आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू मानसूनी सीजन के पहले तीन महीनों जून से अगस्त के दौरान देशभर में सामान्य से 10 फीसदी अधिक बारिश हुई है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार पहली जून से 31 अगस्त तक देशभर में 780.3 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि सामान्यत: इस दौरान 710.4 मिलीमीटर बारिश होती है। देशभर के 58 फीसदी हिस्से में इस दौरान सामान्य बारिश हुई है, जबकि 25 फीसदी में सामान्य से ज्यादा और पांच फीसदी में समान्य से अत्याधिक बारिश हुई है। हालांकि अभी भी 12 फीसदी हिस्से में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है।
दालों की कीमतों में बना रहेगा सुधार
मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में भारी बारिश से कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं, जिससे खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन के साथ ही दलहनी फसलों मूंग, उड़द और अरहर को नुकसान की आशंका है। भारी बाढ़ और बारिश से कई राज्यों में सब्जियों की फसलों को भी नुकसान हुआ है, जिससे सब्जियों के दाम उंचे बने हुए हैं। इसलिए दालों की कीमतों में घरेलू बाजार में और भी सुधार आने का अनुमान है।
निम्न दबाव का क्षेत्र आगे बढ़ते हुए पहुंचा पश्चिमी राजस्थान में
स्काईमेट के अनुसार निम्न दबाव का क्षेत्र आगे बढ़ते हुए अब पश्चिमी राजस्थान पर पहुँच गया है। यह इसी तरह से पश्चिमी दिशा में आगे निकल जाएगा और कमजोर हो जाएगा। मानसून की अक्षीय रेखा इस निम्न दबाव के क्षेत्र से उत्तर प्रदेश में बांदा होते हुए पूर्वोत्तर भारत में हिमालय के तराई क्षेत्रों में पहुँच गई है। आंध्रप्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र से दक्षिणी तमिलनाडु तक लगभग 1.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक ट्रफ बना हुआ है।
आगामी 24 घंटों का मौसमी पूर्वानुमान
अगले 24 घंटों के दौरान दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान, गुजरात के कच्छ क्षेत्र, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम के कुछ हिस्सों, मेघालय, दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक, केरल के कुछ हिस्सों और तमिलनाडु के आंतरिक भागों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना है। जम्मू कश्मीर, गिलगित बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, पूर्वोत्तर भारत के शेष हिस्सों, गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा के कुछ भागों, तटीय आंध्र प्रदेश और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान के बाकी हिस्सों, दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश, कोंकण गोवा और तटीय कर्नाटक में कुछ स्थानों पर वर्षा के आसार हैं। तेलंगाना, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक, रायलसीमा, छत्तीसगढ़, बिहार और हरियाणा में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हो सकती है।
पिछले 24 घंटों में कैसा रहा मौसम
बीते 24 घंटों के दौरान राजस्थान, गुजरात और कोंकण और गोवा के पश्चिमी हिस्सों में भीषण बारिश दर्ज की गई है। पूर्वी राजस्थान, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और असम में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हुई। जम्मू कश्मीर, गिलगित बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश के पश्चिमी और उत्तरी भागों, दक्षिण भारत में कर्नाटक, तमिलनाडु अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। ओडिशा, पूर्वोत्तर भारत के बाकी हिस्सों, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और तटीय ओडिशा में भी कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा दर्ज की गई।........ आर एस राणा
31 अगस्त 2020
मानसून सीजन के पहले तीन महीनों में सामान्य से 10 फीसदी अधिक हुई बारिश
सितंबर के लिए 22 लाख टन चीनी का कोटा जारी, ज्यादा कोटे से कीमतें रुकेंगी
आर एस राणा
नई दिल्ली। त्यौहारी सीजन को देखते हुए केंद्र सरकार सितंबर के लिए 22 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है जोकि अगस्त के मुकाबले करीब डेढ़ लाख टन ज्यादा है। पहली अक्टूबर 2020 से नया पेराई सीजन आरंभ होगा, ऐसे में कोटा ज्यादा होने से कीमतें रुकने की संभावना है।
व्यापारियों के अनुसार कोटा अधिक मात्रा में जारी करने से चीनी की कीमतों पर दबाव बनेगा, हालांकि खपत का सीजन है इसलिए मौजूदा भाव में ज्यादा मंदा तो नहीं आयेगा, लेकिन इससे तेजी नहीं बन पायेगी। पहली अक्टूबर 2020 से चीनी का नया पेराई सीजन आरंभ होगा, हालांकि मिलों में पेराई नवंबर में ही शुरू होने की उम्मीद है तथा पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 300 लाख टन से ज्यादा का होने का अनुमान है जबकि चालू पेराई सीजन में 272 लाख टन से ज्यादा है।
चालू पेराई सीजन 2019-20 के अंतिम महीने के लिए सरकार ने चीनी की ज्यादा कोटा जारी किया है। इस साल जनवरी के बाद पहली बार 22 लाख टन चीनी का कोटा सितंबर के लिए जारी हुआ है। पिछले साल सितंबर में सरकार मे 19.5 लाख टन का कोटा जारी किया था। जबकि इस साल अगस्त में यानी पिछले महीने के लिए 20.5 लाख टन का कोटा जारी हुआ था। कारोबारियों के मुताबिक अभी भी चीनी की खपत सामान्य से कम है क्योंकि सामाजिक समारोह और होटल तथा रेस्त्रा आदि में लोग नहीं जा रहे हैं।.......... आर एस राणा
हरियाणा में कपास की फसल पर सफेद मक्खी का प्रकोप, कमजोर मांग से भाव में नरमी
आर एस राणा
नई दिल्ली। हरियाणा के हिसार और सिरसा जिलों में कपास की फसल पर सफेद मक्खी का प्रकोप देखा गया, जबकि मांग कमजोर होने के कारण हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में कपास की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। मध्य प्रदेश और गुजरात की मंडियों में इसके भाव स्थिर बने रहे।
हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि उनके विभाग के अधिकारी हिसार और सिरसा जैसे कपास उत्पादक जिलों में कपास की फसल पर सफेद मक्खी के हमलों की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खरीफ सीजन के दौरान कपास की फसलों को सफेद मक्खी के हमले से बचाने के लिए, कृषि और किसान कल्याण विभाग ने किसानों को एहतियाती उपाय करने की सलाह दी है, जिसमें नीम के तेल के घोल आदि का उपयोग करना और कीटों की निगरानी करना शामिल है।
मंत्री ने कहा कि विभाग के अधिकारी सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, जींद और भिवानी जिलों में सफेद मक्खी की घटनाओं की निगरानी कर रहे हैं। इन जिलों की राज्य के कपास उत्पादन में करीब 80 फीसदी हिस्सेदारी है। दलाल ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू), हिसार के वैज्ञानिकों ने भी स्थिति का जायजा लेने और उपाय सुझाने के लिए विभिन्न जिलों में खेतों का दौरा किया है।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने राज्य में कपास की फसल के नुकसार से प्रभावित किसानों के लिए प्रति एकड़ कम से कम 30,000 रुपये के मुआवजे की मांग की है। हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता ने मांग की कि इससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। इसलिए, सरकार को बिना किसी और देरी के एक विशेष गिरदावरी (राजस्व सर्वेक्षण) करवाकर उनकी भरपाई करनी चाहिए। हुड्डा ने कहा कि किसानों ने कपास की अच्छी पैदावार लेने के लिए बीज आदि पर काफी खर्च किया लेकिन फसल तैयार होने से पहले ही इस बीमारी ने सब कुछ नष्ट कर दिया। ऐसी स्थिति में किसानों को उचित मुआवजा देना सरकार की जिम्मेदारी है।
यार्न मिलों की मांग में आई कमी के कारण मध्य प्रदेश, गुजरात में जहां कपास की कीमतें स्थिर बनी रही, वहीं उत्तर भारत की मंडियों में इसके भाव में गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार उत्तर भारत की मंडियों में नई कपास की आवक शुरू हो गई है तथा आगे मौसम साफ रहने पर दैनिक आवक और बढ़ेगी। वैसे भी चालू खरीफ में उत्तर भारत के साथ ही गुजरात को छोड़ अन्य राज्यों में कपास की बुआई में बढ़ोतरी ही हुई है।....... आर एस राणा
29 अगस्त 2020
उड़द और अरहर में आयातक बढ़ा रहे हैं भाव, आगे मंदा ही आने का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। आयात सौदें उंचे होने की वजह से उड़द के साथ अरहर की कीमतों में चालू सप्ताह में तेजी आई है। उड़द एफएक्यू के भाव चैन्नई में बढ़कर 6,200 से 6,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं जबकि अरहर के भाव दिल्ली में बढ़कर 5,925 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
अगले महीने बढ़ेगी नई उड़द की आवक
महाराष्ट्र, कर्नाटक में आगे नई उड़द की आवक बढ़ेगी, तथा चालू सीजन में उत्पादन अनुमान ज्यादा है। इसलिए आगे.................................. पूरी खबर के लिए हमसे जुड़े।
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फसलों की बुआई कैसी रहेगी, किन भाव पर स्टॉक करने से मिलेगा फायदा। बाजरा,
मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, केस्टर सीड और ग्वार सीड का भविष्य कैसा
रहेगा, इनके निर्यात-आयात की क्या हैं संभावनाएं, इन सभी की स्टीक जानकारी
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आर एस राणा
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अगस्त में सामान्य से 25 फीसदी अधिक हुई बारिश, 44 साल में सर्वाधिक - मौसम विभाग
आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के अनुसार देश में अगस्त के महीने में पिछले 44 साल में सबसे ज्यादा बारिश हुई है जहां देश के कई हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। मध्य प्रदेश के सीहोर, होशंगाबाद और नर्मदा के किनारे बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है, इसके अलावा उत्तर प्रदेश के करीब 18 जनपद बाढ़ से प्रभावित है। गुजरात के भी कई जिलों में भारी बारिश से फसलों को नुकसान की आशंका है।
बिहार, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात और गोवा में ज्यादा बारिश
आईएमडी के अनुसार अगस्त महीने में 28 तारीख तक 25 फीसदी अधिक वर्षा दर्ज की गई है। इससे पहले 1983 में अगस्त महीने में सामान्य से 23.8 फीसदी अधिक वर्षा हुई थी। देश में अब तक कुल मिलाकर सामान्य से नौ फीसदी अधिक बारिश हुई है। बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात और गोवा में अधिक बारिश दर्ज की गयी है, वहीं सिक्किम में अत्यधिक वर्षा हुई है। कई राज्यों में नदियों में उफान के साथ बाढ़ के हालात हैं।
कई राज्यों में नदिया का जलस्तर सामान्य से ज्यादा
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अनुसार देश में 27 अगस्त तक जलाशयों की कुल क्षमता पिछले साल इस अवधि से बेहतर है। यह पिछले दस साल में इसी अवधि में औसत भंडारण क्षमता से भी बेहतर है। सीडब्ल्यूसी ने कहा कि गंगा, नर्मदा, तापी, माही, साबरमती की नदी घाटियों में, कच्छ, गोदावरी, कृष्णा, महानदी और कावेरी तथा दक्षिण भारत में पश्चिम की ओर बहती नदियों में पानी का स्तर सामान्य से अधिक है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड में इस साल कम बारिश हुई है।
कई राज्यों में खरीफ फसलों को नुकसान की आशंका
देश में सामान्य मानसून का मौसम एक जून से 30 सितंबर तक होता है। जून में देशभर में 17 फीसदी अधिक वर्षा हुई थी, वहीं जुलाई में सामान्य से 10 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई जबकि अगस्त में बारिश सामान्य से 25 फीसदी हुई है। कई राज्यों में हुई ज्यादा बारिश सोयाबीन, उड़द, मूंग के साथ ही सब्जियों की फसलों को नुकसान होने का अनुमान है।............. आर एस राणा
28 अगस्त 2020
उत्तर एवं दक्षिण के राज्यों में बारिश का अनुमान, देशभर में सामान्य से 9 फीसदी अधिक
आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 28 अगस्त तक देशभर में सामान्य से 9 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इस दौरान सामान्यत: 689.4 मिलीमीटर बारिश होती है लेकिन चालू सीजन में अभी तक 749.6 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। पूर्वोत्तर के साथ ही मध्य भारत और दक्षिण भारत में बारिश अभी तक सामान्य से ज्यादा हुई है, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में सामान्य से 11 फीसदी कम बारिश हुई है।
स्काईमेट के अनुसार गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तरी छत्तीसगढ़ और इससे सटे पूर्वी मध्य प्रदेश पर है। इस सिस्टम के साथ-साथ एक चक्रवाती सिस्टम भी चल रहा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 7.6 किमी है। मानसून की अक्षीय रेखा इस समय गंगानगर, दिल्ली, बरेली, मध्य प्रदेश पर बने निम्न दबाव के क्षेत्र से झारसुगुदा, बालासोर और उसके बाद बंगाल की खाड़ी पर बनी है। दक्षिणी पाकिस्तान पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। उत्तर-दक्षिणी ट्रफ रायलसीमा से दक्षिणी तमिलनाडु तक बनी है।
आगामी 24 घंटों के दौरान देश में कहां-कहां होगी बारिश
