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15 अक्तूबर 2008

लंबी अवधि का अनुबंध कंपनियों ने कर दिया बंद

नई दिल्ली October 14, 2008
जिंसों की कीमतों में आई भारी गिरावट, वैश्विक आर्थिक अनिश्चतताओं और नकदी की गंभीर समस्या को देखते हुए लगभग रात भर में ही भारतीय कंपनियों के कच्चे माल की खरीदारी करने के तरीके में बदलाव आया है।

लंबे समय के आपूर्ति करारों में खुद को बांधने के बजाए कंपनियां हाजिर बाजार से अत्येत कम परिमाण में खरीदारी कर रही हैं ताकि उनके भंडार का स्तर, जितना संभव हो, कम बना रहे। लगभग आधा दर्जन कंपनियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि उन्होंने लंबी समयावधि की जगह अल्पावधि के लिए कच्चे मालों की खरीदारी करने का निर्णय लिया है।पिछले कुछ महीनों की रेकॉर्ड अधिकतम कीमत का स्तर छूने के बाद, मांग में कमी, खास तौर से चीन की मांग में, आने की वजह से जिंसों की कीमतों में काफी गिरावट आई है। विश्लेषकों का मानना है कि जिंसों की वैश्विक कीमतों में और नरमी आएगी।डीसीएम श्रीराम कंसोलिडेटेड लिमिटेड (डीएससीएल) के अध्यक्ष और वरिष्ठ प्रबंध निदेशक अजय श्रीराम ने कहा, 'कमोडिटी की उपलब्धता और उनकी कीमतों को ध्यान में रखते हुएहमने न्यूनतम भंडार रखने की दिशा में कदम उठाया है।' इस प्रकार डीएससीएल ने महत्वपूर्ण कच्चे मालों जैसे कोयला, चारकोल और चूना, जिसका इस्तेमाल सीमेंट और कैल्शियम कार्बाइड बनाने और ऊर्जा उत्पादन में किया जाता है, की खरीदारी के लिए हाजिर बाजार का रुख किया है। श्रीराम के अनुसार, उनके पीवीसी के अधिकांश ग्राहकों ने भी हाजिर खरीद का रुख कर लिया है।जेएसएल के निदेशक (नीति एवं कारोबारी विकास) अरविंद पारख ने कहा कि कंपनी कच्चे मालों की कुछ खरीद को थोड़े समय के लिए टाल दिया है। उन्होंने कहा, 'आज हर कोई उतनी ही खरीदारी करना चाहता है जो फैक्ट्री के दैनिक जरूरतों के हिसाब से पर्याप्त हो। वर्तमान संकट के कारण धारणाओं में इस तरह का परिवर्तन आया है।' जेएसएल, जिसे पहले जिंदल स्टेनलेस के नाम से जाना जाता था, देश में सबसे बड़ा स्टेनलेस स्टील उत्पादक है। यह भारत में मैंगनीज और क्रोम की खरीदारी करता है तथा निकल एवं स्टेनलेस स्टील के स्क्रैप का निर्यात करता है।नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज के प्रमुख अर्थशास्त्री मदन सबनविस ने कहा, 'ओलंपिक के बाद चीन की मांग में कमी आई है। अमेरिका और यूरोप की मंदी का मतलब है कि अधिकांश औद्योगिक जिंसों की मांग में कमी आ सकती है। अस्थिरता की ऐसी परिस्थिति में कमोडिटी का इस्तेमाल करने वाले प्राय: सभी को घाटा कम करने के लिए हेज करना चाहिए।'कम परिमाण में खरीदारी और छोटे भंडार से ऐसे समय में कंपनियों के ऋण का बोझ भी कम होगा जब ब्याज दरें बढ़ रही हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी को भी सीख मिली और उसने तीन महीने के कच्चे मालों के लिए हाल में जारी की गई निविदा को वापस समेट लिया है।जिंसों की कीमतों में गिरावट को देखते हुए कंपनी का प्रबंधन अधिक कीमतों और से खुद को बांधना नहीं चाहता है और लेखा-परीक्षकों का कोपभाजन नहीं बनना चाहता है। वर्धमान टेक्स्टाइल के एक अधिकारी ने कहा, 'जहां तक कपास का मामला है, अधिकांश टेक्स्टाइल मिल दैनिक खरीदारी की नीति अपना रही हैं, क्योंकि भविष्य में इसकी कीमतों में और गिरावट आने की संभावना है। कीमतों में भारी अस्थिरता को देखते हुए हम अपना भंडार नहीं बढ़ाना चाहते हैं।' इस साल मई में पाम ऑयल की कीमतों में अधिकतम स्तर पर पहुंचने के बाद आई गिरावट को देखते हुए खाद्य तेलों को प्रसंस्कृत करने वाले भी घाटे की संभावनाओं को कम करने के लिए सतर्कता से कारोबार कर रहे हैं। इस साल खाद्य तेलों के बाजार में आई कंपनी इमामी के समूह निदेशक आदित्य अग्रवाल ने कहा, कच्चे पाम ऑयल की कीमतों के दो महीने के न्यूनतम स्तर पर आने से दीर्घावधि की खरीदारी का लालच बढ़ा है। (BS Hindi)

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