नई दिल्ली November 05, 2009
केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश में गन्ने का विवाद सुलझाने की कोशिश में जुट गई है।
हालांकि उसने देश भर में गन्ने की एकसमान कीमत रखने के लिए एफआरपी का ऐलान किया है। लेकिन उसका कहना है कि चीनी की तेज कीमतों का फायदा गन्ना किसानों को भी मिले और उन्हें अपनी उपज का अधिक दाम मिलना चाहिए।
सरकार ने पहले तो एफआरपी पद्धति शुरू की जिसका फायदा चीनी उत्पादक कंपनियों को होता दिख रहा था क्योंकि एफआरपी लागू होने से इन कंपनियों को गन्ना किसानों को उससे ऊपर का भाव नहीं देना पड़ता लेकिन अब सरकार गन्ना उत्पादकों पर दरियादिली दिखाती नजर आ रही है। इस वजह से उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को गन्ना किसानों को गन्ने का भाव तय भाव से ज्यादा चुकाना पड़ सकता है।
आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में कृषि एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री शरद पवार ने कहा, 'एफआरपी केवल एक नियमावली की तरह है और मिल उससे कम कीमत पर गन्ना नहीं खरीद सकतीं। चीनी की कीमतें 3,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रही हैं इसके मद्देनजर हमें लगता है कि मिलें किसानों को एफआरपी से ज्यादा कीमत पर भुगतान करेंगी। कम से कम कीमतों में तेजी का 70 फीसदी फायदा तो किसानों को मिलना ही चाहिए।'
पवार ने यह भी कहा कि इस मामले पर उन्होंने उत्तर प्रदेश मिलर्स एसोसिएशन की बैठक भी बुलाई है। उनके मुताबिक कर्नाटक और महाराष्ट्र में कई मिलें 180 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गन्ना खरीद रही हैं जो एफआरपी से काफी ज्यादा है।
देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक उत्तर प्रदेश में भी राज्य सरकार ने चालू पेराई सत्र के लिए एफआरपी से ज्यादा राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) का ऐलान किया है। केंद्र का एफआरपी 129.84 रुपये प्रति क्विंटल है और उत्तर प्रदेश सरकार ने 165 से 170 रुपये प्रति क्विंटल के एसएपी की घोषणा की है।
एफआरपी का मकसद गन्ना किसानों को उनकी उपज के लिए बढ़िया कीमत दिलाना है। इतना ही नहीं अगर राज्य एफआरपी से ज्यादा एसएपी का ऐलान करता है तो एफआरपी और एसएपी के बीच के अंतर को पाटने की जिम्मेदारी भी उसकी ही होगी।
गन्ना किसानों के लिए ज्यादा कीमत चाह रही केंद्र सरकार चीनी के भाव में इजाफे का 70 फीसदी मिले किसानों को एफआरपी से कम कीमत पर नहीं बिक सकता गन्नापवार बुला रहे हैं यूपी के मिल मालिकों की बैठकराज्यों ने अलग से घोषित किया राज्य समर्थित मूल्य कर्नाटक, महाराष्ट्र में गन्ने की कीमत मिल रही है 200 रुपये प्रति क्विंटल तक (बीएस हिन्दी)
05 नवंबर 2009
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