25 अक्टूबर 2008
खाद्य तेलों के आयात पर बढ़ सकता है शुल्क
सोयाबीन के दामों में भारी गिरावट से किसानों को हो रहे नुकसान को देखते हुए सरकार खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क में बढ़ोतरी कर सकती है। किन्तु चावल की रिकार्ड पैदावार होने के बावजूद गैर बासमती के निर्यात पर लगी रोक हटाने की कोई योजना नही है। कृषि मंत्री ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि खाद्य तेलों के दामों में जारी भारी गिरावट को देखते हुए सरकार दिवाली के बाद खाद्य तेलों पर आयात शु्ल्क बढ़ाने पर विचार करेगी। खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए इस साल अप्रैल में सरकार ने कच्चे खाद्य तेलों पर आायत शुल्क शून्य कर दिया था। साथ ही रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क घटा कर 7.5 फीसदी किया था। उन्होने कहा कि यदि सोयाबीन के दामों न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आते है तो सरकार इसकी खरीद कर सकती है। केन्द्र सरकार ने 2008-09 के लिए सोयाबीन का एमएसपी 1300 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। इस समय इंदौर में सोयाबीन के दाम 1500-1700 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर है। पवार ने कहा कि खाद्य तेलों के निर्यात पर लगी रोक को हटाने पर विचार हो रहा है। गुजरात से किसानों का प्रतिनिधि मंडल मूंगफली के निर्यात पर लगी रोक को हटाने की मांग लेकर मिला था। उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों के दामों में भारी गिरावट के बावजूद सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत इनका वितरण जारी रहा जायेगा। गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगी रोक को हटाने के बारे में कृषि मंत्री ने कहा कि फिलहाल रोक हटाने का कोई विचार नही है। किन्तु सरकार इस बारे में विचार कर रही है कि विश्व व्यापार में भारतीय बासमती चावल की हिस्सेदारी में कोई कमी न आए। इसके लिए बासमती चावल पर लगे निर्यात शुल्क में कमी कर सकती है। (Business Bhaskar)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें