कानपुर October 23, 2008
उत्तर प्रदेश के 'आलू क्षेत्र' में आलू और उसके साथ उगाई जाने वाली फसलें जैसे सरसों आदि की समय से बुआई उर्वरक की भरी कमी के कारण प्रभावित हो सकती है।
इस क्षेत्र के हजारों किसानों को आवश्यक परिमाण में डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और यूरिया खरीदने में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस क्षेत्र के कई जिलों में पिछले सप्ताह पीड़ित किसानों द्वारा कम से कम आधा दर्जन प्रदर्शन की घटनाएं हुईं और पुलिस तथा पीएसी के जवानों द्वारा उन पर लाठी चार्ज किया गया। बाजार में मंदी आने की वजह से किसानों को पहले ही घाटा उठाना पड़ रहा है और डीएपी के बदले उन्हें पुलिस की लाठी खाने को मिली। भारतीय किसान संघ के सचिव केशव सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि खेतिहर कालाबाजारी करने वालों तथा अवैध भंडार रखने वालों द्वारा तय किए गए अत्यधिक कीमतों पर डीएपी खरीदने के लिए बाध्य हैं। सिंह के अनुसार, सहकारी समितियां और बिक्री केंद्र मांग की केवल 20 प्रतिशत पूरी करने में सक्षम हैं जबकि शेष की पूर्ति खुले बाजार से की जाती है जिसका नियंत्रण अवैध भंडार रखने वाले के हाथों में है।मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर इतना अधिक है कि वितरण होने वाले दिन के एक दिन पहले से आधी रात से कतार में खड़े होने के बावजूद खेतिहरों को खाली हाथ लौटना पड़ता है। फर्रुखाबाद और उरई में खेतिहरों की असंतुष्टि सड़क-जाम और हड़तालों के रुप में सामने आई। इस घटना में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई से तकरीबन 20 खेतिहर घायल हो गए थे। (BS Hindi)
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