नई दिल्ली October 21, 2008
गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) बढ़ाकर 140 रुपये करने के राज्य सरकार के निर्णय से असहमति जताते हुए उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों ने कोर्ट का निर्णय आने तक पेराई कार्य स्थगित करने का निर्णय किया है।
राज्य के चीनी उद्योग के इस फैसले से किसानों की मुश्किलें सुलझने की बजाय और बढ़ गयी हैं।उल्लेखनीय है कि 18 अक्टूबर को राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि मौजूदा सीजन (2008-09) में गन्ने की एसएपी 140 रुपये प्रति क्विंटल होगी। राज्य सरकार के इस निर्णय से असहमत चीनी मिलों ने कहा है कि इस संबंध में न्यायालय का निर्णय जब तक नहीं आ जाता तब तक वे इस सीजन में पेराई कार्य स्थगित रखेंगे। मिलों के इस निर्णय के बाद किसानों के माथे पर बल पड़ गए हैं। गन्ने के बाद गेहूं की खेती करने वाले किसान इस बात से परेशान हैं कि पेराई न होने पर खेत कैसे खाली हो पाएंगे! और खेत खाली न हुआ तो गेहूं की खेती संभव नहीं है। ऐसे में गन्ना उत्पादकों को तगड़ा नुकसान होने की आशंका है। जानकारों का मानना है कि ऐसी स्थिति में कम कीमत पर गन्ने की बिक्री का गुड़ निर्माताओं का दबाव किसानों के ऊपर आ जाएगा। फिलहाल राज्य की गुड़ इकाइयां प्रति क्विंटल गन्ने के बदले 100 से 110 रुपये अदा कर रही हैं। गौरतलब है कि राज्य की गुड़ इकाइयों ने पिछले दो सीजन से लगातार गन्ने की एसएपी तय करने के लिए न्यायालय का सहारा लिया है। और दोनों ही बार सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा तय की गई एसएपी से नीचे जाकर कीमत तय की है। चीनी मिलों के एक अधिकारी के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा निर्धारित एसएपी का भुगतान करना लगभग असंभव है। फिलहाल हमारा संगठन इस बारे में कानून विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा कर रहा है और जल्द ही इस संबंध में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की जाएगी। राज्य की सभी चीनी मिलों ने एक स्वर से कहा है कि यदि 140 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान किया गया तो तय है कि मिलों को नुकसान होगा। पिछले साल की तुलना में इस बार की एसएपी 30 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा है।इस बीच एसएपी की घोषणा के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में इन मिलों के शेयर सालभर के न्यूनतम स्तर तक पहुंच गए हैं। हालांकि सोमवार को शेयर बाजार में 247 अंको का उछाल हुआ फिर भी ये मिल सर्वाधिक नुकसान वाली कंपनियों की फेहरिश्त में शामिल रहे। बलरामपुर चीनी के शेयरों में 12.67 फीसदी और बजाज हिंदुस्तान में 8.67 फीसदी की गिरावट देखी गयी। कार्वी कॉमट्रेड के विश्लेषक विक्रम सूर्यवंशी ने बताया कि राज्य के चीनी उद्योग के लिहाज से सरकार द्वारा घोषित यह एसएपी निश्चित तौर पर बहुत नकारात्मक है। ऐसी हालत में उद्योग गन्ने का भाव पुनर्निर्धारित करने के लिए कोर्ट का सहारा ले सकता है। सूर्यवंशी के मुताबिक 140 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान करने की स्थिति में ये इकाई कतई नहीं हैं। राज्य में फिलहाल चीनी का एक्स-फैक्टरी भाव 1,750 रुपये प्रति क्विंटल है। इस बार चीनी का उत्पादन 17 फीसदी गिरकर 2.2 करोड़ टन तक पहुंचने के आसार हैं फिर भी उम्मीद है कि चीनी की कीमत 1,800 रुपये प्रति क्विंटल के पार नहीं जाएगी। चीनी की कीमतों में कमी का रुख वैश्विक स्तर भी है। एथेनॉल की मांग भी कच्चे तेल के लुढ़कने से कम हो गयी है लिहाजा उद्योग जगत के पास कीमतों में बढ़ोतरी की गुंजाइश बहुत ही कम है। (BS Hindi)
22 अक्तूबर 2008
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