27 अक्टूबर 2008
खाद्य तेल आयात शुल्क पर उद्योग जगत में मतभेद
खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बदलाव के मसले पर उद्योग जगत में दो राय देखा जा रहा है। भारतीय वनस्पति उत्पादक संघ के मुताबिक क्रूड पाम तेल के आयात शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए। जबकि सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सभी तरह के खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़त की मांग किया है। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह केंद्रीय कृ षि मंत्री शरद पवार ने दिवाली के बाद खाद्य तेलों के आयात शुल्क की समीक्षा करने का संकेत दिया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक सरकार खाद्य तेतों के आयात पर कर लगा सकती है। ऐसे में भारतीय वनस्पति उत्पादक संघ ने वित्त मंत्री और कृषि मंत्री को पत्र लिख कर क्रूड पाम तेल और क्रूड सोयाबीन तेल के आयात शुल्क यथावत रखने की मांग किया है। उल्लेखनीय है कि इस साल बढ़ती महंगाई का हवाला देकर अप्रैल में केंद्र सरकार ने क्रूड खाद्य तेलों के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया था। जबकि रिफाइंड तेल के आयात शुल्क को घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया गया था। भारतीय वनस्पति उत्पादक संघ के मुताबिक केंद्र सरकार को आम उपभोक्ताओं और उद्योग जगत के लिए डयूटी में किसी तरह का बदलाव नहीं करना चाहिए। जबकि एसईए के मुताबिक वैव्श्रिक बाजारों से सस्ते तेलों के आयात से घरलू बाजरों में तिलहनों के दाम में काफी गिरावट हो चुकी है। लिहाजा सरकार को किसानों की भलाई के लिए आयात शुल्क बढ़ाना चाहिए। एसईए के अध्यक्ष अशोक सेतिया द्वारा वित्त मंत्री और कृषि मंत्री को भेजे गए प्रेजेंटेशन के मुताबिक सरकार यदि जल्द से जल्द कदम नहीं उठाती है तो आने वाले महीनों में सोयाबीन और मूंगफली की कीमतें समर्थन मूल्य से भी नीचे आ सकती हैं। ऐसे में खाद्य तेलों के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने, तिलहनों पर लगे स्टॉक लिमिट और इसके वायदा कारोबार पर लगे प्रतिबंध को भी हटाने की मांग की कई है। सेतिया ने बताया कि मौजूदा समय में घरलू बाजारों में सोयाबीन का भाव 1525-1550 रुपये क्ंिवटल चल रहा है। इसमा एमएसपी 1390 रुपये `िंटल है। वहीं मूंगफली का भाव भी घटकर 2250 रुपये `िंटल आ गया है। इस दौरान वनस्पति उत्पादक संघ की दलील है कि वैव्श्रिक बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतों में आई गिरावट का ज्यादा असर घरलू कारोबार पर नहीं पड़ा है। वैव्श्रिक बाजारों में क्रूड पाम तेल की कीमतों में करीब 56 फीसदी की गिरावट आने से यह घटकर 507 डॉलर प्रति टन और सोया तेल के भाव में 35 फीसदी की गिरावट होने से यह करीब 860 डॉलर प्रति टन पर आ गया है। जबकि घरलू बाजारों में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान सोयातेल के भाव में महज 5.7 फीसदी की गिरावट होने से यह 4900 रुपये `िंटल है। मूंगफली और सूरजमुखी तेल के भाव में भी क्रमश: 7.6-9.6 फीसदी की गिरावट हुई है। वहीं सरसों तेल के भाव में करीब 9.7 फीासदी का इजाफा होने से यह करीब 6100 रुपये `िंटल चल रहा है। ऐसे में वनस्पति उत्पादक संघ का मानना है कि सरकार को खाद्य तेलों के आयात में कोई बदलाव नहीं करना चाहिए। (Business Bhaskar)
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