अगले 24 घंटों के दौरान छत्तीसगढ़ में बारिश की गतिविधियां कम हो जाएंगी। हालांकि अगले 12 घंटों तक अच्छी बारिश कुछ स्थानों पर बनी रहेगी। मध्य प्रदेश के मध्य और पूर्वी हिस्सों में मूसलाधार वर्षा जारी रहने की संभावना है। उत्तरी तेलंगाना, कोंकण गोवा, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में हल्की से मध्यम वर्षा के साथ कुछ स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है। उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, गुजरात और दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में भी हल्की से मध्यम वर्षा के आसार हैं। तेलंगाना, बिहार, झारखंड, तटीय कर्नाटक में हल्की बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर मध्यम वर्षा का अनुमान है। ओडिशा, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, तमिलनाडु और केरल में भी हल्की बौछारें गिर सकती हैं।
पिछले 24 घंटों में किन राज्यों में हुई ज्यादा बारिश
बीते 24 घंटों के दौरान छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के पूर्वी तथा मध्य भागों में भीषण मानसूनी वर्षा दर्ज की गई। मेघालय में भी मध्यम से भारी बारिश कई स्थानों पर देखने को मिली। जम्मू कश्मीर, गिलगित, बाल्टिस्तान, मुज़फ्फ़राबाद और हिमाचल प्रदेश में भी हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर मूसलाधार वर्षा हुई। उत्तरी पंजाब, दक्षिणी गुजरात, दक्षिणी कोंकण गोवा क्षेत्र में हल्की से मध्यम बारिश की गतिविधियां कुछ स्थानों पर हुई हैं। एक-दो स्थानों पर तेज़ बारिश भी हुई। उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर भारत, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तटीय कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों और अंडमान व निकोबार में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा हुई। ................ आर एस राणा
पिछले चार महीनों में डॉलर के मुकाबले पांच फीसदी मजबूत हुआ रुपया
आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार में तेजी से देसी करेंसी रुपया भी मजबूत हुआ है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया बीते चार महीने में करीब पांच फीसदी मजबूत हुआ है। डॉलर के मुकाबले रुपये में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन बढ़त दर्ज की गई। देसी करेंसी पिछले सत्र से 0.75 फीसदी तेजी के साथ 73.33 रुपये प्रति डॉलर पर बनी हुई थी जबकि इससे पहले 73.28 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंची थी।
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ने बताया कि कोरोना काल में बीते चार महीने में डॉलर के मुकाबले जबरदस्त मजबूती दर्ज करने वाली मुद्राओं में रुपया शामिल है। उन्होंने बताया कि घरेलू शेयर बाजार में आई जबरदस्त तेजी और डॉलर का इन्फ्लो बढ़ने से देसी करेंसी को मजबूती मिली है। डॉलर के मुकाबले रुपया पांच मार्च के बाद के सबसे ऊंचे स्तर पर है जब देसी करेंसी 73.04 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर बनी हुई थी। घरेलू शेयर बाजार भी बीते करीब छह महीने की ऊंचाई पर बना हुआ है।
कोरोना काल के आरंभिक दिनों में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले देसी करेंसी में कमजोरी आई थी जब रुपया डॉलर के मुकाबले 76.96 रुपये प्रति डॉलर तक फिसला था। उसके बाद अब तक रुपये में करीब पांच फीसदी की मजबूती आई है। दोपहर को बीएसई का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स पिछले सत्र से 305 अंकों यानी 0.78 फीसदी की बढ़त के साथ 39,418.47 पर कारोबार कर रहा था और एनएसई का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 83.25 अंकों यानी 0.72 फीसदी की तेजी के साथ 11,642.50 पर बना हुआ था। दुनिया की छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत का सूचक डॉलर इंडेक्स बीते सत्र से 0.53 फीसदी की तेजी के साथ 92.50 पर कारोबार कर रहा था।............ आर एस राणा
खरीफ फसलों की बुआई का आकड़ा 1,082 लाख हेक्टेयर के पार, सामान्य से भी ज्यादा
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 28 अगस्त तक फसलों की बुआई बढ़कर 1,082.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई 1,009.98 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। सामान्यत खरीफ में 1,066.44 लाख हेक्टेयर में ही फसलों की बुआई होती है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दलहन के साथ ही तिलहन की रिकार्ड बुआई हुई है जककि धान की रोपाई की रोपाई भी सामान्य क्षेत्रफल से ज्यादा हुई है।
दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 4.60 फीसदी बढ़कर 134.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है पिछले साल इस समय तक 128.65 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। खरीफ सीजन में सामान्यत: 128.88 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई होती है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में 5.72 फीसदी बढ़कर 47.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 44.55 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। इसी तरह से उड़द की बुआई बढ़कर 37.52 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 34.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 37.09 एवं 30.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
धान की रोपाई के साथ मोटे अनाज की बुआई बढ़ी
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 9.99 फीसदी बढ़कर 389.81 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 354.41 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में 2.55 फीसदी बढ़कर 176.89 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 172.49 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 16.29 और बाजरा की 67.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 16.18 और 65.46 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मक्का की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 80.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 78.86 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। रागी की बुआई भी बढ़कर चालू खरीफ में 8.90 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल 7.61 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
मूंगफली और सोयाबीन की बुआई में भारी बढ़ोतरी
तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 13.04 फीसदी बढ़कर 193.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 170.99 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: खरीफ में इनकी बुआई 178.08 लाख हेक्टेयर में ही होती है। तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई 120.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि सामान्य क्षेत्रफल 112.70 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा है। पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुआई 112.70 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुआई बढ़कर 50.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 37.07 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: मूंगफली की बुआई 41.41 लाख हेक्टेयर में ही होती है। केस्टर सीड की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 6.52 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 6.45 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
कपास की बुआई में 2.80 फीसदी की बढ़ोतरी
कपास की बुआई चालू खरीफ में 2.80 फीसदी बढ़कर 128.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 124.90 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: कपास की बुआई 120.97 लाख हेक्टेयर में होती है। गन्ने की बुआई चालू सीजन में 52.29 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 51.68 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।............. आर एस राणा
27 अगस्त 2020
कई राज्यों में बाढ़ का खतरा, उत्तर भारत में बारिश के आसार
आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में नदियां उफान पर है, जिससे कई जगहों पर बाढ़ जैसे हालात बनने खरीफ फसलों को भी नुकसान की आशंका है। मौसम विभाग के अनुसार ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पूर्व मध्य प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा पश्चिमी मध्य प्रदेश के उपखंड के कुछ क्षेत्रों में अगले 24 घंटों के दौरान अचानक से आने वाली बाढ़ (फ्लैश फ्लड) का पूर्वानुमान है।
राजधानी दिल्ली में बीते तीन दिन से उमस से परेशान लोगों को बृहस्पतिवार को राहत मिल सकती है। मौसम विभाग के अनुसार बृहस्पतिवार और शुक्रवार को अच्छी-खासी बारिश हो सकती है। कुछ इलाकों में तेज बारिश तो कुछ इलाकों में मध्यम स्तर की बारिश हो सकती है। इस कारण से तापमान में भी गिरावट दर्ज होगी। मौसम विभाग ने बृहस्पतिवार से उत्तर भारत के इलाकों हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, पंजाब व दिल्ली में तेज बारिश की संभावना जताई है। दो दिन बारिश होने के कारण तापमान में गिरावट आयेगी।
स्काईमेट के अनुसार गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र इस समय ओडिशा और इससे सटे झारखंड के ऊपर पहुँच गया है। यह सिस्टम अगले 3-4 दिनों के दौरान पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश पर पहुंचेगा। उत्तर-पश्चिमी राजस्थान और इससे सटे पंजाब व हरियाणा के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। उत्तर से दक्षिण एक ट्रफ आंध्र प्रदेश के रायलसीमा से तामिलनाडु के ऊपर तक पहले की तरह प्रभावी है। पूर्वोत्तर भारत में दक्षिणी असम के ऊपर हवाओं में एक चक्रवाती क्षेत्र दिखाई दे रहा है।
आगामी 24 घंटों के दौरान देश में कहाँ सक्रिय होगा मानसून
अगले 24 घंटों के दौरान उत्तर-पश्चिमी ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पूर्वी मध्य प्रदेश पर मानसून का व्यापक प्रदर्शन दिखेगा। इन भागों में मध्यम से भारी बारिश कई जगहों पर जारी रहेगी। महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के भी कुछ हिस्सों में मध्यम से तेज मानसूनी वर्षा जारी रहने के आसार हैं। पश्चिमी मध्य प्रदेश, मराठवाड़ा, कोंकण गोवा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश के साथ एक-दो जगहों पर मध्यम बौछारें गिर सकती हैं। पूर्वी राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश और कोंकण गोवा में बारिश की गतिविधियां कल से बढ़ सकती हैं।
पिछले 24 घंटों में कैसा रहा मानसून का प्रदर्शन
बीते 24 घंटों के दौरान ओडिशा, छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में मॉनसून व्यापक रूप में सक्रिय रहा और इन भागों में मध्यम से भारी बारिश दर्ज की गई। पूर्वोत्तर भारत, बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तामिलनाडु, तेलंगाना के कुछ भागों, तटीय कर्नाटक, गुजरात और आंतरिक महाराष्ट्र में भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम मानसून बौछारें देखने को मिलीं। पूर्वी राजस्थान, केरल और आंतरिक कर्नाटक में भी कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा हुई। देश के बाकी हिस्सों पर मानसून कमजोर रहा और मौसम मुख्यतः शुष्क बना रहा। ............. आर एस राणा
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 49 फीसदी घटा
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 49.13 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 59,775 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 1,16,005 टन का निर्यात हुआ था।
एपीडा के अनुसार अप्रैल और मई के मुकाबले ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में सुधार तो आया है लेकिन कुल निर्यात अभी सामान्य की तुलना में कम हो रहा है। जून महीने में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 31,189 टन का हुआ है जबकि पिछले साल जून में इनका निर्यात 32,127 टन का हुआ था। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के अप्रैल, मई में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात केवल 28,586 टन का ही हुआ था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात मूल्य के हिसाब से 499 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इनका निर्यात 985 करोड़ रुपये का हुआ था। चालू फसल सीजन में बुआई में कमी बताकर स्टॉकिस्ट भाव तेज करना चाहते हैं, लेकिन एक तो बकाया स्टॉक ज्यादा है, दूसरा ग्वार गम उत्पादों में निर्यात मांग भी कमजोर है। इसलिए इसके मौजूदा भाव में बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।
प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में चालू सीजन में ग्वार सीड की बुआई 23.84 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 27.52 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। सामान्यत: राजस्थान में ग्वार सीड की बुआई 30 लाख हेक्टेयर में होती है। उधर गुजरात में चालू खरीफ में ग्वार सीड की बुआई बढ़कर 1.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.12 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। गुजरात में ग्वार सीड की बुआई 1.60 लाख हेक्टेयर में होती है। ................ आर एस राणा
