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14 अक्तूबर 2008

डीओसी निर्यात ऑर्डर घटने से सोयाबीन में गिरावट

विश्वव्यापी मंदी के चलते राजस्थान की कोटा मंडी में सोयाबीन के भाव घटकर 1450 से 1500 रुपए क्विंटल आ गए हैं। पिछले सप्ताह कोटा मंडी में लूज में 1700 रुपए क्विंटल बिकने वाली सोयाबीन सोमवार को 1550 से 1610 रुपए क्विंटल रह गई। कारोबारियों के मुताबिक अगले कुछ दिनों में सोयाबीन में 100 रुपए क्विंटल की और गिरावट आ सकती है। कमोडिटी ब्रोकर सुभाष भटनागर के अनुसार सोमवार को कोटा मंडी में दो से ढाई हजार और रामगंज मंडी में करीब 3000 बोरी सोयाबीन की आवक हुई। जबकि इसका भाव करीब 1550 से 1610 रुपए क्विंटल के दायर में रहे। उम्मीद के मुताबिक भाव नहीं मिलने से कुछ किसानों ने अपना माल बेचने से मना कर दिया और कोटा मंडी में 1600-1700 बोरी सोयाबीन में ही सौदे हो पाए। उन्होंने बताया कि सोया डीओसी के निर्यात आर्डर में कमी से अगले एक-दो दिन में सोयाबीन के भाव 1450 रुपए क्विंटल तक उतरने की धारणा है। कमोडिटी विशेषज्ञ राजेश कुमार गुप्ता का कहना है कि पिछले महीने के मुकाबले कांडला पोर्ट डिलीवरी सोया डीओसी के भाव चार हजार रुपए प्रति टन तक घट गए हैं। पिछले महीने 14 सितंबर को कांडला पोर्ट पर सोया डीओसी के भाव 17500 रुपए टन थे, जो घटकर 14000 रुपए प्रति टन एफओबी रह गए हैं। सोया डीओसी के भावों में लगातार गिरावट से सोयाबीन में नरमी का रुख बना हुआ है। इंदौर में सोया डीओसी का कारोबार करने वाले एक व्यापारी ने बताया कि पिछले वर्ष अक्टूबर के पहले पखवाड़े तक निर्यातकों को 11-12 लाख टन सोया डीओसी के ऑर्डर मिल गए थे लेकिन इस साल अब तक करीब छह लाख टन सोया डीओसी के ही निर्यात ऑर्डर मिले हैं। इससे सोयाबीन के भावों पर दबाव बना हुआ है। उन्होंने बताया कि इस साल अमरीका और चीन में सोयाबीन की बेहतर फसल होने की संभावना के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोया तेल और डीओसी दोनों में ही नरमी का रुख है। भारत से दक्षिण पूर्व एशिया और जापान समेत कई देशों को सोया डीओसी का निर्यात किया जाता है। वैव्श्रिक मंदी के कारण इस समय अंतरराष्टीय बाजार में सोया डीओसी के लिवाल कम है। इससे घरलू बाजार में भी निर्यातकों की मांग कम है। गौरतलब है कि इस साल सोयाबीन उत्पादन भी पिछले वर्ष के मुकाबले एक-दो फीसदी बढ़ने की ही संभावना है क्यांेकि मानसून जल्दी आने से इस साल 30 जून तक सोयाबीन की 70 फीसदी बुवाई हो गई थी। इसके बाद लंबे समय तक बारिश नहीं हुई और जरूरत के समय फसल को पानी नहीं मिला। इसके बावजूद सोयाबीन की कीमतों में पिछले वर्ष जैसा उछाल आने की संभावना नहीं है। जयपुर मंडी में तिलहन कारोबारी अनिल चतर ने बताया कि 15 अक्टूबर के बाद मंडियों में आवक बढ़ने के साथ ही भाव 1500 से 1600 `िंटल के दायर में आ जाएंगे। इसके बाद अगर भावों थोड़ी तेजी बनती भी है तो भी भाव 1900 के पार होने की संभावना कम है।इस दौरान इंदौर सहित मध्यप्रदेश की मंडियों में भी सोयाबीन की कीमतों में भारी गिरावट आई है। सोयाबीन का बंपर उत्पादन का अनुमान होने से किसानों को उनके उत्पादों का वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है। कई मंडियों में भाव 1400 रुपए के करीब आ चुके हैं। चालू सीजन में देश में सोयाबीन का उत्पादन 1.15 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। सोमवार को इंदौर में 13000 बोरी सोयाबीन की आवक रही। जबकि मध्यप्रदेश की विभिन्न मंडियों की मिलाकर करीब साढ़े तीन लाख बोरी सोयाबीन की आवक बताई जाती है। इतनी सप्लाई में ही भाव निम्न स्तर पर आ गए हैं। दूसरी ओर सोयाबीन डीओसी का व्यापार रडी में 13500 और एक सप्ताह आगे के 13000 रुपए में कामकाज हुए।वैव्श्रिक स्तर पर भी सोयाबीन की कीमतों में भारी गिरावट आई है। कच्चे तेल के भाव में कमी और अमेरिका में सोयाबीन का उत्पदन बढ़ने की संभावना से सीबॉट में पिछले एक महीने से गिरावट जारी है। नवंबर के अंत से अमेरिका में भी नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी। (Business Bhaskar)

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