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08 मई 2009

मांग में इजाफा होने से कैटल फीड 20 महंगा

कैटल फीड की मांग बढ़ने लगी है। इस वजह से इसके दाम पिछले एक माह के दौरान लगभग 20 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। दरअसल गर्मियों में हरे चारे की उपलब्धता कम होने से केटल फीड में मांग बढ़ जाती है। कारोबारियों के मुताबिक मई-जून महीने के दौरान इसकी कीमतों में हल्की गिरावट तो आ सकती है। लेकिन जुलाई महीने में जैसे ही बारिश शुरू होगी कैटल फीड की मांग में बढ़ोतरी हो जायेगी।पंजाब की मानसा मंडी के कैटल फीड निर्माता संजीव गोयल ने बिजनेस भास्कर को बताया कि मांग में बढ़ोतरी होने से सरसों खल, बिनौला, बिनौला खल और चोकर की कीमतों में तेजी बनी हुई है। पिछले एक महीने में इनकी कीमतों में 100 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। हालांकि चालू रबी सीजन में देश में सरसों के उत्पादन में तो बढ़ोतरी हुई है लेकिन सरसों खली के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सरसों खली के भाव तेज होने से घरेलू बाजार में सरसों खल में मजबूती आई है। सरसों खल, बिनौला खल तथा चना छिल्का के भावों में आई तेजी से चोकर के भाव भी तेज बने हुए हैं। दिल्ली बाजार में 49 किलो चोकर के भाव 454 रुपये चल रहे हैं। उधर पंजाब की मंडियों में चोकर के भाव बढ़कर 1000 रुपये और हरियाणा की मंडियों में 925-950 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। चना छिल्का के भाव दिल्ली में 880 रुपये प्रति क्विंटल और मूंगफली खल के भाव 1700-1800 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। अंबिका ट्रेडिंग कंपनी के राजेंद्र गोयल ने बताया कि पिछले एक महीने के दौरान मांग बढ़ने के कारण कैटल फीड की कीमतों में इजाफा हुआ है। पिछले एक महीने के दौरान प्लांट वालों की मांग बढ़ने से सरसों खल के दाम 250 रुपये बढ़कर 1400 रुपये प्रति क्विंटल हो चुके हैं। वहीं कॉटन उत्पादन घटने की संभावना के चलते स्टॉकिस्टों ने बिनोला की लिवाली बढ़ा दी है। इस वजह से बिनौला खल के भाव एक महीने के दौरान 200-225 रुपये बढ़कर 1425 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए है। पंजाब और हरियाण में बिनोला के भाव बढ़कर 1680-1690 रुपये प्रति क्विंटल हो गये।कारोबारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में कैटल फीड के मूल्यों में हल्की गिरावट तो आ सकती है लेकिन स्टॉकिस्टों की मजबूत पकड़ होने से भारी गिरावट के आसार नहीं है। जुलाई महीने में बारिश शुरू होने के बाद केटल फीड की मांग में बढ़ोतरी होने की संभावना है। ऐसे में इसकी कीमतों में इजाफा हो सकता है। भारत में वित्त वर्ष 2008-09 में 259.60 लाख टन तिलहन का उत्पादन होने का अनुमान है। जबकि वित्त वर्ष 2007-08 में 297.55 लाख टन तिलहन का उत्पादन हुआ था। (Buisness Bhaskar)

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