नई दिल्ली October 29, 2008
उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों में गन्ने की पेराई नवंबर के तीसरे सप्ताह से शुरू होगी। इस विलंब के लिए मिलों ने गन्ने की गुणवत्ता की कमी और विशेषज्ञों ने अधिक राज्य समर्थित मूल्य को जिम्मेदार ठहराया है।
उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि चीनी मिलें नवंबर के तीसरे हफ्ते से पेराई का काम शुरू करेंगी। मिलों के मुताबिक, आम तौर पर अक्टूबर में शुरू होने वाली पेराई में विलंब की मुख्य वजह गन्ने की गुणवत्ता है जो मध्य उत्तर प्रदेश में बैमौसम बारिश तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कम वर्षा के कारण प्रभावित हुई है। अधिकारी ने कहा कि गन्ने से चीनी प्राप्ति की दर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। सांविधिक न्यूनतम मूल्य अथवा समर्थित मूल्य तब भुगतान योग्य है जब गन्ने पर प्राप्ति की दर न्यूनतम नौ प्रतिशत की हो। इसका मतलब हुआ कि प्रति क्विंटल गन्ने पर कम से कम नौ किलो चीनी का उत्पादन होना चाहिए। अगर प्राप्ति की दर अधिक हो तो किसानों को गन्ने की कीमतें अच्छी मिल जाती हैं। उद्योग सूत्रों ने कहा कि चालू सत्र में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने से चीनी प्राप्ति की दर पिछले साल के मुकाबले एक से डेढ़ प्रतिशत कम होगी। 2007-08 (अक्तूबर से सितंबर) के दौरान इस क्षेत्र में प्राप्ति की दर 9 से 9.5 प्रतिशत थी। विशेषज्ञों का कहना है कि पेराई में विलंब की मुख्य वजह प्राप्ति दर नहीं बल्कि राज्य समर्थित मूल्य का अधिक यानी 140 रुपये प्रति क्विंटल होना है, जिसका निर्धारण उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया गया है। एक प्रमुख चीनी कंपनी के अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश की मिलों को अदालत से कुछ छूट प्राप्त होने की उम्मीद है, इसलिए वे गन्ने की पेराई में विलंब कर रही हैं। पिछले हफ्ते उद्योग सूत्रों ने कहा था कि मिलें नवंबर में उच्च न्यायालय जाएंगी जहां सरकार के राज्य समर्थित मूल्य को चुनौती दी जाएगी। (BS Hindi)
30 अक्तूबर 2008
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