October 16, 2008
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तीन दिनों से हो रही कमी का सिलसिला गुरुवार को भी जारी रहा। इस क्रम में कच्चे तेल की कीमतें आज 72 डॉलर प्रति बैरल के पास तक चली गई।
इस तरह कच्चा तेल पिछले 13 महीनों की न्यूनतम सीमा तक पहुंच गया है। नवंबर अनुबंध वाले अमेरिकी कच्चे तेल सौदे की कीमत 2.33 डॉलर यानी 3.1 फीसदी लुढ़ककर 72.21 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई है। उधर लंदन ब्रेंट कच्चा तेल में भी 2.80 डॉलर की कमी दर्ज की गई और इसकी कीमत 68 डॉलर प्रति बैरल रह गई है।उल्लेखनीय है कि 11 जुलाई को कच्चे तेल की कीमत 147 डॉलर प्रति बैरल के पार तक चली गई थी। इस तरह महज तीन महीने में कच्चे तेल की कीमत आधे से भी कम रह गई है। जानकारों के मुताबिक, वैश्विक आर्थिक मंदी के चलते पूरी दुनिया में कच्चे तेल की खपत में कम होने की की आशंका से कीमतों में गिरावट हो रही है। मालूम हो कि बुधवार को लाइट स्वीट कच्चे तेल की कीमत 4.09 डॉलर प्रति बैरल लुढ़ककर 74.54 डॉलर तक चली गई थी। आंकड़ों के लिहाज से कच्चे तेल की कीमतों में हो रही मौजूदा कमी 1983 के बाद सबसे तेज है। गुरुवार को अमेरिका के वाल स्ट्रीट और जापान के निक्केई शेयर बाजार में 1987 के बाद का सबसे ज्यादा नुकसान दर्ज किया गया।इस बीच 12 तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक का कहना है कि वह तेल की मांग में कमी को देखते हुए इसके उत्पादन में कमी करने पर विचार कर सकता है। ओपेक ने नवंबर में मौजूदा आर्थिक संकट और मांग के लिहाज से तेल उत्पादन का आकलन करने के लिए वियना में अपने सदस्य देशों की एक बैठक बुलाई है। बुधवार को जारी नवीनतम मासिक पूर्वानुमान में ओपेक ने कहा था कि अगले साल दुनिया में कच्चे तेल की मांग घटनी तय है। इस सितंबर में विकसित देशों में तेल की खपत पिछले साल की समानावधि की तुलना में 10 लाख बैरल प्रतिदिन से ज्यादा कम होने की संभावना उसने जताई है। इस बीच कई विशेषज्ञों ने पूरी संभावना जताई है कि ओपेक नवंबर में कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर सकता है। मांग और कीमतों में हो रही कमी के बाद अब तमाम एजेंसियों ने तेल कीमतों का अनुमान संशोधित करना शुरू कर दिया है। (BS Hindi)
17 अक्तूबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें