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05 मार्च 2010

टायर की कीमतों में 2 प्रतिशत बढ़ोतरी के अनुमान

कोच्चि March 01, 2010
केंद्रीय बजट में उत्पाद शुल्क उत्पाद शुल्क 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है, जिसकी वजह से ऑटोमोटिव टायर की कीमतों में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।
उत्पादन के लिए कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी का दबाव उत्पादकों पर पहले से ही है। ऐसे में सिंथेटिक रबर पर 2 प्रतिशत शुल्क बढ़ाए जाने उत्पादक, उत्पाद शुल्क का बोझ उपभोक्ता पर डालने को मजबूर होंगे।
ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) के निदेशक राजीव बुध्दिराजा ने कहा कि नया बजट संतुलित और बेहतर है, लेकिन टायर उद्योग के लिए निराशा की बात यह है कि वित्त मंत्री ने टायर उद्योग की लंबे समय से चल रही मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया है।
एसोसिएशन ने प्राकृतिक रबर के आयात पर शुल्क 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत किए जाने की मांग की थी। उद्योग जगत का तर्क था कि कारोबारियों को समान अवसर दिया जाना चाहिए। एक तरफ टायरों के आयात पर 10 प्रतिशत का शुल्क लिया जाता है, वहीं प्राकृतिक रबर पर आयात शुल्क 20 प्रतिशत है।
या तो प्राकृतिक रबर के आयात पर शुल्क घटाया जाना चाहिए या टायर के आयात पर शुल्क बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जाना चाहिए था। लेकिन बजट में ऐसा कुछ नहीं किया गया। बुध्दिराजा ने कहा कि प्राकृतिक रबर के दाम बढ़ने की वजह से कीमतों में बढ़ोतरी करना मजबूरी है और उद्योग सही मायने में कहें तो संकट में है। कीमतों में बढ़ोतरी की पूरी संभावना है।
जेके टायर्स के निदेशक (विपणन) एएस मेहता ने कहा कि बजट बहुत ही संतुलित और अच्छा है। उत्पाद शुल्क में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी से स्वाभाविक रूप से कीमतों में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। यह केवल समय की बात है और स्वाभाविक रूप से इसका बोझ उपभोक्ता पर पड़ेगा।
रबर उद्योग इस समय बहुत ज्यादा दबाव में है। आने वाले दिनों में कीमतों में बढ़ोतरी को नकारा नहीं जा सकता और यह सिर्फ वक्त की बात है। मेहता ने कहा कि हम यह देख रहे हैं कि परिवहन उद्योग इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देता है।
टायर उद्योग की निकलेगी हवा
उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी से टायरों के दाम बढ़ाने को मजबूर हैं उत्पादक कम से कम 2 प्रतिशत बढ़ सकते हैं दामपेट्रोलियम उत्पादों पर कर लगने से बढ़ेंगे एसआर रबर के दामनहीं मानी गई एनआर पर आयात कर घटाने की मांग (बीएस हिंदी)

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