पहली तिमाही में बासमती के साथ ही गैर-बासमती चावल का निर्यात बढ़ा
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 11.07 फीसदी की और गैर बासमती चावल के निर्यात 58.60 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जून में बासमती चावल का निर्यात 4.10 लाख टन का और गैर-बासमती चावल का निर्यात 8.14 लाख टन का हुआ है।
एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 12.84 लाख टन का हुआ है जोकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 11.56 लाख टन से 11.07 फीसदी ज्यादा है। हालांकि मूल्य के हिसाब से पहली तिमाही में बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है। चालू वित्त वर्ष पहली तिमाही में केवल 8,698 करोड़ रुपये मूल्य का ही बासमती चावल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 8,729 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था।
गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बढ़कर 19.27 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की तिमाही में केवल 12.15 लाख टन का ही निर्यात हुआ था। मूल्य के हिसाब से गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में 5,853 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 3,435 करोड़ रुपये मूल्य का ही निर्यात हुआ था।
दिल्ली की नरेला मंडी में गुरूवार को पूसा 1,509 धान की दैनिक आवक 5,000 बोरी की हुई तथा भाव 1,800 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार रहे। पूसा 1,121 बासमती चावल का भाव मंडी में 2,800 से 2,900 रुपये प्रति क्विंटल रहा। व्यापारियों के नई फसल को देखते हुए धान में चावल मिलों की मांग कमजोर है, इसलिए आगे धान के भाव में और भी मंदा आने का अनुमान है।
धान की रोपाई चालू खरीफ में 11.71 फीसदी बढ़कर 378.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 338.65 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।............... आर एस राणा
26 अगस्त 2020
उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में बारिश का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। स्काईमेट के अनुसार गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तरी तटीय ओडिशा और इससे सटे भागों पर बना हुआ है। इसके पास बना चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र की ऊंचाई इस समय लगभग साढ़े 7 किलोमीटर है। दक्षिणी राजस्थान और इससे सटे भागों पर बना निम्न दबाव का क्षेत्र अब आगे बढ़ते हुए दक्षिणी पाकिस्तान पर पहुँच गया है। मानसून की अक्षीय रेखा इस समय बीकानेर से हिसार, बरेली, गोरखपुर, पटना और धनबाद होते हुए ओडिशा पर बने निम्न दबाव के क्षेत्र तक पहुँच रही है। दक्षिण भारत में रायलसीमा से दक्षिणी तमिलनाडु तक एक ट्रफ रेखा बनी हुई है।
आगामी 24 घंटों के दौरान देश में कहाँ सक्रिय होगा मानसून
अगले 24 घंटों के दौरान उत्तराखंड, पूर्वी मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है। विदर्भ, तेलंगाना, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश भी हो सकती है। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्सों, बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर भारत, गुजरात, कोंकण गोवा, केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं।
पिछले 24 घंटों में कैसा रहा मानसून का प्रदर्शन
बीते 24 घंटों के दौरान ओडिशा, गंगीय पश्चिम बंगाल और झारखंड पर मॉनसून उग्र। कई जगहों पर भारी से अति भारी बारिश दर्ज की गई। दक्षिणी राजस्थान पर बीते 24 घंटों तक मानसून का सक्रिय रूप दिखा और कुछ स्थानों पर मध्यम से भारी वर्षा हुई। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, बिहार के कुछ हिस्सों, पूर्वोत्तर भारत, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान के बाकी भागों, गुजरात में भी हल्की से मध्यम बारिश कुछ स्थानों पर दर्ज की गई। पश्चिमी तटों पर कोंकण गोवा से लेकर तटीय कर्नाटक तक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में भी कुछ हिस्सों पर मॉनसून वर्षा हुई है। आंतरिक कर्नाटक, विदर्भ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा दर्ज की गई। .............. आर एस राणा
मलेशिया में पॉम तेल बढत पर हुआ बंद, घरेलू बाजार में भाव बढ़े
आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत के प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल को नुकसान की खबरों के बीच मलेशिया में पाम तेल वायदा करीब एक फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुआ। हालांकि दिन कारोबार करते इसमें तेज उतार चढ़ाव देखने को मिला।
बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव पर क्रूड पाम तेल का नवंबर वायदा महज 30 रिंगिट या 1.1 फीसदी की बढ़त के साथ 2,645 रिंगिट प्रति टन पर कारोबार किया। दिन के कारोबार में इसका भाव 2,614 रिंगिट तक गिर गया था जबकि कल ये एक महीने के निचले स्तर पर बंद हुआ था। कार्गो सर्वेयर्स एजेंसियों मे 1-25 अगस्त के दौरान मलेशिया के पाम तेल निर्यात में करीब 14.3-16.2 फीसदी गिरावट का अनुमान है।
व्यापारियों के अनुसार मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल को नुकसान की आशंका के बीच पाम तेल की कीमतों को सपोर्ट मिला है। वहीं विश्व बाजार में सोया तेल की कीमतों में तेजी से भी पाम तेल को सहारा मिला है। हालांकि पाम तेल के जानकार थॉमस मिल्के ने आगे इसकी कीमतों में गिरावट की आशंका जताई है। मिल्के के मुताबिक जुलाई से दिसंबर के दौरान मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन बढ़ सकता है। वहीं सोया तेल के मुकाबले इसका स्प्रेड काफी कम रह गया है। ऐसे में इसकी मांग पर असर पड़ने से कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है। उन्होंने आने वाले दिनों में 2,400-2,600 रिंगिट के दायरे में रहने की उम्मीद जताई है। ..... आर एस राणा
एमपी में बारिश और वायरस अटैक से सोयाबीन को 10-12 फीसदी नुकसान की आशंका
आर एस राणा
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में भारी बारिश और वायरस से सोयाबीन की फसल को नुकसान हुआ है, जिससे उत्पादन अनुमान में 10 से 12 फीसदी की कमी आने की आशंका है। महाराष्ट्र और राजस्थान में अभी तक फसल को नुकसान के समाचार नहीं है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) द्वारा जारी पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार राज्य में 58.53 लाख टन होने का अनुमान था जिसमें अब की स्थिति के अनुसार 10 से 12 फीसदी का नुकसान हो सकता है। पिछले साल राज्य में 40.10 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था। सोपा के अनुसार राज्य के इंदौर, उज्जैन, देवास, महु, धार, झाबुआ, खंडवा, राजगढ़, रतलाम और शाजापुर जैसे इलाकों में नुकसान ज्यादा है।
राज्य के कई जिलों में सोयाबीन की फसल पीली पड़ गई है
मध्य प्रदेश में सोयाबीन की सबसे ज्यादा खेती मालवा में होता है, तथा यहां के कई इलाकों में सोयाबीन की फसल पीली पड़ गई है। इंदौर स्थिर भारतीय सोयाबीन शोध संस्थान के मुताबिक राज्य के कुछ इलाकों में सोयाबीन की फसल पर पीला मोजाइक वायरस के संक्रमण की सूचना मिली है। इसके संक्रमण से फसल के तनें को छेदकर कीड़े घुस जाते हैं और देखते ही देखते फसल सूखने लगती है। फिलहाल खंडवा और महु समेत कई जिलों के अधिकांश हिस्से में सोयाबीन की फसल पीली पड़ गई है तथा इसकी रोकथाम को लेकर प्रयास जारी है। इस वायरस का संक्रमण उन इलाकों में ज्यादा है, जहां पिछले हफ्ते तेज बारिश हुई है।
खेतों से ऐसे संक्रमित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना ही महज इलाज
मालवा के अलावा राज्य के बाकी हिस्सों में भी हालात चिंताजनक है। क्योंकि उन इलाकों में सोयाबीन की फसल पर फंफूदजनित एंथ्रेकनोज और राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट नाम की बीमारी के भी लक्षण दिखे हैं। पत्तियां खाने वाली इल्लियां भी फसल पर हमलावर हैं। खंडवा, इंदौर, उज्जैन और महु के किसानों की शिकायत है कि हजारों रुपए खर्च करके कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन पीला मोजाइक वायरस से कोई राहत नहीं है। भारतीय सोयाबीन शोध संस्थान ने अपनी एडवायरी में कहा है कि जिन इलाकों में इस वायरस का प्रकोप है, वहां खेतों से ऐसे संक्रमित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना ही महज इलाज है। कीटनाशकों का असर महज सफेद मक्खियों और इल्लियों पर ही दिख सकेगा।
सोपा का उत्पादन अनुमान ज्यादा
धान के साथ ही चावल की कीमतों में आयेगी नरमी, उत्पादन अनुमान ज्यादा
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ मेें धान की रोपाई में हुई बढ़ोतरी से उत्पादन अनुमान ज्यादा है। सितंबर में धान की नई फसल की आवक बढ़ेगी, इसलिए धान के साथ ही चावल की कीमतों में और भी नरमी आने का अनुमान है।
हरियाणा की करनाल और दिल्ली की नरेला मंडी में उत्तर प्रदेश लाइन से पूसा 1,509 नए धान की आवक बढ़ी है, हालांकि नए मालों में नमी की मात्रा 24 से 25 फीसदी की आ रही है इसलिए मंडियों में इसके भाव 2,000 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे बने हुए हैं। अगले महीने हरियाणा और पंजाब की मंडियों में भी पूसा 1,509 नए धान की आवक शुरू हो जायेगी, जबकि सितंबर अंत तक परमल की आवक बनेगी। पूसा 1,121 नए धान की आवक अक्टूबर के अंत और नवंबर में बनेगी। चालू सीजन में उत्पादन अनुमान ज्यादा है, इसलिए आगे धान के साथ ही चावल की कीमतों में और भी 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आने की उम्मीद है। बुधवार को मंडी में पूसा 1,121 धान का भाव 3,100 से 3,150 रुपये और सेला चावल का 5,200 से 5,250 रुपये प्रति क्विंटल रहा। ट्रेडिशनल पूसा बासमती धान का भाव मंडियों में 4,400 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में बासमती एवं गैर बासमती चावल का निर्यात बढ़ा
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में बासमती चावल का निर्यात 8.74 लाख टन का हुआ है जोकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 8.64 लाख टन से थोड़ा ज्यादा है। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में बासमती चावल का निर्यात 5,971 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6,488 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में बढ़कर 11.13 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 7.30 लाख टन का ही निर्यात हुआ था।
धान की रोपाई ज्यादा
धान की रोपाई चालू खरीफ में 11.71 फीसदी बढ़कर 378.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 338.65 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। पंजाब में धान की रोपाई 27.42 लाख हेक्टेयर में और हरियाणा में 13.23 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमश: 29.20 और 12.98 लाख हेक्टेयर में हुई थी। उत्तर प्रदेश में धान की रोपाई 60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 59.89 लाख हेक्टेयर के बराबर ही है। ............. आर एस राणा
प्रतिबंधित दालों के आयातकों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, क्लीयरेंस देने से किया मना
आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बावजूद भी दालों का आयात करने वाले आयातकों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए कहा कि बंदरगाहों पर अटकी दालों को क्लीयरेंस नहीं दी जायेगी, हां आयातक चाहे तो इनका निर्यात कर सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने बंदरगाह पर अटकी पड़ी दालों को क्लीयरेंस देने के मना कर दिया है। आयातकों को राहत के तौर पर महज इतनी ही छूट है कि वे चाहें तो उस स्टॉक को दोबारा निर्यात कर सकते हैं। पिछले साल विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने दलहन आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध लगाते हुए दालों के आयात का कोटा जारी किया था, लेकिन कुछ आयातकों ने डीजीएफटी की अधिसूचना पर स्टे हासिल करके ज्यादा मात्रा में दालों का आयात कर लिया था। आयातकों ने कोर्ट में दलील दी थी कि उन्होनें सरकार के फैसले से पहले ही दलहन के आयात सौदे ज्यादा मात्रा में कर लिए थे, इसलिए सरकार आयात की अनुमति दे। जानकारों के अनुसार बंदरगाहों पर करीब 3 लाख टन से ज्यादा आयातित दालों पड़ी हुई हैं, जिनको क्लीयरेंस नहीं मिल पाई है।
चालू खरीफ में दालों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है तथा मसूर को छोड़ अन्य दालों के भाव पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं, ऐसे में बंदरगाहों पर अटकी दालों को क्लीयरेंस देने से घरेलू बाजार में इनकी कीमतों पर और दबाव बनेगा। दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 6.77 फीसदी बढ़कर 132.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है पिछले साल इस समय तक 124.14 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। खरीफ सीजन में सामान्यत: 128.88 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई होती है।......... आर एस राणा
25 अगस्त 2020
अच्छे मानसून से खरीफ फसलों का उत्पादन बढ़ने का अनुमान - रिपोर्ट
आर एस राणा
नई दिल्ली। देश में खरीफ फसलों का उत्पादन इस वर्ष पांच से छह फीसदी बढ़ने की उम्मीद है। मानसून की अच्छी बारिश और बुआई का रकबा बढ़ने से उत्पादन ज्यादा रहने का अनुमान है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। क्रिसिल रिसर्च ने रिपोर्ट में कहा है कि 21 अगस्त की स्थिति के अनुसार देश में बारिश दीर्घकालिक औसत से सात फीसदी अधिक हुई है।
अच्छी बारिश से अधिकांश राज्यों में फसलों की बुवाई बेहतर रही है। क्रिसिल रिसर्च को उम्मीद है कि खरीफ सत्र 2020 में बुवाई का रकबा दो-तीन फीसदी बढ़कर 10.9 करोड़ हेक्टेयर होने से कृषि उत्पादन में 5-6 फीसदी की वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त उत्पादकता भी दो से तीन फीसदी बढ़ने से, बम्पर खरीफ उत्पादन होने के आसार हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया कि बेहतर बरसात तथा पूर्वी और दक्षिणी दोनों राज्यों में प्रवासी मजदूरों की वापसी के कारण धान की खेती बढ़ना तय है।
उत्पादन अनुमान ज्यादा होने से कीमतों पर रहेगा दबाव
क्रिसिल रिसर्च के निदेशिका हेतल गांधी ने एक वेबिनार में कहा कि प्रवासी मजदूरों के वापस लौटने के कारण पंजाब और हरियाणा में कई किसान धान की सीधी बुवाई कर रहे हैं, जिसकी उत्पादकता कम है। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि इस कमी की भरपाई उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में धान के रकबे में हुई वृद्धि से होगी जहां मजदूर वापस लौट गए हैं। इसके कारण पिछले साल के मुकाबले कुल धान उत्पादन बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि पूर्वी राज्यों में कम लागत के कारण फसल की लाभप्रदता में सबसे अधिक वृद्धि देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों को कपास और मक्का की कीमतें कम होने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 के खरीफ सत्र में अनुकूल फसल मिश्रण (मिले जुले फसलों की खेती) और अधिक मात्रा में सरकारी खरीद के कारण, उत्तरी क्षेत्र सबसे अधिक लाभ में रहेगा। उन्होंने कहा कि फसलों का उत्पादन अनुमान ज्यादा होने से कीमतों पर भी दबाव बना रहने का अनुमान है।
खरीफ में बुआई में हुई बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय के अनुसार 21 अगस्त तक खरीफ फसलों की बुआई का आकड़ा 1,062.93 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुका है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई 979.15 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। सामान्यत: खरीफ सीजन में 1,066.44 लाख हेक्टेयर में ही फसलों की बुआई होती है। मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में खरीफ सीजन में खाद्यान्न का उत्पादन 14.33 करोड़ टन का हुआ था जोकि इसके पिछले साल के 14.15 करोड़ टन से ज्यादा है।............... आर एस राणा
कर्नाटक और महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान में नई मूंग की आवक शुरू
आर एस राणा
नई दिल्ली। कर्नाटक और महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान में नई मूंग की आवक शुरू हो गई है, हालांकि नए मालों में नमी की मात्रा ज्यादा है। मध्य प्रदेश की हरदा मंडी में 4,000 से 6,620 रुपये प्रति क्विंटल के व्यापार हुए तथा आवक करीब 4,000 से 5,000 बोरी की हुई। केकड़ी में 500 बोरी की आवक हुई तथा भाव 5,800 से 6,800 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
कर्नाटक की गडक मंडी में नई मूंग की आवक 6,000 से 7,000 बोरी की हो रही है जबकि भाव 6,000 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे। राज्य की गुलबर्गा मंडी में नई मूंग की आवक 2,000 बोरी की और भाव 5,500 से 6,800 रुपये प्रति क्विंटल रहे। महाराष्ट्र की अहमदनगर मंडी में नई मूंग की आवक 6,000 से 7,000 बोरी की हुई तथा भाव 5,000 से 7,000 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार रहे।
अगले महीने बढ़ेगी नई फसल की आवक
नई खरीफ मूंग की आवक सितंबर के आरंभ में शुरू होती है, जबकि कर्नाटक और महाराष्ट्र की कुछ मंडियों में मध्य अगस्त से ही इसकी आवक शुरू हो गई थी। हालांकि नए मालों में नमी की मात्रा ज्यादा है और बारिश होने की वजह से क्वालिटी पर भी असर पड़ा है। व्यापारियों के अनुसार मौसम साफ होने के बाद आगे नई फसल की आवक बढ़ेगी, तथा चालू खरीफ में बुआई में बढ़ोतरी हुई है जिससे उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। इसलिए आगे इसकी कीमतों में गिरावट ही आने का अनुमान है।
मूंग की बुआई बढ़ने से उत्पादन अनुमान ज्यादा
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में मूंग की बुआई 34 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 29.79 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। सामान्यत: खरीफ सीजन में मूंग की बुआई 30.48 लाख हेक्टेयर में ही होती है। प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में मूंग की बुआई 20.35 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 18.20 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। अन्य राज्यों महाराष्ट्र में 3.84 और कर्नाटक में 3.85 तथा 1.57 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हुई है।
पिछले साल खरीफ में उत्पादन हुआ था ज्यादा
मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 खरीफ सीजन में मूंग का उत्पादन 17.9 लाख टन का हुआ था जबकि इसके पिछले साल इसका उत्पादन 17.8 लाख टन का ही हुआ था। .......... आर एस राणा
24 अगस्त 2020
देशभर में सामान्य से 8 फीसदी ज्यादा हुई बारिश, गुजरात और राजस्थान में सक्रिय रहेगा मानसून
आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार पिछले 24 घंटों में देशभर में सामान्य से 32 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। मध्य भारत के राज्यों में इस दौरान ज्यादा बारिश हुई है, जबकि अगले 24 घंटों के दौरान भी गुजरात और राजस्थान के साथ कई राज्यों में तेज बारिश का अनुमान है।
आईएमडी के अनुसार चालू मानसूनी सीजन पहली जून से 24 अगस्त तक देशभर में सामान्य से 8 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इस दौरान सामान्यत: 660.2 मिलीमीटर बारिश होती है लेकिन चालू सीजन में अभी तक 710.3 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। पूर्वोत्तर के साथ ही मध्य भारत और दक्षिण भारत में बारिश अभी तक सामान्य से ज्यादा हुई है, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में सामान्य से 14 फीसदी कम बारिश हुई है।
देश भर पर बने मानसूनी सिस्टम
स्काईमेट के अनुसार निम्न दबाव का क्षेत्र दक्षिणी राजस्थान पर पहुँच गया है। इसके पास ही एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी बना हुआ है। इस बीच बंगाल की खाड़ी पर एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित हो गया है। मानसून की अक्षीय रेखा जैसलमर और राजस्थान पर बने निम्न दबाव के बीच से गुना, सतना, डाल्टनगंज, बांकुरा, दिघा और बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भागों तक बनी हुई है। पूर्वोत्तर भारत में असम के ऊपर भी एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है।
आगामी 24 घंटों के दौरान देश में कहाँ सक्रिय होगा मानसून
अगले 24 घंटों के दौरान गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ, दक्षिणी राजस्थान, गंगीय पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ हिस्सों मानसून सक्रिय रहेगा। इन भागों में मध्यम से भारी बारिश होने के आसार हैं। पूर्वी बिहार, झारखंड, आंतरिक ओडिशा, मेघालय और नागालैंड में भी हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना है। उत्तर प्रदेश, गुजरात के पूर्वी क्षेत्रों, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, कोंकण गोवा, तटीय कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। दिल्ली और हरियाणा में भी एक-दो स्थानों पर हल्की वर्षा के आसार हैं। आंतरिक महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और आंतरिक कर्नाटक में एक-दो स्थानों पर हल्की बारिश होने की संभावना है।
पिछले 24 घंटों में कहां जोर रहा मानसून का
बीते 24 घंटों के दौरान गुजरात और दक्षिण राजस्थान के अधिकांश हिस्सों पर मानसून सक्रिय बना रहा और भारी वर्षा जारी रही। कुछ हिस्सों में मूसलाधार वर्षा भी देखने को मिली है। आंध्र प्रदेश के रायलसीमा, तमिलनाडु और गंगीय पश्चिम बंगाल में भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ कहीं-कहीं पर भारी बारिश दर्ज की गई। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, ओडिशा के कुछ हिस्सों, मध्य प्रदेश, कोंकण गोवा, तटीय कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर भारत में कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा दर्ज की गई। ............ आर एस राणा
आयातित अरहर और उड़द के भाव तेज, कई राज्यों में फसल खराब होने की आशंका
आर एस राणा
नई दिल्ली। कई राज्यों में रही भारी बारिश से उड़द, मूंग के बाद अब अरहर की फसल को भी नुकसान की आशंका है, इसीलिए स्टॉकिस्टों ने इनके भाव तेज कर दिए हैं। लेमन अरहर पुरानी के भाव 620 डॉलर प्रति टन बोले गए, जबकि उड़द एफएक्यू के भाव 755 डॉलर और एसक्यू के भाव 860 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) हो गए।
पिछले दो-तीन दिनों से मध्य प्रदेश और राजस्थान के साथ ही गुजरात के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश हो रही है जिससे सब्जियों के साथ ही दलहनी फसलों को भी नुकसान की आशंका है। केंद्र सरकार द्वारा तय उड़द के चार लाख टन के कोटे की मियाद 31 अगस्त 2020 को समाप्त हो रही है जबकि अभी तक कुल आयात तीन लाख टन से भी कम ही हुआ है।
उड़द के आयात चाहते हैं केंद्र सरकार समय सीमा बढ़ाये
जानकारों के अनुसार आयातित उड़द के कई बड़े आयातकों के वैसल आ रहे हैं जोकि 31 अगस्त से पहले शायद ही भारतीय बंदरगाह पर पहुंच पायें, इसीलिए आयातक केंद्र सरकार से आयात की समय, सीमा बढ़वाना चाहते हैं। अगले महीने घरेलू फसल की आवक बढ़ेगी, तथा कीमतें पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बनी हुई हैं, ऐसे में शायद ही सरकार आयात की समय को बढ़ाये। उधर अरहर के आयात सौदे आयातक अगले महीने के कर रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार ने अभी तक दाल मिलों को अरहर आयात के लिए लाइसेंस ही जारी नहीं किए हैं।
मूंग, उड़द और अरहर की फसल को ज्यादा नुकसान के समाचार नहीं
व्यापारियों के अभी मूंग, उड़द और अरहर की फसल को ज्यादा नुकसान के समाचार नहीं हैं, उड़द और मूंग की फसल को क्वालिटी को लेकर जरुर नुकसान हो सकता है लेकिन उत्पादन पिछले साल की तुलना में ज्यादा ही होेने का अनुमान है। ऐसे में दालों की मौजूदा कीमतों में हल्का सुधार तो और भी बन सकता है लेकिन बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।
मिलों की आड़ में आयातक बड़ी मात्रा में कर रहे हैं आयात
सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 1.5 लाख टन मूंग और 4 लाख टन अरहर आयात का भी कोटा जारी किया हुआ है जिसकी मियाद 31 मार्च 2021 तक की है। दालों का आयात दाल मिलों को करना है, लेकिन मिलों की आड़ में आयातक बड़ी मात्रा में आयात कर रहे हैं। व्यापारियों के अनुसार इस समय मूंग और चना के आयात सौदे नहीं हो रहे हैं। आयातित मूंग पेड़ीसेवा के भाव 1,050 डॉलर और अन्नासेवा लाईन के भाव 950 डॉलर प्रति टन हैं। आयातित राजमा के भाव 1,000 से 1,100 डॉलर प्रति बन हैं। .............. आर एस राणा
मलेशिया में पॉम तेल कीमतों में गिरावट का रुख, घरेलू बाजर में दाम रुके
आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार से मिले कमजोर संकेतों से मलेशिया में दोपहर तक पाम तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। चालू महीने में निर्यात मांग में कमी से भी कीमतों पर दबाव दिखा है। हालांकि माना जा रहा है कि उत्पादन में कमी के कारण मौजूदा कीमतों में ज्यादा मंदा आने की उम्मीद नहीं है।
बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव पर क्रूड पाम तेल नवंबर वायदा 0.6 फीसदी नरमी के साथ 2,664 रिंगिट प्रति टन पर कारोबार कर रहा है, जबकि शुरुआती कारोबार में इसका भाव 1.2 फीसदी तक घट गया था। इस महीने मलेशिया से पाम तेल निर्यात में कमी की आशंका जताई जा रही है। कार्गो सर्वेयर्स एजेंसियों के मुताबिक पहली से 20 अगस्त के दौरान यहां से पाम तेल निर्यात में 18-21 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। व्यापारियों के अनुसार निर्यात में कमी की वजह से ही कीमतों पर दबाव बना हुआ है।
चीन के डलियन एक्सचेंज पर सोया तेल में 0.4 फीसदी की गिरावट रही। यहां पाम तेल का दाम 0.5 फीसदी तक फिसल गया। सोया तेल में गिरावट से भी मलेशिया में पाम तेल की कीमतों पर असर पड़ा है। सूत्रों के अनुसाार मलेशिया की पाम तेल इंडस्ट्री में विदेशी मजदूरों की भारी किल्लत हो गई है, जबकि आमतौर पर इस महीने से पाम तेल के उत्पादन का पीक सीजन शुरू हो जाता है। ऐसे में माना जा रहा है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल उत्पादन में कमी रहने की आशंका है।................ आर एस राणा
