कोच्चि October 16, 2008
रबर की दरकती कीमत के चलते केरल की अर्थव्यवस्था को गहरी चोट लगने की आशंका है।
हाल में प्राकृतिक रबर की कीमत में आई भारी गिरावट के चलते अनुमान है कि केरल की अर्थव्यवस्था को करीब 1600 करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है। इस घाटे का अनुमान इस आधार पर लगाया गया है कि अगले चार महीने में 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से करीब 4 लाख टन प्राकृतिक रबर का कारोबार होगा और इस वजह से अनुमानित घाटा करीब 1600 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा। नकदी फसल में शुमार प्राकृतिक रबर की कीमत घटने से केरल की जनता का आर्थिक स्तर काफी नीचे चला जाएगा, खास तौर से पहाड़ी इलाके में बसे लोगों की। राज्य की अर्थव्यवस्था पर तीन चीजों का काफी असर है। पहला विदेश से आने वाली रकम यानी विदेश में काम करने वाले केरल के लोगों द्वारा अपने परिजनों को भेजा जाने वाला पैसा। दूसरा प्राकृतिक रबर की खेती और तीसरा पर्यटन उद्योग। रबर पर लगने वाले वाणिज्यिक टैक्स के माध्यम से राज्य सरकार के खजाने को मिलने वाली रकम में भी अच्छी खासी कमी आ सकती है। रबर के कारोबार पर वैट (वैल्यू ऐडेड टैक्स) लगाकर राज्य सरकार करीब 300 करोड़ रुपये इकट्ठा करती है, लेकिन प्राकृतिक रबर की गिरती कीमत के चलते राज्य सरकार को करीब 65 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।हाल के समय में जब रबर की कीमत में तेजी से बढ़ोतरी हुई थी तब रबर के उत्पादक इलाकों में छोटे और मध्यम स्तर के उत्पादकों की आय में रोजाना औसतन 500-1000 रुपये का उछाल आ गया था और ये इलाके आर्थिक दृष्टि से और भी संपन्न हो गए लगते थे। अब जब अर्थव्यवस्था में सेंध लग रही है तो फिर प्राकृतिक रबर की कीमत में आई गिरावट का असर दूसरे सेक्टर पर भी पड़ना तय है। मसलन कारों की बिक्री, जमीन और अपार्टमेंट की खरीद और इसकी कीमत पर भी इसका असर देखा जा सकता है। रबर उत्पादन से संबंधित लगभग सभी इलाकों में इन दिनों रियल एस्टेट से संबंधित और दूसरी गतिविधियां लगभग ठप पड़ी है।इस बीच, डर के माहौल में जी रहा रबर बाजार गुरुवार को और भी नीचे चला गया। गुरुवार को आरएसएस-4 ग्रेड वाले प्राकृतिक रबर की कीमत में 2 रुपये प्रति किलो की गिरावट दर्ज की गई और यह 83 रुपये के स्तर पर आ गया। बताया जा रहा है कि अभी इसकी कीमत और गिरेगी। उधर, बैंकॉक और तोक्यो का रबर बाजार भी मंदड़िए की चपेट में है। बैंकॉक बाजार में गुरुवार को आरएसएस-3 ग्रेड रबर की कीमत 88 रुपये प्रति किलो केस्तर पर थी। प्राकृतिक रबर का अंतरराष्ट्रीय बाजार कच्चे तेल की गिरती कीमत, ऑटोमोबाइल सेक्टर के अनुमानित कमजोर बढ़ोतरी दर और दुनिया भर की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट की खबर के चलते काफी हद तक सिमट गया है।इन खबरों के फैलने के बाद रबर के उत्पादक डर के साए में जी रहे हैं जबकि कोट्टयम व कोच्चि का बाजार रबर से पटा हुआ है। कोट्टयम के बाजार में रबर के बिक्रेता गुरुवार को इसे 83.5 रुपये प्रति किलो पर बेच रहे थे, लेकिन बाजार में काफी कम खरीदार नजर आए और इस वजह से बाजार में डर का वातावरण बना रहा।रबर का इस्तेमाल करने वाली इंडस्ट्री खासकर टायर इंडस्ट्री रबर की खरीदारी में फिलहाल दिलचस्पी नहीं ले रही क्योंकि उन्हें लग रहा है कि अभी इसकी कीमत और गिरेगी। उधर, रबर के अग्रणी कारोबारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में रबर की सप्लाई बढ़ेगी क्योंकि मानसून की अच्छी स्थिति के चलते रबर का उत्पादन ठीक-ठाक स्थिति में है।केरल के रबर उत्पादक यह हजम करने को तैयार नहीं दिख रहे कि पूरी दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट के कारण कमोडिटी बाजार पर भी चोट पड़ी है क्योंकि इन उत्पादकों ने पिछले 6-8 महीने के दौरान रबर की ऊंची कीमत के दौरान मोटा माल कमाया है। टायर कंपनियां इन दिनों काफी कम खरीदारी कर रही हैं। टायर कंपनियों ने अपने प्रतिनिधियों से कहा है कि वे फिलहाल खरीदारी की रफ्तार धीमी रखें। बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में तीन से पांच रुपये प्रति किलो की और गिरावट आ सकती है। (BS Hindi)
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