आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की वजह से होटल, रेस्त्रां और बार आदि बंद होने के कारण बीयर की बिक्री में मार्च से जून तक 35 से 40 फीसदी कमी आई थी, जिस कारण जौ की कीमतों में पिछले तीन महीनों में करीब 20 से 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
राजस्थान की मंडियों में जौ के भाव 1,150 से 1,250 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार चल रहे हैं, जबकि नई फसल की आवक के समय मार्च में भाव 1,400 से 1,450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे। पिछले साल की तुलना में उत्पादक मंडियों में जौ के भाव 300 से 400 रुपय प्रति क्विंटल नीचे बने हुए हैं। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में जौ का बकाया स्टॉक तो ज्यादा है, लेकिन नीचे भाव में स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आ रही है। इसलिए आगे मांग बढ़ने पर ही जौ की कीमतों में 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आने का अनुमान है। रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए केंद्र सरकार ने जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,525 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
जानकारों के अनुसार माल्ट कंपनियों की जौ की सालाना खपत करीब 6 से 6.50 लाख टन की होती है, इसके अलावा पांच से दस फीसदी की खपत खाने में होती है, जबकि बाकि पशुआहार में खपता है। चालू सीजन में नई फसल की आवक शुरू होते ही, लॉकडाउन हो गया, जिस कारण अप्रैल से जून तक खपत कमजोर रही। इस समय भी माल्ट कंपनियों के साथ पशुआहार में ग्राहकी तो कमजोर है, लेकिन बिकवाली भी कम आ रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू फसल सीजन में देश में जौ का 15.9 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 16.3 लाख टन से कम है। ............... आर एस राणा
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