दाल, बेसन की मांग बढ़ने के साथ ही हरी सब्जियां महंगी होने से चना तेज
आर एस राणा
नई दिल्ली। दाल और बेसन में चने की मांग जोर पकड़ने से चने के दाम में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है। चालू महीने में ही चने की कीमतों में 300 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। उत्पादक मंडियों में चना के भाव 4,200 से 4,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। कई राज्यों में भारी बारिश से सब्जियों के साथ ही दलहन की फसल को भी नुकसान की आशंका है, इसलिए चना की कीमतों में और भी तेजी आने का अनुमान है।
व्यापारियों के अनुसार चना के भाव अभी भी केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं। केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2019-20 के लिए चना का एमएसपी 4,875 रुपये प्रति क्वंटल तय किया हुआ है। कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में चने का उत्पादन 113.5 लाख टन होने का अनुमान है जोकि तीसरे आरंभिक अनुमान 109 लाख टन से ज्यादा है। इसके पिछले साल देश में 99.4 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
व्यापारियों के अनुसार इस समय चना दाल और बेसन में त्यौहारी मांग बनी हुई है, साथ ही हरी सब्जियों के दाम उंचे हैं। कई राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण हरी सब्जियों की किल्लत होने से इनके दाम बढ़ गए हैं। पिछले दो महीने में ज्यादातर सब्जियां दो से तीन गुना तक महंगी हो गई हैं और बरसात से देश में बने हालात के बीच सब्जियों की महंगाई से फिलहाल राहत की उम्मीद के आसार नहीं दिख रहे हैं। इसलिए चना की मौजूदा कीमतों में और भी 150 से 200 रुपये की तेजी बनने का अनुमान है। हालांकि उत्पादक मंडियों में बकाया स्टॉक ज्यादा है, जबकि केंद्र सरकार गरीबों को राशन में एक किलो चना फ्री में दे रही है, जिसकी आपूर्तिै नवंबर तक की जायेगी।
रबी सीजन में नेफेड ने 21.43 लाख टन चना की खरीद एमएसपी पर की थी, जबकि केंद्रीय पूल में पुराना स्टॉक भी बचा हुआ है। इसलिए अभी लंबी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीबों को जो फ्री में एक किलो चना दे रही है, उसमें नवंबर तक 9.70 लाख टन की खपत होने का अनुमान है।............ आर एस राणा
23 अगस्त 2020
आगामी 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश और गुजरात में तेज बारिश का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान गंगीय दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश और गुजरात में मध्यम से भारी बारिश के साथ कुछ स्थानों पर बेहद भारी वर्षा हो सकती है। इस दौरान दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, कोंकण गोवा, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और असम के कुछ हिस्सों में साथ हल्की से मध्यम बारिश के साथ कहीं-कहीं भारी बारिश होने की संभावना है।
स्काईमेट के अनुसार गहरे निम्न दबाव का उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश पर बना हुआ था। अब यह सिस्टम पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ते हुए अगले दो दिनों के दौरान राजस्थान को प्राभवित करेगा। इस सिस्टम के पास एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी बना हुआ है। मानसून की अक्षीय रेखा फिर से दक्षिणवर्ती बनी हुई है। इस समय यह जैसलमर, भीलवाडा, सीधी, डाल्टनगंज, जमशेदपुर और दिघा होते हुए बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र तक बनी हुई है। दक्षिणी पर भी एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है।
आगामी 24 घंटों के दौरान कहां-कहां बारिश होने का अनुमान
अगले 24 घंटों के दौरान दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश, दक्षिणी राजस्थान और गुजरात में कई जगहों पर हल्की से मध्यम जबकि कुछ स्थानों पर भारी बारिश जारी रह सकती है। कोंकण गोवा, तटीय कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, दक्षिणी-आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश, पूर्वोत्तर भारत और बिहार में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्वी और मध्य भागों, उत्तराखंड के कुछ हिस्सों और हिमाचल प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर मानसून वर्षा जारी रहने की संभावना है। केरल, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों और जम्मू कश्मीर में हल्की बारिश हो सकती है।
पिछले 24 घंटों में देशभर में कैसा रहा मौसम
बीते 24 घंटों के दौरान दक्षिण पश्चिमी मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भारी वर्षा दर्ज की गई। कुछ इलाकों में भीषण बारिश से जन-जीवन प्रभावित हुआ है। दक्षिणी गुजरात, कोंकण-गोवा और मेघालय में भी हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हुई। शेष गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, तटीय कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तटीय आंध्र प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, शेष पूर्वोत्तर भारत, बिहार के कुछ हिस्सों, उत्तर प्रदेश के पूर्वी और मध्य भागों, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश हुई। आंतरिक कर्नाटक और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश दर्ज की गई।.............. आर एस राणा
ऐथनॉल उत्पादन के भुगतान के लिए ओएमसी, चीनी मिलें, बैंक एस्क्रो खाता बनाने को तैयार
आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी मिलें, तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) और बैंक मिलकर ऐथनॉल खरीद के भुगतान के लिए ‘एस्क्रो खाता’ खोलने का समझौते करने की तैयारी में हैं। खाद्य मंत्रालय ने शनिवार को इसकी जानकारी दी।
एस्क्रो खाता ऐसे खाते को कहा जाता है, जिसमें कोई तीसरा पक्ष दो अन्य पक्षों की तरफ से तय उद्देश्यों के लिये लेन-देन करता है। मंत्रालय ने कहा कि इस पहल से चीनी मिलें डिस्टलरी की स्थापना के लिए कम ब्याज पर ऋण का लाभ उठा सकेंगी। बैंक अब उन चीनी मिलों को भी ऋण देने पर विचार कर सकते हैं, जिनकी बैलेंस शीट नई डिस्टिलरी स्थापित करने या इथेनॉल के निर्माण के लिए मौजूदा सुविधाओं के विस्तार के लिये उपयुक्त नहीं है।
ऐथनॉल आपूर्ति को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए सचिव (खाद्य और सार्वजनिक वितरण), सचिव (पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय) और सचिव (वित्तीय सेवा विभाग) की सह-अध्यक्षता में शुक्रवार को प्रमुख बैंकों, ओएमसी, प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों के गन्ना आयुक्तों तथा चीनी उद्योग निकायों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई। एक सरकारी बयान में कहा गया के बैठक में यह सहमति बनी कि ऐथनॉल के उत्पादक (चीनी मिलों), ऐथनॉल के खरीदार (ओएमसी) और ऋणदाता (बैंक) एक एस्क्रो खाते के माध्यम से ऐथनॉल के उत्पादन, खरीद और भुगतान के बारे में एक त्रिपक्षीय समझौते में प्रवेश करने के लिए तैयार हैं। ऐसे में बैंक कमजोर बैलेंस शीट वाले चीनी मिलों को भी कर्ज देने पर विचार कर सकते हैं।
इस कदम से चीनी मिलों को नई डिस्टलरी स्थापित करने या मौजूदा डिस्टलरी का विस्तार करने के लिए बैंकों से ऋण लेने की सुविधा मिलेगी। खाद्य मंत्रालय ने कहा कि केंद्र ने चीनी उद्योग की लाभप्रदता की स्थिति में सुधार के लिए विभिन्न उपाय किए हैं, जिससे चीनी मिलों को किसानों के गन्ने का समय पर भुगतान करने में मदद मिलेगी। .............. आर एस राणा
22 अगस्त 2020
देशभर में सामान्य से 7 फीसदी बारिश ज्यादा, मध्य प्रदेश और गुजरात में तेज वर्षा का अनुमान
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू मानसूनी सीजन पहली जून से 22 अगस्त तक देशभर में सामान्य से 7 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इस दौरान सामान्यत: 644.1 मिलीमीटर बारिश होती है लेकिन चालू सीजन में अभी तक 690.5 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। पूर्वोत्तर के साथ ही मध्य भारत और दक्षिण भारत में बारिश अभी तक सामान्य से ज्यादा हुई है, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में सामान्य से 14 फीसदी कम बारिश हुई है। चालू सप्ताह में उत्तर भारत एवं मध्य भारत के राज्यों में अच्छी बारिश हुई है। अगले 24 घंटों के दौरान गुजरात और मध्य प्रदेश में तेज बारिश जारी रहने का अनुमान है।
स्काईमेट के अनुसार गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र मध्य प्रदेश के मध्य भागों पर है। यह सिस्टम पश्चिमी दिशा में बढ़ता रहेगा और जल्द ही इसके कमजोर होकर निम्न दबाव के क्षेत्र में तब्दील होने की संभावना है। इस सिस्टम के साथ ही एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी बना हुआ है। मानसून की अक्षीय रेखा अभी भी दक्षिणवर्ती है। इस समय यह ट्रफ जैसलमर, कोटा से निम्न दबाव के क्षेत्र और उसके बाद पेंडरा रोड, बालासोर होते हुए बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी भागों तक बनी हुई है। इस बीच बंगाल की खाड़ी में अगले 24 घंटों में यानि 23 अगस्त को एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित हो सकता है।
आगामी 24 घंटों के दौरान कहां-कहां होगी बारिश
अगले 24 घंटों के दौरान गंगीय दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश और गुजरात में मध्यम से भारी बारिश के साथ कुछ स्थानों पर बेहद भारी वर्षा हो सकती है। दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, कोंकण गोवा, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और असम के कुछ हिस्सों में साथ हल्की से मध्यम बारिश के साथ कहीं-कहीं भारी बारिश होने की संभावना है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार के कुछ हिस्सों, गंगीय पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, विदर्भ, तटीय कर्नाटक और शेष पूर्वोत्तर भारत में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। पंजाब के कुछ हिस्सों, हरियाणा, केरल तेलंगाना पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है।
पिछले 24 घंटों में मध्य प्रदेश में हुई भारी बारिश
पिछले 24 घंटों के दौरान दक्षिण और पश्चिमी मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में भीषण मॉनसून वर्षा दर्ज की गई है। इंदौर में 263 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। भोपाल में 211 मिमी और होशंगाबाद में 182 मिमी वर्षा हुई है। कोंकण गोवा, गुजरात, गंगीय पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों और असम के कुछ भागों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी बारिश हुई। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी कहीं-कहीं भारी बारिश की गतिविधियां देखने को मिलीं। पंजाब, उत्तर हरियाणा, मध्य प्रदेश के बाकी हिस्सों, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंतरिक महाराष्ट्र, तटीय कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, दक्षिण पूर्व और दक्षिण राजस्थान के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हुई। दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, केरल, रायलसीमा और दक्षिणी तमिलनाडु में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हुई।............. आर एस राणा
नई कृषि-उपज मंडी व्यवस्था में भी अनाज की एमएसपी पर खरीद रहेगी जारी - तोमर
आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि-उपज विपणन व्यवस्था में हाल के कानूनी सुधारों के बाद भी किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर विभिन्न फसलों की खरीद जारी रहेगी।
उन्होंने कहा कि कृषि विपणन सुधार किसानों के कल्याण के लिए किए गए हैं। उन्होंने राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि हाल में शुरू कए गए एक लाख करोड़ रुपये के कृषि संरचना कोष का लाभ छोटे और सीमान्त किसानों को मिल सके। एक आधिकारिक बयान के अनुसार तोमर ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कृषि मंत्रियों के साथ हालिया कृषि विपणन सुधारों पर बैठक की। साथ ही इस बैठक में कृषि संरचना कोष पर भी चर्चा हुई।
तोमर ने इस बात पर जोर दिया कि संरचना कोष का पूरा लाभ छोटे और मझोले किसानों तक पहुंचना चाहिए। देश में कुल किसानों में छोटे और मझाले किसानों की संख्या 85 फीसदी है। इसके अलावा कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार जो नया अध्यादेश लेकर आई है वह पूरी तरह किसानों के कल्याण के लिए है और एमएसपी के मुद्दे पर भ्रमित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों से पहले की तरह एमएसपी पर फसलों की खरीद जारी रहेगी। इस बैठक में हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तथा बिहार, हिमाचल प्रदेश और गुजरात के कृषि मंत्री शामिल हुए। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री पुरषोत्तम रूपाला और कैलाश चौधरी ने भी बैठक में हिस्सा लिया। ............. आर एस राणा
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आर एस राणा
