मुंबई October 05, 2008
विश्व के सबसे बड़े धातु उपभोक्ता देशों में से एक चीन में तांबे की मांग इस हफ्ते तेज होने की उम्मीद है। एक अक्टूबर को मनाए जाने वाले स्थापना दिवस के चलते सप्ताह भर चलने वाली छुट्टियां खत्म होने के बाद चीन में विभिन्न धातुओं की मांग बढ़ने की उम्मीद जानकार भी जता रहे हैं।
चीनी कारोबारी प्रायः कम कीमत पर ही धातुओं की खरीदारी करते हैं। यदि उन्हें कारोबार के दौरान ही मुनाफे की स्थिति दिखती है तो वे सौदों का तुरंत निपटान करने से नहीं चूकते। हालांकि दूसरी जगहों के कारोबारी सौदों का निपटान करने के लिए मौके की तलाश में रहते हैं। आधारभूत धातुओं की कीमतें इस समय काफी नीचे चली गई है, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि चीन के कारोबारी भविष्य को ध्यान में रखते हुए जमकर खरीदारी करेंगे। कार्वी कमोडिटीज ब्रोकिंग लिमिटेड के अशोक मित्तल ने बताया कि चीन की मांग फिलहाल स्थिर है। हालांकि एशियाई देशों में बुनियादी ढांचों का विकास तेज रहने से उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इन धातुओं की मांग में तेजी आएगी। हालांकि आनंद राठी कमोडिटीज के नवनीत दमानी का मानना है कि अमेरिका द्वारा 700 अरब डॉलर का राहत पैकेज दिए जाने से थोड़े समय के लिए ही सही बाजार से नगदी की किल्लत दूर हुई है। इसके चलते निवेशकों के पास कमोडिटी बाजार विशेषकर आधारभूत धातुओं में निवेश करने के लिए पर्याप्त पैसे उपलब्ध हो गए हैं। वैसे अमेरिकी मंदी की वजह से अमेरिका का हाउसिंग सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अमेरिका में निर्माण गतिविधियों के काफी सुस्त हो जाने से अनुमान लगाया जा रहा है कि 2009 में तांबे की खपत आपूर्ति की तुलना में कम रहेगी। जबकि पहले दो वर्षाें 2007 और 2008 में स्थिति इसके ठीक उल्टी थी। अब यह देखना है कि अगले एक-दो हफ्तों में चीन का व्यवहार कैसा रहता है। दमानी के मुताबिक, हो सकता है कि चीन के कारोबारी तांबे के मौजूदा भाव के 600 डॉलर और गिरकर 5,200 डॉलर तक जाने का इंतजार करें। एक संभावना यह भी है कि निवेशक तांबे में निवेश करने के लिए और ज्यादा इंतजार न करें क्योंकि अभी तांबे का भाव मई के 8,800 डॉलर की तुलना में 5,800 डॉलर तक आ चुका है। वैसे शुक्रवार को लंदन मेटल एक्सचेंज में तांबा 5,910 डॉलर प्रति टन पर बंद हुआ जो एक हफ्ते पहले की तुलना में 1,000 डॉलर कम था।
पिछले हफ्ते, अर्थव्यवस्था की धुंधली तस्वीर के चलते लंदन मेटल एक्सचेंज में आधारभूत धातुओं की कीमत पर खासा असर दिखा। यूरोप से आने वाली खबर भी अच्छी नहीं थी जिसके चलते अमेरिकी डॉलर का सूचकांक काफी ऊपर चला गया। डॉलर की इस मजबूती से अन्य मुद्रा वाले देशों में आधारभूत धातुओं की मांग बुरी तरह प्रभावित हुई। ऐंजिल ब्रोकिंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आधारभूत धातुओं का बाजार निकट भविष्य में अस्थिर ही रहेगा। चीन में तांबे की मांग के सुस्त रहने और वैश्विक आर्थिक संकट के चलते साल की दूसरी तिमाही आधारभूत धातुओं के कारोबार के लिहाज से निराशाजनक रहा है। दुनिया के सबसे बड़े तांबा उत्पादक देश चिली ने 2007 की तुलना में 2012 तक तांबे का उत्पादन में 23 फीसदी बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा है। 2007 में चिली का तांबे उत्पादन जहां 56 लाख टन था वहीं 2012 तक इसके 68 लाख टन हो जाने का अनुमान है। यही नहीं अकेले 2013 में चिली ने अपने उत्पादन में एक लाख टन की वृद्घि का लक्ष्य रखा है। इसके लिए उसने 21.6 अरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है।(Business Bhaskar)
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