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14 अक्तूबर 2008

मजबूत डॉलर से जूट किसानों को फायदा

डॉलर के मुकाबले कमजोर होते रुपये ने जहां देश के जूट आयातकों की नींद उड़ा रखी है। वहीं जूट किसानों के लिए यह वरदान साबित हुआ है। रुपये में कमजोरी से जूट का आयात महंगा हो गया है। इस समय घरेलू जूट के दाम 16 रुपये प्रति किलों के स्तर पर है। जबकि आयातित जूट के दाम भारत में 18 रुपये प्रति किलो बैठ रहे हैं। जिससे घरेलू जूट की मांग बढ़ गई है। साथ ही पिछले साल के मुकाबले इस साल जूट के उत्पादन में 25 फीसदी गिरावट से भी किसानों को अच्छे दाम मिल रहे है।सरकार द्वारा खरीफ सीजन के उत्पादन के पहले अनुमान के अनुसार इस साल जूट का उत्पादन 85 लाख टन हो सकता है। जो पिछले साल 95 लाख टन था। इस साल की शुरुआत से अभी तक डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 23 फीसदी कमजोर हो गया है। जिससे आयातित जूट के दाम घरेलू जूट से महंगा हो गया है। भारतीय जूट मिल एसोसिएशन के चेयरमैन संजय कजारिया ने बिजनेस भास्कर को बताया कि डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने से आयात महंगा हो गया है। जिसके चलते इस समय जूट का आयात नही हो रहा है। साथ ही मंडियों में नई फसल की आवक शुरु हो गई है। घरेलू बाजार में जूट की उपलब्धता बढ़ने से भी दामों में नरमी आई है। वित्तीय वर्ष 2007-08 में एक लाख टन का जूट आयात किया गया था। भारत मुख्य रुप बाग्लादेश, नेपाल से जूट का आयात करता है।इस साल की शुरुआत में सरकार ने साफ्टा के अंतर्गत इन देशो से आयात को शुल्क मुक्त कर दिया था। इससे पहले जूट के आयात पर आठ फीसदी का आयात शुल्क लगता था। आयात शुल्क हटाने के बाद देश में जूट के दाम 12 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गये थे। जिससे घरेलू जूट की मांग कम हो गई था। कोलकाता में जूट का व्यापार करने वाले सुभाष देव ने बताया कि आयात शुल्क हटाने के बाद सस्ता होने से बांग्लादेश से तेज़ी से आयात बढ़ा था। जिसके चलते इस साल किसानों ने जूट की कम की थी। इस साल जूट के बुआई क्षेत्रफल में 25 फीसदी की गिरावट आई है। इस साल 7.37 लाख हैक्टेयर में ही जूट की बुआई हुई है। जबकि 2007-08 में जूट का बुआई क्षेत्रफल 8.26 लाख हैक्टेयर था। (Business Bhaskar)

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