02 अक्तूबर 2008
किसानों को धान पर बोनस देने की तैयारी
केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन (2008-09) के दौरान किसानों को धान पर बोनस देने का मन बना लया है। राजनीतिक रूप से संवेदनशील धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मोर्चे पर कि सानों की नाराजगी से बचने के लिए सरकार यह कदम उठाने जा रही है। इसके लिए खाद्य मंत्रालय ने कैबिनेट नोट तैयार कर लिया है। कैबिनेट की अगली बैठक में बोनस पर फैसला ले लिया जाएगा। इससे किसानों को मिलने वाली राशि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की 1000 रुपये प्रति क्विंटल के करीब पहुंच जाएगी। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक खाद्य मंत्रालय ने धान पर 50 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने का प्रस्ताव तैयार किया है। लेकिन इसे बढ़ाकर 100 रुपये प्रति क्विंटल किया जा सकता है। सरकार के इस फैसले के बाद चालू सीजन में धान के एमएसपी को लेकर चल रही रस्साकशी पर विराम लग सकता है। अभी तक सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन के लिए धान की सामान्य किस्म के लिए 850 रुपये और ग्रेड ए के लिए 880 रुपये प्रति क्विंटल के तदर्थ (एडहॉक) एमएसपी की घोषणा कर रखी है। धान के बड़े उत्पादक राज्य पंजाब, हरियाणा और आंध्र प्रदेश 1000 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी के लिए केंद्र सरकार पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं। लेकिन बुधवार से धान की सरकारी खरीद का सीजन शुरू हो जाने के बावजूद सरकार ने कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। चालू सीजन के लिए कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने धान की सामान्य किस्म के लिए 1000 रुपये और ग्रेड ए के लिए 1050 रुपये प्रति क्विंटल की सिफारिश की थी।लेकिन सरकार ने परंपरा को तोड़ते हुए पहली बार सीएसीपी की सिफारिश को दरकिनार करते हुए इस जून में धान का 850 रुपये का तदर्थ एमएसपी घोषित कर इस मामले को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) को भेज दिया था। बाकी फसलों के बारे में उस समय कोई फैसला नहीं हुआ था। बाद में धान के अलावा बाकी फसलों के लिए सीएसीपी की अधिकांश सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। इनमें से कई फसलों के एमएसपी में सीएसीपी ने धान से कहीं अधिक बढ़ोतरी की सिफारिश की थी। इसके चलते पंजाब और आंध्र प्रदेश से केंद्र पर धान की एमएसपी बढ़ाने का लगातार दबाव है। आंध्र प्रदेश केंद्रीय पूल में चावल देने वाला दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। वहां विधान सभा चुनाव होने हैं और राज्य सरकार ने केंद्र से 1000 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी की मांग की थी। इसी तरह केंद्रीय पूल में सबसे अधिक चावल देने वाले पंजाब का भी लगातार दबाव बना हुआ है। (Business Bhaskar)
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