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विश्व बाजार में कपास की कीमतों में तेजी, घरेलू बाजार में भी भाव सुधरे
आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में चालू सप्ताह में कपास की कीमतों में 2.28 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। आईसीई एक्सचेंज पर कल कपास का दिसंबर महीने का वायदा 0.30 सेंट या 0.5 फीसदी की नरमी के साथ 64.22 प्रति पाउंड पर बंद हुआ जबकि दो दिन पहले इसने 2 हफ्ते का ऊपरी स्तर छू लिया था। वहीं अक्टूबर वायदा भी 19 प्वाइंट की गिरावट के साथ 63.73 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ। घरेलू बजार में कपास की कीमतें कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के बिक्री भाव बढ़ाने से बढ़ रही हैं।
जानकारों के अनुसार अमेरिका में कपास का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। अमेरिकी कृषि विभाग मे इस साल उत्पादन अनुमान 5 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) बढ़ा दिया है। 12 अगस्त को जारी वर्ल्ड एग्रीकल्चर सप्लाई और डिमांड रिपोर्ट में अमेरिकी कृषि विभाग ने साल 2020-21 अमेरिका में 1.81 करोड़ गांठ कपास उत्पादन का अनुमान लगाया है, जबकि जुलाई में जारी अनुमान में 1.75 करोड़ गांठ के उत्पादन का अनुमान जारी किया था।
कपास की कीमतों में विश्व बाजार में तेजी, मंदी अमेरिकी फसल के उत्पादन पर तो निर्भर करेगी ही, साथ ही विश्व बाजार में इसकी कीमतों पर मैक्सिको की खाड़ी में उठे दो समुद्री तूफानों का असर भी दिख सकता है। साथ ही बाजार अमेरिका और चीन के व्यापारिक रिश्तों पर भी बारीक नजर रख रहा है।
घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में तेजी, मंदी पूरी तरह से सरकारी कंपनी कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के हिसाब से चल रही हैं। उत्पादक मंडियों में आवक लगभग नहीं के बराबर हो रही है, जबकि सीसीआई के पास कपास का बंपर स्टॉक है। पिछले कुछ समय से यार्न मिलों की मांग में हल्का सुधार बना हुआ है, जिस कारण सीसीआई लगातार भाव बढ़ाकर बिकवाली कर रही है, जिससे घरेलू बाजार में भी दाम बढ़ रहे हैं। सीसीआई ने इस साल किसानों से समर्थन मूल्य पर एक करोड़ गांठ से ज्यादा कपास की खरीद की है। कोरोना काल में कमजोर मांग के बीच बंपर स्टॉक के रखरखाव को लेकर जूझ रहा निगम डिस्काउंट स्कीम के तहत कॉटन बेच रहा है।
विश्व बाजार में कीमतों में चल रहे सुधार के कारण ही सीसीआई भी लगातार बिक्री भाव में इजाफा कर रही है तथा चालू सप्ताह में ही भाव करीब 800-1000 रुपये प्रति कंडी (एक कंडी-356 किलो) तक सीसीआई बढ़ा चुकी है। सीसीआई बांग्लादेश को भी 15-20 लाख गांठ निर्यात की योजना बना रही है जिसमें से 5-7 लाख गांठ चालू सीजन के दौरान और बाकी अक्टूबर में भेजने की योजना है।........ आर एस राणा
21 अगस्त 2020
कई राज्यों में तेज बारशि से सब्जियों को नुकसान, कीमतों में आई तेजी
आर एस राणा
नई दिल्ली। कई राज्यों में हो रही बारिश के सब्जियों की फसलों को नुकसान होने के साथ ही आवक भी प्रभावित हुई है, जिससे इनकी कीमतों में भारी तेजी आई है। मौसम साफ होने के बाद ही सब्जियों की आवक बढ़ेगी।
आलू, प्याज, टमाटर समेत तमाम हरी सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। दिल्ली-एनसीआर में बैगन, लौकी और तोरई भी 50 रुपये किलो मिल रही है। फुलगोभी 120 रुपये किलो तो शिमला मिर्च 100 रुपये किलो हो गई है। प्याज जो 20 रुपये किलो मिल रहा था अब 30 रुपये किलो से उंचे भाव पर मिलने लगा है।
आजादपुर मंडी ऑनियन मर्चेंट एसोसिएशन के प्रेसीडेंट राजेंद्र शर्मा ने बताया कि दक्षिण भारत में भारी बारिश और बाढ़ के कारण फसल खराब होने से महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से प्याज की मांग दक्षिण भारत में बढ़ जाने से कीमतों में वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन आवक बढ़ने से अगले एक दो दिनों में प्याज की कीमत में फिर नरमी आ जाएगी। आजादपुर मंडी में प्याज का थोक भाव शुक्रवार को पांच रुपये से 15 रुपये प्रति किलो था, वहीं, आलू का का थोक भाव 13 रुपये से 44 रुपये प्रति किलो जबकि टमाटर का थोक भाव आठ रुपये से 43.50 रुपये प्रति किलो। शर्मा ने बताया कि बारिश के चलते हरी सब्जियों के दाम में इजाफा हुआ है, लेकिन जिन सब्जियों की लाइफ अधिक होती है उनकी कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है। ... आर एस राणा
अगले साल 31 मार्च से लागू होगा 'एक राष्ट्र एक मानक': पासवान
आर एस राणा
नई दिल्ली। देश में‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ की तर्ज पर अब ‘एक राष्ट्र एक मानक’ लागू करने की भी समय सीमा तय कर दी है। केंद्रीय उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2021 से देश में अब एक ही मानक होगा। राम विलास पासवान यहां वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए एक प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ की तर्ज पर अब ‘एक राष्ट्र एक मानक’ होगा जिसका अनुपालन अनिवार्य किया जायगा। मतलब, अलग-अलग मंत्रालयों के अलग-अगल मानक नहीं बल्कि एक मानक होगा जो भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) का मानक होगा और उसे सख्ती से लागू किया जाएगा।
इस मौके पर मौजूद भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि ‘एक राष्ट्र एक मानक’ को अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इसके लिए विभिन्न वस्तुओं के लिए 268 मानक तैयार किए गए हैं और बाकी पाइपलाइन में है।
उन्होंने बताया कि एक राष्ट्र एक मानक तैयार करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ मिलकर इस दिशा में कार्य जारी है।उन्होंने बताया कि जिन वस्तुओं का ज्यादा आयात होता है उनके मानक तैयार किए जा रहे हैं। इन वस्तुओं में स्टील के सामान, केमिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और खिलौने शामिल हैं।............ आर एस राणा
सीसीआई ने फिर बढ़ाये कपास के भाव, ज्यादा बारिश से फसल को नुकसान की आशंका
आर एस राणा
नई दिल्ली। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने एक बार कपास के बिक्री भाव में बढ़ोतरी की है जिससे घरेलू मंडियों में भी कपास की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। जानकारों के अनुसार कपास के प्रमुख कई उत्पादक राज्यों में भारी बारिश से फसल को तो नुकसान की आशंका है ही साथ में नई फसल की आवक में देरी भी होगी, इसलिए कपास की कीमतों में अभी और भी सुधार आने का अनुमान है।
सीसीआई चालू सप्ताह में कपास के बिक्री भाव में 800-1,000 रुपये प्रति कंडी (एक कैंडी-356 किलो) की बढ़ोत्तरी कर चुकी है। विश्व बाजार में कपास की कीमतों में तेजी आने के साथ ही उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक कम होने के कारण सीसीआई लगातार भाव बढ़ा रही है।
उत्तर भारत में निगम से की सबसे ज्यादा बिक्री भाव में की बढ़ोतरी
सीसीआई ने कपास की कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्ती उत्तर भारत में की है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लिए निगम ने आज 500 रुपये प्रति कंडी कीमतें बढ़ाई है, इन राज्यों में बारिश के कारण फसल को नुकसान के समाचार है, साथ ही नई फसल की आवक में भी देरी होने की आशंका। इससे पहले सप्ताह की शुरुआज में निगम ने 300 रुपये और मंगलवार को 200 रुपये प्रति कंडी की बढ़ोत्तरी की थी। अत: चालू सप्ताह में निगम उत्तर भारत में कपास के बिक्री भाव में 1,000 रुपये प्रति कैंडी तक बढ़ोतरी कर चुकी है।
कपास की कीमतों में तेजी का रुख
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना समेत देश के बाकी हिस्सों के लिए सीसीआई ने अपनी डिस्काउंट स्कीम के तहत कपास की कीमतों में 400 रुपये प्रति कंडी की वृद्धि की है। इस तरह से उत्तर भारत को छोड़कर देश के शेष हिस्सों में इस सप्ताह सीसीआई कपास के बिक्री भाव में करीब 800 रुपये प्रति कैंडी तक बढ़ोतरी कर चुकी है। जिससे उत्पादक मंडियों में कपास की कीमतों में तेजी बनी हुई है, शुक्रवार को दक्षिण भारत की मंडियों में कपास की कीमतों में 300 से 400 रुपये की तेजी दर्ज की गई।
बुआई में बढ़ोतरी, बकाया स्टॉक भी ज्यादा
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुआई 3.36 फीसदी बढ़कर 127.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 123.54 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: कपास की बुआई 120.97 लाख हेक्टेयर में होती है। चालू सीजन में उत्पादन अनुमान ज्यादा है, साथ ही बकाया स्टॉक भी ज्यादा बचेगा, लेकिन अभी भी मंडियों में कपास के दाम पिछले साल की तुलना में काफी नीचे हैं। विश्व बाजार में भारतीय कपास भी सबसे सस्ती है, जिससे भाव में सुधार आने का ही अनुमान है।............. आर एस राणा
मलेशिया में पॉम तेल की कीमतों में गिरावट, देश में तिलहन उत्पादन अनुमान ज्यादा
आर एस राणा
नई दिल्ली। निर्यात में कमी और विश्व बाजार से मिले कमजोर संकेतों से मलेशिया में पाम तेल वायदा में 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। लगातार दूसरे हफ्ते पाम तेल में गिरावट का रुख दिखा।
बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव पर क्रूड पाम तेल नवंबर वायदा 59 रिंगिट या 2.16 फीसदी की गिरावट के साथ 2,678 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुआ। इस हफ्ते इसमें 0.3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।
जानकारों के अनुसार कार्गो सर्वेयर्स कंपनियों ने इस हफ्ते मलेशिया से पाम तेल के निर्यात में 18-21 फीसदी गिरावट की आशंका जताई है। कारोबारियों के मुताबिक जुलाई में ज्यादा मांग रही थी जिस कारण इस महीने भारत जैसे देशों की मांग में कमी आई है। वहीं इंडोनेशिया पाम तेल एसोसिएशन ने जुलाई में जून के मुकाबले उत्पादन बढ़ने की अनुमान लगाया है।
भारत में सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन यानि सोपा ने सोयाबीन का उत्पादन 32 फीसदी बढ़कर 122.5 लाख टन होने का अनुमान जारी किया है, साथ ही देश में मूंगफली का उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। अत: आगामी दिनों में खाद्य तेलों की घरेलू उपलब्धता भी बढ़ेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि पैदावार बढ़ने से भारत में विदेश से महंगे पाम, सोया और सूरजमुखी के तेल की मांग में कमी आ सकती है।
पाम तेल पर विश्व बाजार से मिले कमजोर संकेतों का भी असर रहा। आज चीन के डलियन एक्सचेंज पर सोया तेल में 1.24 फीसदी की गिरावट रही। जबकि पाम तेल का दाम 1.72 फीसदी नीचे रहा। हालांकि शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर सोया तेल में 0.19 फीसदी ऊपर कारोबार हुआ। ............. आर एस राणा
सोयाबीन का उत्पादन 31 फीसदी से ज्यादा बढ़ने का अनुमान-सोपा
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में बुआई में हुई बढ़ोतरी के साथ उत्पादक राज्यों में अच्छी मानसूनी बारिश से सोयाबीन का उत्पादन 31.58 फीसदी बढ़कर 122.47 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल उत्पादन 93.06 लाख टन का ही हुआ था।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) द्वारा जारी आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ में बुआई में बढ़ोतरी तो हुई ही है, साथ ही चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से अभी तक उत्पादक राज्यों में बारिश भी अच्छी हुई है जिससे प्रति हेक्टेयर उत्पादता बढ़ने का अनुमान है। सोपा के अनुसार पिछले साल औसत उत्पादकता 865 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की आई थी, जबकि चालू खरीफ में 1,052 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उत्पादकता आने का आरंभिक अनुमान है।
सोपा के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर चालू खरीफ में 58.53 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 40.10 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। महाराष्ट्र और राजस्थान में चालू खरीफ में उत्पादन बढ़कर क्रमश: 45.13 और 10.57 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में क्रमश: 39.41 और 6.56 लाख टन का उत्पादन हुआ था। अन्य उत्पादक राज्यों कर्नाटक, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और गुजरात में भी सोयाबीन का उत्पादन पिछले साल की तुलना में ज्यादा होने का अनुमान है। उद्योग के अनुसार उत्पादक मंडियों में पिछले साल का बकाया स्टॉक भी ज्यादा है तथा मौसम अनुकूल रहा तो सितंबर के अंत तक नई फसल की आवक शुरू हो जायेगी, जिससे अक्टूबर में सोयाबीन की कीमतों में मंदा ही आने का अनुमान है। ................ आर एस राणा
कृषि अध्यादेशों के विरोध में कई राज्यों में मंडिया बंद
आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 के साथ ही दो अन्य अध्यादेशों के विरोध में राजस्थान समेत कई राज्यों की मंडियों के कारोबारी आज हड़ताल पर हैं। खास करके कांग्रेस शासित राज्यों में इस हड़ताल का ज्यादा असर देखने को मिला है।
