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05 अगस्त 2020

महाराष्ट्र में कपास की अगेती फसल में पिंक बॉलवर्म का असर, अभी नुकसान की खबर नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में जून के पहले हफ्ते मे बोई गई कपास की अगेती फसल में पिंक बॉलवर्म के हमले आशंका  है। राज्य के 4 जिलों के करीब 51 गांवों के कपास के खेतों में इस खतरनाक कीड़े के बेहद शुरुआती संकेत मिले हैं। हालांकि प्रशासन सतर्क है तथा हालात पूरी तरह से नियंत्रण में है और अभी नुकसान की आशंका नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक विदर्भ के अकोला जिले के तेलहारा तालुका के गांवों में कपास के खेतों में पिंक बॉलवर्म के संकेत मिले हैं। इसका असर उन खेतों में देखने का मिला है, जहां जून के पहले हफ्ते में हुई बारिश के बाद कपास की फसल की बुआई की गई थी। इस इलाके में कपास की फसल करीब 2 महीने की हो  चुकी है। यहां फेरोमोन ट्रैप्स में पकड़े गए पतंगों के संकेत देखे गए है। सूत्रों के अनुसार यही पतंगे पिंक बॉलवर्म के जन्म का कारण बनते हैं। अकोला के अलावा, अहमदनगर, जालना और अमरावती जिलों में भी इस तरह के पतंगों के आने के संकेत मिले हैं।
स्थानीय प्रशासन ने भी इसकी पुष्टि की है। हालांकि संकेत दिखते ही प्रशासन भी सतर्क हो गया है। जिन जिलों में पिंक बॉलवर्म को पैदा करने वाले पतंगों के संकेत मिले हैं, वहां किसानों को इसके बारे में जागरुक भी किया जा रहा है। कपास की खेती के लिए पिंक बॉलवर्म एक विनाशकारी कीड़ा माना जाता है। संक्रमण के बाद फसल के साथ ही ये कीड़ा भी विकसित हो जाता है और अंदर ही अंदर कपास के फूल और फलियों को खा जाता है। जानकारों का मानना है कि अगर वक्त रहते इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो पिंक बॉलवर्म कपास की फसल को बर्बाद कर सकता है। इससे पहले साल 2017-18 में राज्य के कपास किसानों को इस कीड़े की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
साल 2017-18 जैसे हालात नहीं बने, इसके लिए किसानों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। हालांकि अभी ये संकेत अगैती कपास की बुआई में दिखा है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक महाराष्ट्र में इस साल करीब 41.8 लाख हेक्टेयर कपास की बुआई हो चुकी है। जिसमें ज्यादातर खेती मराठवाड़ा और विदर्भ के इलाकों में हुई है।............ आर एस राणा

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