मुंबई 05 05, 2009
पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के संकेतों के अनुसार, चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और इससे धातुओं की कीमतें खास तौर से तांबे की कीमतें बढ़नी शुरू हो गई हैं।
पीएमआई के आंकड़ों के अनुसार, शांघाई एक्सचेंज पर तांबे की कीमतें छह प्रतिशत की ऊपरी सीमा को छू चुकी है। पिछले चार महीनों में तांबे की कीमतों में लगभग 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
दिसंबर 2008 के अंत में तांबे की कीमत घट कर 2,812 डॉलर प्रति टन के स्तर पर आ गई थी। एक मई को लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) पर इसका कारोबार 4,501 डॉलर प्रति टन पर किया जा रहा था।
तांबे की कीमतें बढ़ने से खननकर्ता तांबा स्मेल्टर्स को अपेक्षाकृत कम ट्रीटमेंट और रिफाइनिंग शुल्क (टीसीएफसी) का भुगतान कर रहे हैं। अधिकांश तांबा स्मेल्टर हाजिर टीसीएफसी पर निर्भर करते हैं क्योंकि स्मेल्टिंग क्षमता के लगभग आधे के लिए खननकर्ताओं से दीर्घावधि के लिए उनका करार होता है।
ऐसा कहा जा रहा है कि टीसीएफसी शुल्क साल के शुरुआती कीमतों की तुलना में घट कर लगभग आधा रह गया है। एक औद्योगिक विश्लेषक ने कहा कि स्टरलाइट और बिड़ला समूह की हिंदुस्तान कॉपर जैसी भारतीय कंपनियां इससे प्रभावित हो रही हैं।
तांबे की कीमतें छह महीने के उच्चतम स्तर से मध्य अप्रैल में 15 प्रतिशत घट गईं लेकिन शुक्रवार को इनमें फिर से मजबूती देखी गई जब एलएमई पर तांबा दो हफ्ते के शीर्ष स्तर पर और जस्ते में छह प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
कीमतों की बढ़ोतरी में अप्रैल के अमेरिकी कंज्यूमर कंन्फिडेंस में सुधार, चीन के निर्माण इकाइयों के विस्तार और एलएमई के भंडारगृहों से भारी मात्रा में धातुओं के बहिर्प्रवाह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। औद्योगिक सूत्रों ने बताया कि भंडार का अधिकांश बहिर्प्रवाह एशियाई भंडारगृहों से हुआ। एक दिन की छुट्टी के बाद बाजार के फिर से सोमवार को शांघाई में तांबे ने 6 प्रतिशत की ऊपरी स्तर को छुआ।
इस पर चीन और अमेरिका के सकारात्मक आर्थिक आंकड़ों के कारण लंदन में आई तेजी का असर देखा गया। शांघाई बेंचमार्क तांबे की कीमतें 2,160 युआन बढ़ कर 38,180 युआन हो गईं। पीएमआई, जो औद्योगिक अधिकारियों का सूचकांक आधारित सर्वेक्षण है हांगकांग स्थित ब्रोकरेज कंपनी सीएलएसए द्वारा कराया जाता है, में नौ महीनों में पहली बार बढ़त देखी गई और यह मार्च के 44.8 से बढ़ कर 50 .1 हो गया।
चीन के स्टेट रिजर्व ब्यूरो (एसआरबी) द्वारा धतुओं के नीतिगत भंडार बनाने के कारण तांबे की खरीदारी में तेजी आई। उल्लेखनीय है कि इस समय धातु काफी सस्ती थी और कुछेक की कीमतें तो एक दशक के न्यूनतम स्तर पर थीं। अधिकांश खरीदारी इस उम्मीद में की गई कि मंदी में कमी आ रही है और विभिन्न आर्थिक पैकेजों से अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।
वैश्विक जिंसों को ट्रैक करने वाली एक जोखिम प्रबंधन कंपनी के एक विश्लेषक ने कहा, 'तांबे की कीमतों में बढ़ोतरी इस उम्मीद के कारण हुई कि मांग में वृध्दि होगी और इस दौरान यह धातु काफी सस्ते में उपलब्ध भी थी। यद्यपि, इस बात के संकेत हैं कि वास्तविक मांग बढ़ रही है लेकिन कीमतों में रिकवरी की वास्तविकता आर्थिक रिकवरी के स्पष्ट संकेतों से समझ में आएगी।' (BS Hindi)
06 मई 2009
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