राजस्थान की अधिकांश मंडियां आज बंद हैं। कारोबारियों का कहना है नए कानून की वजह से बड़े व्यापारी जो मंडियों में काम करते हैं, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जबकि बाहर से आए छोटे व्यापारी सीधे किसानों ने औने-पौने दाम पर उपज खरीद ले जा रहे हैं। केंद्र सरकार के नए कानून के मुताबिक मंडी के अंदर फसल आने पर मार्केट फीस लगेगी और मंडी के बाहर अनाज बिकने पर मार्केट फीस नहीं लगेगी। कई राज्यों ने अपने यहां ये व्यवस्था लागू भी कर दी है लेकिन जो लोग मंडियों में पहले से कारोबार करते रहे हैं, उन्हें बाहर आकर काम करना गवारा नहीं लग रहा।
व्यापारियों के अनुसार इन कानूनों से मंडियों में कामकाज धीरे धीरे कम हो रहा है। कारोबारियों ने आरोप लगाया है कि सरकार के इस कदम से किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला, इससे महज कुछ कंपनियों को ही फायदा हो सकेगा और आने वाले दिनों में बाजार पूरी तरह से कॉर्पोरेट्स के हाथ में चला जाएगा। ............ आर एस राणा
दलहन एवं तिलहन की रिकार्ड बुआई, खरीफ का आकड़ा 1,063 लाख हेक्टेयर पहुंचा
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 21 अगस्त तक फसलों की बुआई बढ़कर 1,063 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दलहन के साथ ही तिलहन की रिकार्ड बुआई हुई है जककि धान की रोपाई के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई भी आगे चल रही है।
मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कुल बुआई का आकड़ा 1,062.93 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुका है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई 979.15 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।
दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 6.77 फीसदी बढ़कर 132.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है पिछले साल इस समय तक 124.14 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। खरीफ सीजन में सामान्यत: 128.88 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई होती है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में 7.34 फीसदी बढ़कर 46.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 43.42 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। इसी तरह से उड़द की बुआई बढ़कर 37 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 34 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 34.38 एवं 29.80 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
धान की रोपाई के साथ मोटे अनाज की बुआई ज्यादा
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 11.71 फीसदी बढ़कर 378.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 338.65 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में 4.35 फीसदी बढ़कर 174.06 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 166.80 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 14.89 और बाजरा की 67.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 14.81 और 64.72 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मक्का की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 79.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 77.89 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। रागी की बुआई भी बढ़कर चालू खरीफ में 8.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल 5.33 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
मूंगफली और सोयाबीन की रिकार्ड बुआई
तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 14.09 फीसदी बढ़कर 191.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 167.53 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: खरीफ में इनकी बुआई 178.08 लाख हेक्टेयर में ही होती है। तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई 120 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि सामान्य क्षेत्रफल 110.32 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा है। पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुआई 112.47 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुआई बढ़कर 50.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 35.79 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: मूंगफली की बुआई 41.41 लाख हेक्टेयर में ही होती है। केस्टर सीड की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 5.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 5.20 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
कपास की बुआई में 3.36 फीसदी की बढ़ोतरी
गन्ने की बुआई चालू सीजन में 52.19 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 51.62 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। कपास की बुआई चालू खरीफ में 3.36 फीसदी बढ़कर 127.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 123.54 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: कपास की बुआई 120.97 लाख हेक्टेयर में होती है। .............. आर एस राणा
20 अगस्त 2020
ओडिशा, छत्तीसगढ़ के साथ ही तेलंगाना में बारिश का अलर्ट जारी
आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार अगले 24 घंटे के दौरान ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में तेज बारिश होने का अनुमान है, इन तीनों राज्यों में अगले 48 घंटों के दौरान भारी बारिश हो सकती है।
?मौसम विभाग ने 21 अगस्त के लिए पश्चिमी मध्य प्रदेश के लिए भी लाल रंग की चेतावनी जारी की है। इसके आलावा राजस्थान, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, विदर्भ और कोंकण-गोवा के लिए भी नारंगी रंग की चेतावनी जारी की गई है। मौसम विभाग ने कहा है कि अगले 24 घंटे में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में भी अच्छी बारिश हो सकती है। खास करके गुजरात, राजस्थान, मध्य महाराष्ट्र, विदर्भ और कोंकण और गोवा के लिए इस पूरे हफ्ते यानि 23 अगस्त तक तेज बारिश का अलर्ट है।
इस साल दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा बारिश हुई है। पहली जून से अभी तक दक्षिण भारत में सामान्य से 25 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। जिसमें खास तौर से रायलसीमा इलाके में सामान्य से 94 फीसदी, उत्तरी कर्नाटक में सामान्य से 55 फीसदी और तेलंगाना में 47 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। आईएमडी के अनुसार तेलंगाना में पिछले 24 घंटे के दौरान सामान्य से करीब 163 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।
देशभर में सामान्य से पांच फीसदी ज्यादा हुई बारिश
मौसम विभाग के मुताबिक चालू मानसूनी सीजन में अभी तक देशभर में सामान्य से 5 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। देश के 58 फीसदी हिस्से में सामान्य और 23 फीसदी हिस्से में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। देश के 5 फीसदी हिस्से में सामान्य से बहुत ज्यादा बारिश दर्ज की गई है।
आगामी 24 घंटों के दौरान कहां होगी ज्यादा बारिश
स्काईमेट के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ में मध्यम से भारी वर्षा के साथ एक-दो जगहों पर मूसलाधार बारिश संभव है। मध्य प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, पूर्वी राजस्थान, कोंकण गोवा, उप हिमालयी पश्चिम बंगाल और असम के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कहीं-कहीं भारी बारिश भी हो सकती है। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, तटीय कर्नाटक, तटीय आंध्र प्रदेश, विदर्भ, मध्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों, बिहार और शेष पूर्वोत्तर भारत में हल्की से मध्यम बारिश संभव है। केरल, रायलसीमा और पश्चिमी हिमालय के शेष हिस्सों में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश के आसार हैं।
पिछले 24 घंटों में किन-किन राज्यों में हुई बारिश
पिछले 24 घंटों के दौरान गंगीय पश्चिम बंगाल, उत्तरी तटीय ओडिशा और दक्षिणी छत्तीसगढ़ में भारी से अति भारी वर्षा हुई। पूर्वी राजस्थान, दिल्ली एनसीआर, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, असम और उत्तरी कोंकण गोवा में कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी मॉनसून वर्षा दर्ज की गई। ओडिशा, झारखंड, शेष पूर्वोत्तर भारत, केरल के कुछ हिस्सों, तटीय कर्नाटक, आंतरिक महाराष्ट्र, गुजरात, शेष मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, गिलगित-बाल्टिस्तान, मुज़फ्फराबाद में भी हल्की से मध्यम बारिश हुई। अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, रायलसीमा और आंतरिक कर्नाटक में हल्की बारिश दर्ज की गई।................ आर एस राणा
जुलाई में डीओसी का निर्यात 12 फीसदी बढ़ा
आर एस राणा
नई दिल्ली। जुलाई में डीओसी के निर्यात में 12.44 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 2,62,085 टन का हुआ है जबकि पिछले साल जुलाई में इनका निर्यात 2,33,042 टन का ही निर्यात हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले चार महीनों में डीओसी के निर्यात में 8 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इस दौरान 8,41,195 टन डीओसी का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अविध में 9,17,811 टन डीओसी का निर्यात हुआ था। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में सरसों डीओसी के निर्यात में 17 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 4,36,480 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अविध में इसका निर्यात 3,73,477 टन का ही हुआ था।
जून के मुकाबले जुलाई में जहां सरसों डीओसी की कीमतों में सुधार आया है वहीं सोया डीओसी की कीमतों में नरमी दर्ज की गई। जुलाई में सरसों डीओसी के भाव भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 216 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि जून में इसके भाव 214 डॉलर प्रति टन थे। सोया डीओसी के भाव जून के 442 डॉलर प्रति टन से घटकर जुलाई में 440 डॉलर प्रति टन रह गए। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में जहां वियतनाम, यूएसए और ताइवान को डीओसी का निर्यात बढ़ा है, वहीं दक्षिण कोरिया और थाइलैंड को हुए निर्यात में कमी आई है।............ आर एस राणा
मलेशिया से पॉम तेल का निर्यात 21 फीसदी घटा, उंचे भाव में मांग घटी
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के पहले 20 दिनों के दौरान मलेशिया से पाम तेल के निर्यात में भारी गिरावट दर्ज हुई है। कार्गो सर्वेयर्स एजेंसियों के मुताबिक 1-20 अगस्त के दौरान मलेशिया से पाम तेल का निर्यात करीब 21 फीसदी घटा है।
व्यापारियों के अनुसार पिछले महीने ज्यादा निर्यात होने और इस महीने ऊंची दाम होने के कारण पाम तेल की मांग में कमी आई है। कार्गो सर्वेयर एएमएसपीईसी के अनुसार 1-20 अगस्त के दौरान मलेशिया से करीब 9,25,083 टन पाम तेल का निर्यात हुआ है। जो एक महीने पहले की समान अवधि के मुकाबले 20.9 फीसदी कम है। मलेशिया से 1-20 जुलाई के दौरान 11,70,709 टन पाम तेल का निर्यात हुआ था।
एएमएसपीईसी के मुताबिक के मुताबिक इस दौरान क्रूड पाम तेल के निर्यात में 23 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि आरबीडी पाम तेल का निर्यात 46 फीसदी गिरकर 44,480 टन रहा। वहीं आरबीडी पामोलीन का निर्यात एक महीने पहले के मुकाबले 17.5 फीसदी गिरकर 2,77,260 टन का ही हुआ।
इंटरटेक टेस्टिंग सर्विसेज यानी आईटीएस के मुताबिक 1-20 अगस्त के दौरान मलेशिया के पाम तेल निर्यात में 18.2 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। इस दौरान 9,46,338 टन पाम तेल का निर्यात हो सका है। जबकि पिछले महीने इस अवधि में 11,57,020 टन पाम तेल का निर्यात हुआ था। सार्वजनिक छुट्टी की वजह से आज बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव बंद है। कल दोबारा एक्सचेंज के खुलने पर वहां पाम तेल में दबाव दिख सकता है। टेक्निकल चार्ट पर इसके नवंबर वायदा में 2,750 का रेसिस्टेंस लेवल है। .............. आर एस राणा
फसल को नुकसान की आशंका से उड़द तेज, महाराष्ट्र के अहमदनगर में नई आवक शुरू
आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई हिस्सों में हो रही भारी बारिश से उड़द की फसल को नुकसान की आशंका है। कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात आदि के कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। ऐसे में फसल को नुकसान के साथ क्वालिटी भी कमजोर होने की आशंका है। इसीलिए स्टॉकिस्ट उड़द के भाव तेज कर रहे हैं। उधर महाराष्ट्र के अहमदनगर में नई उड़द की आवक शुरू हो गई है, तथा मौसम साफ होने पर दैनिक आवक और बढ़ेगी।
स्टॉकिस्टों की मांग बढ़ने से चेन्नई, दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में बर्मा उड़द के भाव तेज बने हुए हैं, हालांकि उचे भाव में दाल में ग्राहकी कजोर है। व्यापारियों के अनुसार पिछले तीन-चार दिनों में ही उड़द की कीमतों में करीब 200-250 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। म्यांमार से एफएक्यू क्वालिटी की उड़द के भाव 745 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) और एसक्यू क्वालिटी के भाव 855 डॉलर प्रति टन बोले गए।
