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03 अक्तूबर 2008

वायदा कारोबार में संयोजकों की भागीदारी पर सवालिया निशान

October 02, 2008
नैशनल कमोडिटी एंड डेरिवैटिव एक्सचेंज ने सरकार से मांग की है कि वह उन जिंसों के वायदा कारोबार पर पाबंदी न लगाए जाने की गारंटी दे जिसमें कि किसानों के समूह की ओर से एग्रीगेटर (संयोजक) निवेश या खरीद-बिक्री करना चाहते हैं। इसके बाद कमोडिटी एक्सचेंजों में संयोजकों की भागीदारी पर सवालिया निशान लग गया है।
उल्लेखनीय है कि एक्सचेंज के कारोबार में भारी गिरावट होने और छोटे किसानों के एक्सचेंज से पूरी तरह गायब रहने से परेशान एनसीडीईएक्स ने सरकार को ‘एग्रीगेटर’ की नियुक्ति का प्रस्ताव दिया था। कारोबारी भाषा में एग्रीगेटर या संयोजक वह होता है जो बगैर किसी स्वार्थ के लोगों को कारोबारी सलाह मुहैया कराने के साथ-साथ उनके लिए एक्सचेंज में निवेश भी करता है। एनसीडीईएक्स ने इसकी नियुक्ति का प्रस्ताव किसानों विशेषकर छोटे किसानों के हितपोषण के लिए किया था ताकि एक आम किसान भी कारोबार में अपनी हिस्सेदारी निभा सके। किसानों की आय में खासी बढ़ोतरी होने के बावजूद वायदा बाजार अब तक किसानों तक अपनी पहुंच बना पाने में नाकाम रहा है। वायदा बाजार का मुख्य उद्देश्य ही मध्यस्थों को कारोबार से दूर रखते हुए किसानों की कारोबार में प्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित करना था। हालांकि वायदा बाजार में मध्यस्थों की भूमिका पहले की ही तरह महत्वपूर्ण बनी हुई है। यही नहीं मध्यम दर्जे के किसानों तक तकनीक की भी पहुंच नहीं हो सकी है।
अधिकारियों का कहना है कि अब तो सरकार की ओर से जिंसों के कारोबार पर लगाई गई रोक से कई तरह की समस्याएं और सवाल पैदा हो रहे हैं। एनसीडीईएक्स के मुख्य व्यापार अधिकारी ऊनुपोम कौशिक ने बताया कि एग्रीगेटर की ओर से कोई फैसला ले लेने के बाद जिंसों के कारोबार पर प्रतिबंध लगने का नुकसान कौन उठाएगा, यह सवाल अभी तक अनुत्तरित है। इसलिए एनसीडीईएक्स अभी किसी तरह के संयोजन को लेकर उदासीन है लेकिन वह ऐसा करने वाली संस्थाआें को प्रोत्साहित कर सकती है। कोई संयोजक तय कर सकता है कि किसी जिंस का बिक्र ी और खरीद मूल्य क्या होगा? जबकि एक्सचेंज ऐसा कतई नहीं कर सकता। 2006 में एनसीडीईएक्स ने सफलतापूर्वक गेहूं के कारोबार का संयोजन (एग्रीगेशन) किया था। एनसीडीईएक्स ने तकरीबन 6-7 संस्थाओं से कई जिंसों के संयोजन की खातिर बातचीत की पर सबने उस जिंस के वायदा कारोबार पर पाबंदी न लगने की गारंटी मांगी।
इस बीच वायदा बाजार की नियामक संस्था वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) को उम्मीद है कि संयोजन की खातिर किसी गैर-सरकारी संस्था की नियुक्ति हो सकेगी। यह एनजीओ न केवल किसानों के समूह की ओर से वायदा बाजार में निवेश करेगा बल्कि उनसे जिंसों की खरीद फरोख्त भी करेगा। एफएमसी ने किसी एनजीओ या संस्था के संयोजक बनने के लिए चार मानदंड तय किए हैं-विश्वसनीयता, व्यावसायिक दक्षता, खतरे उठाने की वित्तीय क्षमता और हेजिंग का पर्याप्त अनुभव। एफएमसी के अध्यक्ष बी. सी. खटुआ ने बताया कि हमने वित्तीय तौर पर मजबूत कई ऐसे एनजीओ की पहचान की है जो कई साल से लोगों के हित में काम कर रहे हैं। खटुआ ने साफ किया कि आयोग ऐसे किसी भी अनाम और अविश्वसनीय संस्था को एग्रीगेशन की इजाजत नहीं देगा। किसी ऐरे-गैरे संस्था को इजाजत देने का मतलब है कि सरकार ने किसानों की
गाढ़ी कमाई को बर्बाद करने की खुली छूट दे दी। खटुआ ने स्पष्ट किया कि हम नहीं चाहते कि कोई भी संस्था निवेश से संबंधित निर्णय बगैर किसानों की सहमति के उठाए। (BS Hindi)

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