27 अक्तूबर 2008
पंजाब में कॉटन का भाव एमएसपी ने नीचे
पंजाब के कॉटन किसानों को अपने उत्पाद न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे के भाव पर बेचना पड़ रहा है। कॉटन कापरेरशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) द्वारा पर्याप्त मात्रा में खरीद नहीं कर पाने की वजह से राज्य के किसान मंडी के बिचौलियों के हाथों सस्ती दरों पर कॉटन बेच रहे हैं। मानसा में कॉटन के किसान हरबिंदर सिंह ने बताया कि सरकारी खरीद के अभाव में क्षेत्र के किसान मंडी के बिचौलियों से को कॉटन बेच रहे हैं। किसानों के बीच आने वाले दिनों में कॉटन के भावों मंे और गिरावट होने से जुड़ी अफवाहें फैलाई जा रही है। श्री सिंह ने बताया कि पिछले दो दिनों से वे मंडी में सीसीआई को कॉटन बेचने का इंतजार करते रहे, लेकिन अंत में उन्हें कारोबारियों के हाथों अपने उत्पाद को 2750 रुपये `िंटल पर बेचना पड़ा। जबकि सरकार ने इस साल कॉटन का 2800 रुपये प्रति `िंटल एमएसपी तय किया है। एक अन्य किसान जो किराए पर ट्राली लेकर मंडी में कॉटन बेचने का इंतजार कर रहे हैं, उन्हें अभी अपनील बारी आने का इंतजार है। कई किसान यहां पिछले तीन-चार दिनों से अपनी बारी आने का इंताजर कर रहे हैं। इस दौरान सीसीआई ने ऐसी शिकायतों से इनकार किया है। सीासीआई के क्षेत्रीय अधिकारी के के धीर के मुताबिक राज्य में इस साल करीब 90 फीसदी खरीद हो चुकी है। हालांकि खरीद केंद्रों पर आवक बढ़ने की वजह से गुणवत और मात्रा नापने में मामूली तौर पर समस्या जरुर आई है। उन्होंने बताया कि किसानों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए कम से कम दो दिनों का इंताजर करना पड़ सकता है। मानासा के मार्के कमेटी के सचिव जरनैल सिंह ने बताया कि यह बात सही है कि आवक बढ़ने पर कॉटन की गुणवत्ता और मात्रा को नापने में परशानी हो रही है। इस वजह से किसानों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए कुछ ज्यादा दिनों का इंतजार करना पड़ रहा है। हालांकि इसके बावजूद मानासा में सीसीआई ज्यादातर कॉटन की खरीद कर चुकी है। अब यह सीासीआई करीब 1.3 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) कॉटन की खरीद कर चुकी है। उल्लेखनीय है कि इस साल देश भर में करीब 3.25 करोड़ गांठ कॉटन का उत्पादन होने की संभावना है। (Business Bhaskar)
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