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20 अक्तूबर 2008

निर्यात मांग हल्की पड़ने से जौ के भाव में गिरावट

निर्यात मांग में कमी होने से जौ के भाव में बीते दो सप्ताह के दौरान 130 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट आई है। भारतीय जौ के भाव पिछले महीनों में दूसरे देशों से ज्यादा थे जबकि इसका दाना पर्याप्त मोटाई में नहीं था। इस कारण निर्यात मांग हल्की पड़ गई। वहीं दूसरी ओर बाजरा और गेहूं की तुलना में इसके महंगा होने से पशुचारे के लिए होने वाली मांग में भी कमी आई है। कारोबारियों की मानें तो बारिश होने से इस बार अच्छी फसल उम्मीद के चलते भी कारोबारी ज्यादा स्टॉक करने से परहेज कर रहे हैं।दादरी के जौ कारोबारी मुन्नालाल ने बिÊानेस भास्कर को बताया कि जौ में मोटे माल की कमी और विदेशों की तुलना में इसके महंगा होने से माल्ट वालों की निर्यात मांग कम निकल रही है। जिससे इसके भाव में बीते दो सप्ताह के दौरान 130 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट आई है। उनका कहना है कि इसके अलावा पशुचारे के लिए किसान जौ के बजाय बाजरा और गेहूं ज्यादा पसंद कर रहे हैं क्योंकि जौ का भाव कहीं ज्यादा है। इससे भी जौ की मांग में कमी आई है। उन्होंने बताया कि तीन माह पहले इसके भाव 1300 रुपये प्रति क्विंटल तक थे। दो सप्ताह पहले माल्ट में उपयोग होने वाले मोटे दाने का जौ 1160 रुपये (ऊपर में) बिकने के बाद गिरकर 1030 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहा है।जबकि पशुचारे में उपयोग होने वाले जौ का भाव (नीचे) में 975 से कम होकर 875 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है। कारोबारियों के अनुसार इस बार अच्छी बारिश होने से जौ की पैदावार अधिक होने की उम्मीद है। गांधीधाम स्थित जौ निर्यातक कंपनी मनीवा क्रिएशन के निदेशक निखिल भट्ट ने बताया कि देश से जौ का निर्यात गल्फ देशों को किया जाता है लेकिन इन देशों को ब्राजील का जौ यहां से कम दाम पर मिल रहा है क्योंकि ब्राजील से शिपिंग में आने वाले वाला खर्च भारत से कम है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2007-08 में 1फ्.3 लाख टन जौ का उत्पादन हुआ था जो वित्त वर्ष 2006-07 के 13.3 लाख टन से कम है। जबकि सरकार ने वित्त वर्ष 2008-09 में 15 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है।(Business Bhaskar)

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