नई दिल्ली October 17, 2008
अंतररराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत के पिछले तेरह महीने के न्यूनतम स्तर तक चले जाने से इसकी कीमत में कटौती का मुद्दा एक बार फिर सरकार के एजेंडें में शामिल हो गया है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस खबर की पुष्टि की और बताया कि सरकार चुनावों के नजदीक आते ही पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें कम करने का मन बना रही है।नाम न छापने की शर्त पर पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि कच्चे तेल की कीमतों में खासी कमी हो चुकी है। पेट्रोलियम उत्पादों की घरेलू कीमतों में कमी करने का यही सही वक्त है। अभी कच्चे तेल की कीमत पिछले साल के अक्टूबर से 13 फीसदी नीचे चली गयी है। उन्होंने कहा कि चूंकि अगले महीने कई राज्यों में चुनाव होने है लिहाजा पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी कर उपभोक्ताओं को राहत दिया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले चुनाव आयोग ने नवंबर के आखिर में छह राज्यों में चुनाव का ऐलान कर दिया है। लगभग छह महीने बाद लोकसभा के आम चुनाव भी होने हैं। इस संबंध में संपर्क करने पर पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी का स्वागत किया जाएगा पर सरकार अभी तेल की कीमतों में हो रहे उतार-चढ़ाव पर पैनी निगाहें रखे हुए है। कुछ हफ्ते पहले मंत्रालय ने दावा किया था कि यदि कच्चे तेल की कीमतें 67 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चली गई तो तेल कंपनियों को पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री से कोई नुकसान नहीं होगा। कच्चे तेल के भारतीय बास्केट की कीमत बुधवार को 68 डॉलर प्रति बैरल तक चली गई थी। हालांकि पिछली तिमाही में रुपये के करीब 10 फीसदी कमजोर होने से पेट्रोलियम के आयात खर्च में खासी वृद्धि हुई है। सरकार अब कह रही है कि 67 डॉलर की बजाय अब 61 डॉलर से नीचे जाने पर ही तेल कंपनियों को कोई घाटा नहीं होगा। जानकारों का दावा है कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के मंद होते जाने से जल्द ही कच्चे तेल की कीमत घटकर 55 डॉलर तक चली जाएगी। (BS Hindi)
19 अक्तूबर 2008
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