिड़ी, जिनकी शादी दिसंबर में होने वाली है, का कहना है कि सोने की कीमतों के रिकॉर्ड को देखते हुए नकली जेवर पहना ही समझदारी है क्योंकि इसमें महज 10 फीसदी का खर्च ही आता है। उन्होंने कहा कि सोने की कीमत इस समय बहुत ज्यादा है। इतना कि इसे छूना भी महंगा पड़े। लाहिड़ी कहती हैं कि वे अपने गहने पर 1.6 लाख रुपये खर्च करने की बजाय 15 हजार रुपये का नकली जेवर पहनना समझदारी का काम मानती हैं। ऐसा नहीं कि लाहिड़ी ऐसी सोच रखने वाली एकमात्र इंसान हैं। कई और लोग भी इस समय नकली जेवर की ओर रुख कर रहे हैं। दुनिया में सबसे अधिक सोने की खरीद करने वाले भारतीय होते हैं। वैश्विक आर्थिक संकट और डॉलर की तुलना में रुपये की कमजोरी ने कुछ दिन पहले सोने को 13,800 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार भेज दिया। दो-तीन साल पहले की तुलना में तो सोने की कीमत अब लगभग दोगुनी हो गई है। हाल ये है कि कई लोग जरूरत के बावजूद सोने की खरीद की योजना रद्द कर रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि शादी का सीजन अब माथे पर है पर ऊंची कीमत के चलते परंपरागत गहने लोगों की पहुंच से दूर हो चुके हैं। ऐसे में लोग शादी-विवाह के लिए भी नकली गहने-जेवर खरीद रहे हैं। डिजाइनरों का कहना है कि वास्तविक गहनों के मुकाबले चांदी और पीतल पर सोने के पानी चढ़े और रत्नजड़ित इन आभूषणों की लागत काफी कम होती है। इन्होंने बताया कि उनके पास शादी के जोड़े से मेल खाते नकली गहनों का डिजाइन करने के काफी प्रस्ताव आ रहे हैं। मुंबई स्थित सिया लाइफस्टाइल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक फैशन ज्वेलरी स्टोर के मार्केटिंग प्रमुख रोली मल्होत्रा ने बताया कि लोग ऊंची कीमतों के चलते सोने की खरीदारी से बच रहे हैं। दूसरी ओर नकली गहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है।सोने के अंतरराष्ट्रीय हाजिर भाव में इस साल 6 फीसदी की कमी हुई है। रॉयटर्सजेफ्रीज का सीआरबी सूचकांक तो इस महीने 18 फीसदी गिर गया है जो पिछले 52 साल की सबसे ज्यादा गिरावट है। इसके बावजूद देश में इस साल सोने की कीमत में अब तक 14 फीसदी का उछाल आ चुका है। जानकारों के मुताबिक, इसकी मुख्य वजह डॉलर की तुलना में रुपये का करीब 20 फीसदी कमजोर होना है। हैदराबाद स्थित ग्लोबल फाइनांशियल मार्केट के निदेशक भारत रेकापल्ली कहते हैं कि देसी खरीदारों और खुदरा मांग दोनों के लिए मौजूदा स्थिति तकलीफदेह है। दिवाली जैसे त्योहारों के चलते एक सामान्य सी परंपरा बन चुकी है कि साल की दूसरी छमाही में सोने की मांग बढ़ती है। इसी समय शादी-विवाह के लिए भी खरीदारी शुरू हो जाती है पर इस साल यह परंपरा टूट रही है। रेखा मखीजा ने बताया कि वे अपनी बेटी की शादी के लिए गहनों के तीन सेट खरीदने की सोच रही थीं लेकिन खरीदा केवल दो सेट। मखीजा का कहना है कि नया और फैशनेबल गहना खरीदतीं तो ज्यादा अच्छा होता। महंगाई के चलते अब उनकी योजना है कि अपने आभूषणों में से कुछ अपनी बेटी को दे दिया जाए। यही हाल कमोबेश सबका है। कोई या तो जरूरत कम कर ले रहा है तो कोई नकली डिजाइनर गहनों पर अपना दिमाग लगा रहा है। (BS Hindi)
23 अक्तूबर 2008
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