नई दिल्ली October 20, 2008
दिल्ली में पटाखा बेचने के लिए दुकान खोलने के वास्ते करीब 15 दिन पहले प्रशासन से लाइसेंस लेना होता है।
पटाखा चूंकि विस्फोटक होता है इसलिए इसकी बिक्री के वक्त दुकानदारों को प्रशासन द्वारा तय सुरक्षा मानकों का पालन करना होता है। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही का यह आलम है कि बाजार में बहुत ढूंढने पर भी कहीं कोई दुकानदार इन मानकों का पालन करते नहीं दिखा। उल्लेखनीय है कि पटाखे की बिक्री को लेकर दिल्ली पुलिस और सर्वोच्च न्यायालय ने कई शर्तें तय की हैं। इस बाबत कन्फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स के महासचिव देवराज बवेजा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि आतंकवादी घटनाओं के मद्देनजर आम कारोबारियों ने दिल्ली सरकार से भीड़-भाड़ वाले इलाकों में पटाखे की दुकानों को लाइसेंस न देने की गुजारिश की थी। कारोबारियों ने कहा था कि पटाखे की दुकान खोलने का लाइसेंस वहीं मिले जहां का इलाका खुला हो ताकि हादसा होने पर इस पर आसानी से काबू पाया जा सके और जान-माल का नुकसान भी काफी कम हो। बवेजा ने बताया कि वर्ष 1993 में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी थी कि पटाखे की एक दुकान से दूसरी दुकान के बीच का फासला कम से कम 15 मीटर की हो। न्यायालय ने कहा था कि जो व्यापारी सुरक्षा मानकों को पूरा करें केवल उन्हें ही पटाखे बेचने का लाइसेंस दिया जाए। दिल्ली प्रशासन की नियमावली के मुताबिक पटाखे की दुकान के आगे कम से कम 12 मीटर की सड़क हो। उस जगह आग बुझाने वाले सिलेंडर और पानी की व्यवस्था होनी भी जरूरी है। लेकिन सच तो यही है कि पटाखे के कारोबारी इन नियमों का पालन बिल्कुल भी नहीं कर रहे। महज 10-15 दिनों में ही लाखों रुपये बनाने की चक्कर में ये पटाखा कारोबारी घटिया पटाखे भी बेचने से परहेज नहीं करते। (BS Hindi)
20 अक्तूबर 2008
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