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01 अगस्त 2020

खाद्य तेलों के आयात में कमी करने के लिए, तिलहन की फसलों पर जोर देगी सरकार

आर एस राणा
नई दिल्ली। दलहन उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता के करीब पहुंचने के बाद केंद्र सराकर अब खाने के तेलों के आयात को लेकर गंभीर हो गई है। सरकार देश में सबसे ज्यादा खपत और आयात होने वाले पाम तेल का उत्पादन बढ़ने पर जोर देगी।
केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों में पाम की खेती बढ़ने की योजना पर काम कर रही है। इसके तहत देश में पाम तेल की खेती को बढ़ाकर 19 लाख हेक्टेयर करने की योजना है। इसके लिए बकायदा नई पौधशालाएं तैयार की जा रही हैं। फिलहाल भारत में करीब 3.5 लाख हेक्टेयर में पाम की खेती हो रही है। जिससे मुश्किल से 8-10 लाख टन पाम तेल का उत्पादन होता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मुताबिक फिलहाल देश में केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और मिजोरम में कुल चार पौधशालाएं हैं जहां पाम के पौधे तैयार किए जाते हैं। लेकिन पाम की खेती में लक्षित ग्रोथ के लिए ये पर्याप्त नहीं हैं। लिहाजा सरकार देश में 7 और पौधशालाएं तैयार कर रही है। जिनके जरिए अगले 6 साल के भीतर पाम के पौधे तैयार करने की योजना है। वहीं फिलहाल की जरूरत के लिए भारत में थाईलैंड और कोस्टारिका (अमेरिका) से पाम के नये पौधे इंपोर्ट भी किए जा रहे हैं।
दरअसल साल 2018 में गठित वैज्ञानिकों की एक कमेटी ने पाम की खेती को 27 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने की सिफारिश की थी। लिहाजा इस दिशा में भारत घरेलू स्तर पर पाम की खेती को बढ़ावा देने के लिए इसकी देसी नस्लें भी विकसित कर चुका है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने पाम के जिस हाईब्रिड सीड को विकसित किया है, उससे प्रति हेक्टेयर 5-6 टन पाम तेल का उत्पादन किया जा सकेगा। जानकारों का मानना है की पैदावार की ये दर मलेशिया के बराबर है, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पाम तेल उत्पादक देश है।
जानकारों के अनुसार देश को तिलहन के मामले में आत्मनिर्भर बनान बेहद जरूरी है, लेकिन इसके लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। सबसे पहले साल 1988 में छड्डा कमिटी ने देश में करीब 8 लाख हेक्टेयर में पाम की खेती की सिफारिश की थी, लेकिन 30 साल से ज्यादा हो गए, फिलहाल 4 लाख हेक्टेयर से भी कम में यहां पाम की खेती हो पा रही है। इसके बाद कुछ साल पहले यहां करीब 18 लाख हेक्टेयर में पाम की खेती की जरूरत बताई गई थी, जो पूरी तरह से ठंडे बस्ते में चला गया था। देश की आत्मनिर्भरता के लिए सरसों, मूंगफली और सोयाबीन की पैदावार बढ़ाने पर भी फोकस किया जा सकता है। जो फिलहाल नहीं हो रहा है।
भारत में पाम की खेती के लिए पूर्वोत्तर के राज्यों की जलवायु सबसे मुफीद है। हालांकि सरकार पूर्वोत्तर के साथ समुद्र तटीय राज्यों में भी इसकी खेती की योजनाओं पर काम कर रही है। भारत में खाने के तेलों की घरेलू खपत का 70 फीसदी आयात करना पड़ता है। आयातित तेलों में 80-90 फीसदी की हिस्सेदारी पाम तेल की है, जो मलेशिया और इंडोनेशिया से आयात होता है। .............. आर एस राणा

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