आर एस राणा
नई
दिल्ली। बासमती चावल के निर्यातकों को ईरान से पैमेंट मिलने में देरी हो
रही है, जिस कारण निर्यातक नए सौदें सीमित मात्रा में ही कर रहे हैं। भारत
से होने वाले बासमती चावल के कुल निर्यात में ईरान की हिस्सेदारी सबसे
ज्यादा है, इसलिए चालू वित्त वर्ष 2020-21 में देश से होने वाले बासमती
चावल के कुल निर्यात में कमी आने की आशंका है।
करनाल के एक निर्यातक के
अनुसार ईरान से पैमेंट मिलने में देरी हो रही है, जिस कारण निर्यातक सीधे
निर्यात के सौदे सीमित मात्रा में ही कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यूको
बैंक और आईडीबीआई बैंक के माध्यम से भुगतान हो रहा था, लेकिन अब इसमें देरी
हो रही है, जिसका असर चालू वित्त वर्ष में देश से होने वाले कुल निर्यात
पर पड़ने की आशंका है।
सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 की
पहली तिमाही में देश से 4.92 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ है जिसमें
ईरान की हिस्सेदारी मात्र 51 हजार टन के करीब है। हरियाणाा के कैथल के
बासमती चावल के एक निर्यातक के अनुसार ईरान को देश से सीधे निर्यात सौदे कम
हो रहे हैं, जबकि जो निर्यात इस समय हो रहा है, वह वाया दुबई ज्यादा हो
रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि अन्य देशों खासकर यूरोपीय यूनियन और सऊदी
अरब तथा अन्य देशों को चालू वित्त वर्ष में ज्यादा निर्यात सौदे हो रहे
हैं।
एपीडा के अनुसार ईरान भारत से सबसे ज्यादा बासमती चावल का आयात
करता है, तथा वित्त वर्ष 2019-20 में ईरान ने भारत से कुल 13.19 लाख टन
बासमती चावल का आयात किया है जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2018-19 के 14.83
लाख टन से कम है। वित्त वर्ष 2019-20 में देश से कुल बासमती चावल का
निर्यात 44.54 लाख टन का हुआ है जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष के 44.14 लाख
टन से कम है।
दिल्ली की नरेला मंडी के धान कारोबारी ने बताया कि इस समय
धान में मिलों की मांग कमजोर है, तथा अगले महीने उत्तर प्रदेश से पूसा
1,121 बासमती धान की आवक शुरू हो जायेगी। इसलिए घरेलू मंडियों में आगे धान
के साथ ही चावल की कीमतों में भी मंदा आने का अनुमान है। हरियाणा की
मंडियों में पूसा 1,121 बासमती चावल सेला का भाव 5,150 से 5,200 रुपये और
पूसा 1,121 बासमती धान का भाव 3,150 से 3,200 बोला गया। कमजोर मांग के कारण
आगे मौजूदा कीमतों में और मंदा आयेगा।............ आर एस राणा
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