27 अक्तूबर 2008
वैव्श्रिक भाव कम होने से मक्के में निर्यात मांग का अभाव
केंद्र सरकार द्वारा मक्के पर निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा लेने के बावजूद इसका निर्यात जोर नहीं पकड़ा पा रहा है। जिसका असर घरलू बाजारों में इसके कारोबार पर पड़ रहा है। वैव्श्रिक बाजारों में मक्के की कीमतों में आई गिरावट की वजह से इस साल मध्य अक्टूबर के बाद से गुजरात, राजस्थान और आंध्रप्रदेश की मंडियों में आढ़तिए भी बड़े सौदे करने से बच रहे हैं। भीलवाड़ा में मक्का के ब्रोकर विरेंद्र के मुताबिक मौजूदा समय में मक्के में निर्यातकों की मांग बिल्कुल नहीं है। लिहाजा कोई आढ़तिया माल उठाने से भी परहेज कर रहा है। ऐसे में मांग कम रहने की वजह से मंडियों में मक्के का भाव केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे चल रहा है। पिछले सप्ताह कोटा मंडी में मक्का करीब 750 रुपये प्रति `िंटल बिका। जबकि केंद्र सरकार ने इस साल मक्के का 840 रुपये क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। देश के दूसर हाजिर बाजारों मंे भी मक्का 750-835 रुपये `िवंटल के स्तर पर कारोबार कर रहा है। दरअसल इस साल अमेरिका में मक्के के उत्पादन में हुई बढ़त की वजह से वैव्श्रिक कीमतों में गिरावट आई है। मक्के के कारोबार पर कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का भी असर देखा जा रहा है। इस साल जुलाई के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में करीब 83 डॉलर की गिरावट हो चुकी है। जानकारों के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी की वजह से बायोफ्यूल की मांग बढ़ने को लेकर हो रही सट्टेबाजी में भी कमी आई है। पिछले सप्ताह शुक्रवार को शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में मक्का दिसंबर वायदा करीब साढ़े चार फीसदी की गिरावट के साथ 3.7275 डॉलर प्रति बुशल पर कारोबार किया। जुलाई में इसका भाव सात डॉलर प्रति बुशल से ऊपर था। घरलू बाजारों में कारोबारियों का कहना है कि रुपये के मुकाबले डॉलर में आई मजबुती से निर्यातकों को मुनाफा हो सकता था। लेकिन वैव्श्रिक बाजारों में तुलनात्मक रुप से कीमतें करीब 10-15 फीसदी नरम होने की वजह से निर्यात मांग नहीं के बराबर है। मौजूदा समय में अमेरिकी बंदरगाहों पर मक्के का एफओबी भाव भारतीय रुपये में करीब 740 रुपये प्रति `िंटल चल रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले सीजन के दौरान वैव्श्रिक बाजारों में बेहतर दाम मिलने से भारत से करीब 30 लाख टन मक्के का रिकॉर्ड निर्यात हुआ था। ऐसे में घरलू बाजाराें में मक्के का भाव एक हजार रुपये प्रति `िंटल के उच्च स्तर तक चला गया था। लेकिन अब निर्यात नहीं हरो पाने की वजह से कीमतें काफी नीचे चल रही हैं। ऐसे में चालू सीजन के दौरान यहां से होने वाले निर्यात में काफी गिरावट होने की आशंका जताई जा रही है। जानाकारों के मुताबिक ऐसे में चालू सीजन के दौराना यहां से करीब 10-15 लाख टन मक्के का निर्यात हो सकता है। (Business Bhsakar)
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