अहमदाबाद October 27, 2008
केंद्रीय कपड़ा मंत्री शंकरसिंह वाघेला को उम्मीद है कि कपड़ा उद्योग में कुछ महीने के भीतर तेजी आएगी।
ऐसे में उन्होंने किसानों को सुझाव दिया है कि वे जनवरी 2008 तक कपास का भंडार बनाए रखें। अहमदाबाद में एक कार्यक्रम में वाघेला ने कहा कि इस बार भारतीय कपास निगम (सीसीआई) अब तक के सर्वाधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से कपास की खरीदारी कर सकती है। ऐसे में बेहतर होगा कि अच्छी कीमतें प्राप्त करने के लिए किसान कपास का भंडार जनवरी 2009 तक सुरक्षित बनाए रखें।वाघेला ने कहा कि मेरी किसानों से अपील है कि वे कुछ महीनें और इंतजार करें ताकि उद्योग के संतुलित होने के बाद सीसीआई और बाजार से उत्पादों की अच्छी कीमतें मिल सकें।उन्होंने कहा कि हमारा विश्वास है कि जनवरी 2009 में कपास की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। वाघेला ने स्वीकार किया कि वैश्विक मंदी खास तौर से पश्चिमी देशों की मंदी का कपड़ा उद्योग पर प्रभाव पड़ा है। वाघेला ने बताया कि आर्थिक मंदी से निर्यात भी प्रभावित हुआ है। वाघेला के मुताबिक, वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच पश्चिमी देशों के वस्त्र और परिधानों के आयात में कमी हुई है। इस कारण भारत से होने वाले निर्यात में पिछले कुछ समय से कमी देखने को मिली है।खैर ऐसी स्थिति छह महीने से ज्यादा नहीं चलेगी और बहुत जल्द बाजार में मजबूती आएगी। ऐसे में कपास का निर्यात भी बढ़ने की संभावना है।पश्चिमी देशों की ओर से मांग कम होने के बारे में वाघेला ने कहा कि पिछले दिनों में कोई नया डिजाइन तैयार नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, 'पश्चिमी देशों का कम आयात ही नहीं बल्कि नये डिजाइनों की मांग का न होना भी हमारे लिए चिंता का सबब है।' साल 2007-08 में देश में 315 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था जबकि उम्मीद है कि 2008-09 में कपास के 330 लाख गांठों का उत्पादन होगा। पिछले साल की उत्पादकता 300 से 400 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी जबकि इस वर्ष उत्पादकता का राष्ट्रीय औसत 600 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रहा है। गुजरात में तो कपास की उत्पादकता 750 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही है। (BS Hindi)
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