कोलकाता October 27, 2008
वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिकांश सेक्टर का रुख अपने सहयोगियों की गतिविधियों पर निर्भर करता है, लेकिन भारतीय चाय उद्योग इसका अपवाद बनता दिख रहा है।
पूरी दुनिया में चाय की कीमतों में कमी हो रही है पर भारतीय चाय में तेजी लगातार तेजी हो रही है। ऐसा चाय की घरेलू मांग में जोरदार बढ़ोतरी के चलते हो रहा है। मालमू हो कि चाय उत्पादन में भारत के प्रतिद्वंद्वी रहे श्रीलंका और कई अफ्रीकी देशों में चाय की कीमतें लगातार नीचे की ओर जा रही हैं। भारतीय चाय उद्योग के अध्यक्ष आदित्य खेतान के मुताबिक, सितंबर महीने में चाय ने 101.83 रुपये प्रति किलो के स्तर को छू लिया जो पिछले साल की समान अवधि में 67.48 रुपये प्रति किलो पर थी। खेतान ने कहा कि हालांकि अभी चाय अपने रिकॉर्ड स्तर से नीचे उतर आया है। लेकिन उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इसमें एक बार फिर तेजी आएगी। उन्होंने आगे कहा कि चाय की खपत में होने वाली यह बढ़ोतरी घरेलू मांग के चलते होगी। खेतान ने कहा कि खराब मौसम के चलते इस बार चाय का उत्पादन पिछले साल से कम रहने की उम्मीद है। गौरतलब है कि असम के ऊपरी इलाकों में पहले ही चाय का उत्पादन गिर चुका है। खेतान ने यह भी कहा कि रूस और पाकिस्तान जैसे चाय आयातक देशों की आर्थिक स्थिति खराब होने और कच्चे तेल की कीमतों में हुई गिरावट का भारतीय चाय की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वह इसलिए कि घरेलू मांग में ही ज्यादा वृद्धि हुई है।गौरतलब है कि देश में चाय की सालना मांग 3 फीसदी की दर से बढ़ रही है। अप्रैल से जून के बीच उत्तर भारतीय चाय की कीमत पिछले साल के 75.27 रुपये प्रति किलो की तुलना में 95.21 रुपये प्रति किलो तक चली गई थी। (BS Hindi)
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