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04 अगस्त 2020

खाद्य तेलों के आयात में कमी करने के लिए उद्योग संगठनों की राय एक दूसरे से जुदा

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य तेलों के बढ़ते आयात पर अंकुश लगाने के लिए उद्योग संगठनों की राय एक दूसरे से अलग-अलग है। सोयाबीन प्रोसेर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने खाद्य तेलों के आयात में कमी करने के लिए आयात का कोटा तय करने का सुझाव सरकार को दिया है, जबकि सॉल्वेंट एक्सटैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार आयात को कोटा तय करने से लाइसेंस राज की वापसी होगी, तथा इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा।
​कोरोना वायरस के कारण घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की मांग में तो कमी आने के बावजूद भी इनकी कीमतों में तेजी आई है। सूत्रों के अनुसार विदेशी बाजार में कीमतों में आई तेजी का असर घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ा है। सोपा ने हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर सोया रिफाइंड तेल के साथ ही सूरजमुखी तेल के आयात के लिए तय करने का सुझाव दिया है, इस पर उद्योग संगठन एसईए ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा है कि इससे सस्ते पाम तेल का आयात बढ़ जाएगा। एसईए के अनुसार तेल के आयात का कोटा तय नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे लाइसेंस राज की वापसी होगी साथ ही भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा। एसईए के अनुसार इस समय सबसे सस्ता पाम तेल है और जब सोया तेल का आयात कम होगा तो पाम तेल का आयात बढ़ जाएगा।
सरकार दलहन समेत कई उत्पादों के आयात को प्रतिबंधित करने के लिए कोटा तय करती है
एसईए के अनुसार खाद्य तेलों के आयात में कमी करने के लिए आयात शुल्क बढ़ाना उचित कदम होगा, लेकिन कोटा तय करना उचित कदम नहीं होगा। सोपा के अनुसार सरकार दलहन समेत कई उत्पादों के आयात को प्रतिबंधित करने के लिए कोटा तय करती है, अत: कोटा तय करने से भ्रष्टाचार बढ़ेगी, यह आशंका निराधार है। सोपा के अनुसार पिछले 25 साल में देश में खाद्य तेलों के आयात में भारी बढ़ोतरी हुई है, जबकि किसानों को उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण इस दौरान तिलहनों का घरेलू उत्पादन केवल 20 से 30 फीसदी ही बढ़ा है। उचित मूल्य नहीं मिलने कारण किसान तिलहन की फसलों की खेती में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं, ऐसे में आयात में कमी लाना जरुरी है। ताकि घरेलू बाजार में तिलहन की कीमतों में सुधार आए, जिससे किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सके।
खाद्य तेल की कुल खपत का करीब दो तिहाई हिस्सा आयात पर निर्भर
देश में खाद्य तेल की कुल खपत का करीब दो तिहाई हिस्सा आयात पर निर्भर है। सोपा के अनुसार देश में खाद्य तेलों की सालाना जरूरत से ज्यादा है, लिहाजा आयात कम करने से खपत में भी कमी आएगी। खाद्य तेलों के अनुसंधान संगठनों के अनुसार, एक व्यक्ति को रोजाना 35-40 ग्राम से ज्यादा तेल नहीं खाना चाहिए, इस आधार पर देश खाद्य तेलों की सालाना खपत 200 लाख टन से भी कम होनी चाहिए जबकि भारत सालाना 150 लाख टन खाद्य तेलों का आयात कर लेता है, साथ ही देश में सालाना 70 से 80 लाख टन का उत्पादन भी होता है। ऐसे में खाद्य तेलों के आयात में कमी करके इसे 120 लाख टन तक करने की जरुरत है।
आयात पर लगाम लगाने के लिए आयात शुल्क में बढ़ोतरी करने का सुझाव
सोपा ने आयात पर लगाम लगाने के लिए आयात शुल्क में बढ़ोतरी करने का सुझाव दिया है। सोपा ने क्रूड सोया तेल पर आयात शुल्क 35 फीसदी से बढ़ाकर 45 फीसदी और क्रुड सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क को 35 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने का सुझाव दिया है। सोपा के अनुसार खाद्य तेल के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना होगा जिसके लिए आयात कम करना जरूरी है। एसईए के अनुसार तिलहन के किसानों को प्रोत्साहन देने और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि करने के साथ ही भावांतर जैसी स्कीम लागू करना जरूरी है।.................. आर एस राणा

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