नई दिल्ली October 30, 2008
सरकारी एजेंसियों ने 29 अक्टूबर तक 10 लाख क्विंटल कपास की खरीद कर ली है।
चूंकि हाजिर बाजार में कपास की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे उतर आई है, लिहाजा कपास उगाने वाले किसान सरकारी एजेंसियों का रुख कर रहे हैं।कपास खरीद की नोडल एजेंसी भारतीय कपास निगम से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, 29 अक्टूबर तक 9.87 लाख क्विंटल कपास की खरीद हो चुकी है। कपड़ा मंत्रालय के संयुक्त सचिव जे. एन. सिंह ने कहा कि कपास की खरीद जोरों पर है क्योंकि हाजिर बाजार में कपास की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चली आई है।चूंकि किसान कपास बेचने के इच्छुक हैं, लिहाजा कपास की खरीद अपने रफ्तार से चल रही है। सरकार ने हाल ही में कपास के एमएसपी में अच्छा खासी बढ़ोतरी की है। स्टैंडर्ड कपास (लॉन्ग स्टेपल) का एमएसपी बढ़ाकर 2008-09 के लिए 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है जो पहले 2030 रुपये प्रति क्विंटल था।मीडियम स्टेपल कपास का एमएसपी 1800 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा - चूंकि सरकारी एजेंसियों के पास कपास बेचने से किसानों को बाजार के मुकाबले ज्यादा रकम मिल रही है, लिहाजा उम्मीद है कि मार्च तक कपास की खरीद का आंकड़ा 100-125 लाख क्विंटल तक पहुंच जाएगा। पिछले सीजन में 27.5 लाख गांठ (एक गांठ = 170 किलो) कपास की खरीद हुई थी। भारतीय कपास निगम ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में कुल 252 खरीद केंद्र की स्थापना की है। निगम ने कहा कि अब तक सबसे ज्यादा खरीद पंजाब में हुई है जहां किसानों ने 24 अक्टूबर तक कुल 5.44 लाख क्विंटल कपास की बिक्री की। इसके बाद आंध्र प्रदेश के किसानों ने 1.83 लाख क्विंटल और राजस्थान के किसानों ने 53 हजार क्विंटल कपास की बिक्री की।कपास की मशहूर किस्म जे-34 की कीमत पंजाब के हाजिर बाजार में 2688-2805 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि किसानों को निगम 2800 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान कर रहा है। राजस्थान में जे-34 किस्म की कीमत 2548-2679 रुपये प्रति क्विंटल है। सरकारी अनुमान के मुताबिक, 2008-09 में कपास का उत्पादन 320 लाख गांठ रहेगा जबकि पिछले साल यह 315 लाख गांठ था। (BS Hindi)
31 अक्तूबर 2008
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