उत्पादक मंडियों में अगले महीने बढ़ेगी नई फसल की आवक
महाराष्ट्र की अहमदनगर मंडी में 150 से 200 बोरी नई उड़द की आवक हुई है जोकि 5,500 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिकी। व्यापारियों के अनुसार अगले महीने कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की मंडियों में नई फसल की आवक बनेगी, जिससे कीमतों में मंदा ही आने का आने का अनुमान है। जानकारों के अनुसार म्यांमार से करीब 600 कंटेनर उड़द के आ रहे हैं जोकि अगले सप्ताह तक भारतीय बंदरगाह पर पहुंचने का अनुमान है। चैन्नई में एफएक्यू क्वालिटी की उड़द के भाव 6,000 से 6,150 रुपये और एसक्यू क्वालिटी की उड़द के भाव 7,000 से 7,025 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
अगस्त अंत नहीं हो पायेगा चार लाख टन का आयात
केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए के लिए 4 लाख टन उड़द आयात का कोटा जारी किया था। जिसकी मियाद अगस्त अंत तक है, लेकिन अगस्त तक पूरा चार लाख माल नहीं आ पायेगा, इसलिए आयातक सरकार से आयात की मियाद बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। व्यापारियों के अनुसार कुछ आयातकों ने ज्यादा आयात सौदे कर रखे हैं, लेकिन तय समय लोडिंग नहीं होने के कारण यह माल अगस्त अंत तक नहीं आ पायेंगा। उत्पादक मंडियों में उड़द के भाव समर्थन मूल्य से नीचे हैं जबकि अगले महीने नई फसल की आवक बढ़ेगी, ऐसे में सरकार शायद आयात की समय सीमा को नहीं बढ़ाये। कृषि मंत्रालय के अनुसार उड़द की बुआई बढ़कर 35.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 33.74 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।............... आर एस राणा
19 अगस्त 2020
देशभर में मानसूनी बारिश सामान्य से 5 फीसदी ज्यादा, उत्तर में 48 घंटों में जारी रहेगी वर्षा
आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू मानसूनी सीजन पहली जून से 19 अगस्त तक देशभर में सामान्य से 5 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इस दौरान सामान्यत: 620.2 मिलीमीटर बारिश होती है लेकिन चालू सीजन में अभी तक 648.8 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। पूर्वोत्तर के साथ ही मध्य भारत और दक्षिण भारत में बारिश अभी तक सामान्य से ज्यादा हुई है, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में सामान्य से 17 फीसदी कम बारिश हुई है। हालांकि पिछले दो दिनों से उत्तर भारत में अच्छी बारिश हो रही है जोकि अगले 48 घंटे जारी रहने का अनुमान है।
बंगाल की खाड़ी पर एक निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित हो गया है। इसके पास ही एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी बना हुआ है। मानसून की अक्षीय रेखा इस समय गंगानगर, हिसार, आगरा, वाराणसी, रांची और दिघा होते हुए बंगाल की खादी पर बने निम्न दबाव के क्षेत्र तक बनी हुई है। उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। एक अन्य चक्रवाती सिस्टम गुजरात पर दिखाई दे रहा है।
स्काईमेट के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान के कुछ इलाकों में कल शाम से ही वर्षा हो रही है। दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, फ़रीदाबाद और गाज़ियाबाद में आज सुबह से मूसलाधार वर्षा दर्ज की गई। इन भागों के साथ-साथ पहाड़ी राज्यों में भी अगले 48 घंटों तक सक्रिय रहेगा मानसून।
अगले 24 घंटों के दौरान कहां-कहां बारिश होने का अनुमान
अगले 24 घंटों के दौरान ओडिशा, दक्षिणी छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों, उत्तरी तेलंगाना, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब के कुछ हिस्सों, हरियाणा और गुजरात के कुछ भागों में भारी बारिश की संभावना है। कोंकण गोवा, मध्य प्रदेश, विदर्भ, तटीय कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और मध्य भागों, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, आंतरिक कर्नाटक, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, बिहार, पूर्वोत्तर भारत और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई।
पिछले 24 घंटों में किन राज्यों में हुई ज्यादा बारिश
बीते 24 घंटों के दौरान गंगीय पश्चिम बंगाल, उत्तरी तटीय ओडिशा, कोंकण गोवा और उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश दर्ज की गई। तटीय कर्नाटक, सौराष्ट्र और कच्छ के कुछ हिस्सों, पूर्वी मध्य प्रदेश, उत्तर-पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हुई। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, शेष मध्य प्रदेश, गुजरात के पूर्वी क्षेत्रों, केरल, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश के बाकी भागों, पूर्वोत्तर भारत, झारखंड और जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों में हल्की और कहीं-कहीं मध्यम वर्षा हुई। बिहार, आंतरिक कर्नाटक और आंतरिक महाराष्ट्र में हल्की बारिश दर्ज की गई।........ आर एस राणा
सीसीआई बंगलादेश को करेगी कपास का निर्यात, निगम पर स्टॉक हल्का करने का दबाव
आर एस राणा
नई दिल्ली। यार्न मिलों की मांग में कमी और भारी भरकम भंडार से जूझ रही सरकारी कंपनी कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) पड़ोसी देश बांग्लादेश को कपास निर्यात करने की तैयारी में है। कंपनी बांग्लादेश को करीब 15-20 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास का निर्यात कर सकती है, जिसमें से 5-7 लाख गांठ इसी सीजन यानि 30 सितंबर से पहले होने की उम्मीद है। बाकी कपास का निर्यात नए सीजन में करने की तैयारी है।
सीसीआई के सीएमडी प्रदीप कुमार अग्रवाल के मुताबिक कंपनी के रिकॉर्ड भंडार से पड़ोसी देशों को कपास बेचने के योजना है। आमतौर पर कंपनी किसानों से खरीदने के बाद घरेलू कपड़ा मिलों और धागा मिलों को ही की कॉटन बेचती आई है, लेकिन चालू सीजन में रिकार्ड खरीद 100 लाख गांठ से ज्यादा हुई है जबकि कोरोना वायरस के कारण पिछले तीन-चार महीने मांग काफी कमजोर रही।
सूत्रों के अनुसार भारत सरकार और बांग्लादेश ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन कीमतों पर विचार कर रहे हैं। जिस पर जल्द सहमति बनने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि भारत के इस कदम से आने वाले दिनों में विश्व बाजार में कपास की कीमतों पर फिर से दबाव बन सकता है तथा ऐसी स्थिति में अमेरिका और ब्राजील का भंडार बढ़ने का अनुमान है। वैसे भी भारतीय कपास विश्व बाजार में अभी भी सबसे सस्ती है। कोरोना काल में मांग में आई कमी की वजह से ग्लोबल मार्केट में कपास का दाम करीब 8-10 फीसदी तक घट चुके है। हालांकि प्रदीप कुमार अग्रवाल का कहना है कि घरेलू बाजार से नीचे के भाव पर निर्यात नहीं किया जाएगा।
कॉटन एसोसिशन ऑफ इंडिया के मुताबिक इस साल लॉकडाउन और लोगों खरीद क्षमता में आई कमी की वजह से कपास की खपत पिछले साल के मुकाबले करीब 20 फीसदी कम रहने का अनुमान है। ऐसे में इस साल कपास का रिकॉर्ड 102.5 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक बचेगा, जोकि पिछले साल के मुकाबले कई गुना ज्यादा है। सीसीआई ने इस साल किसानों से करीब 105 लाख गांठ कपास खरीदी थी। जिसमें से डिस्काउंट स्कीम के तहत अब तक करीब 25 लाख गांठ कपास बेची गई है। ................. आर एस राणा
इंडोनेशिया से आयातित पॉम तेल महंगा होने की आशंका
आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व में पाम तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश इंडोनेशिया अपने महत्वाकांक्षी बायोडीजल कार्यक्रम को सहारा के लिए पाम तेल पर निर्यात शुल्क बढ़ा सकता है। जानकारों के अनुसार अगले साल भी विश्व बाजार में कच्चे तेल में नरमी बने रहने की उम्मीद है।
इंडोनेशिया पाम तेल से बने बायो डीजल और खनिज डीजल की लागत के अंतर को पाटने और अपने बायोडीजल प्रोग्राम की फंडिंग के लिए पाम तेल के निर्यात पर लेवी वसूलता है। कच्चे तेल की कीमतें में आई गिरावट से दोनों ईंधनों के बीच कीमत का अंतर काफी बढ़ गया है और अगले साल भी बायो डीजल, खनिज डीजल से महंगा रहने की उम्मीद है।
इंडोनेशिया के वित्त मंत्रालय के राजकोषीय नीति कार्यालय के प्रमुख फिरीओ ककारिबू के अनुसार अगले साल भी बायोडीजल की कीमत खनिज डीजल के मुकाबले ज्यादा रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि बायो डीजल के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पाम तेल निर्यात पर लेवी को बढ़ाना पड़ सकता है। हालांकि सरकार अभी इसके बारे में कोई विस्तृत व्यौरा नहीं देगी। इंडोनेशिया ने इस साल जून में क्रूड पाम तेल के निर्यात पर लेवी को बढ़ाकर 55 डॉलर प्रति टन किया था, इसके जरिए उसे 2.78 खरब रुपियाह की वित्तीय मदद मिलने का अनुमान है। ....... आर एस राणा
केंद्र सरकार ने गन्ने के एफआरपी में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को दी मंजूरी
आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को गन्ने का उचित एवं लाभकारी (एफआरपी) को 10 रुपये बढ़ाकर 285 रुपये क्विंटल करने को मंजूरी दे दी। पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले पेराई सीजन 2020-21 के लिए तय किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज सुबह हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में गन्ने का 2020- 21 (अक्टूबर- सितंबर) पेराई सीजन के लिए एफआरपी में 10 रुपये क्विंटल बढ़ाने को मंजूरी दी गई। यह गन्ने का न्यूनतम मूल्य होता है जिसे चीनी मिलों को गन्ना उत्पादक किसानों को भुगतान करना होता है। पिछले साल केंद्र सरकार ने गन्ने के एफआरपी में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी।
सूत्रों के अनुसार सीसीईए ने कृषि मंत्रालय के इस संबंध में दिए गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। मंत्रालय ने आगामी पेराई सीजन के लिए गन्ने का सरकारी मूल्य यानी एफआरपी 275 रुपये से बढ़ाकर 285 रुपये क्विंटल करने का प्रस्ताव दिया था। मंत्रिमंडल समिति का यह निर्णय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश के मुताबिक है। सीएसीपी सरकार को प्रमुख कृषि उत्पादों के दाम को लेकर सलाह देने वाली सांविधिक संस्था है। एफआरपी को गन्ना (नियंत्रण) आदेश 1966 के तहत तय किया जाता है।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड तथा पंजाब में राज्य सरकारें गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) तय करती है, जोकि केंद्र सरकार द्वारा तय एफआरपी से ज्यादा होता है। महाराष्ट्र और कर्नाटक तथा तमिलनाडु समेत कई राज्यों में गन्ने की खरीद एफआरपी के आधार पर होती है। उद्योग के अनुसार चालू सीजन में चीनी का उत्पादन 280 लाख टन से कम रहने का अनुमान है जबकि आगामी पेराई सीजन में 305 लाख टन से ज्यादा उत्पादन का अनुमान है।........... आर एस राणा
18 अगस्त 2020
स्टॉकिस्टों की सक्रियता से ग्वार सीड और गम में तेजी का रख
आर एस राणा
नई दिल्ली। ग्वार गम उत्पादों में निर्यात मांग कमजोर होने के बावजूद भी स्टॉकिस्टों की सक्रियता से ग्वार गम और सीड की कीमतों में तेजी बनी हुई है। राजस्थान की मंडियों में ग्वार सीड के भाव 3,800 से 3,900 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि वायदा में भाव 4,000 रुपये प्रति क्विंटल से उपर बने हुए हैं।
स्टॉकिस्ट बुआई में कमी के साथ ही बारिश की बताकर भाव तेज कर रहे हैं जबकि ग्वार गम उत्पादों की निर्यात मांग में पहले की तुलना में सुधार तो आया है लेकिन अभी भी मांग सामान्य के मुकाबले कम है। इसलिए स्टॉकिस्ट मौजूदा कीमतों में तेजी तो कर सकते हैं लेकिन तेजी टिक पायेगी, ऐसी उम्मीद कम है। जानकारों के अनुसार उंचे भाव में व्यापार नहीं करना चाहिए।
राजस्थान में ग्वार सीड की बुआई पश्चिमी राजस्थान में ज्यादा होती है तथा चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 18 अगस्त तक पश्चिमी राजस्थान में बारिश सामान्य से केवल 6 फीसदी कम हुई है। चालू खरीफ में राजस्थान में ग्वार सीड की बुआई 23.84 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 26.80 लाख हेक्टेयर से कम तो है लेकिन उत्पादक मंडियों में बकाया स्टॉक भी ज्यादा है, साथ ही निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। गुजरात में ग्वार सीड की बुआई 1.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 1.05 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।................. आर एस राणा
कैबिनेट की कल होगी बैठक, चीनी के एफआरपी में बढ़ोतरी संभव
आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 19 अगस्त 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक प्रस्तावित है जिसमें गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर मोहर लगने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार बैठक में चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव (एमएसपी) में 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को अभी खारिज कर दिया गया है।
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश पर वर्ष 2019-20 के लिए गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य को केंद्र सरकार ने स्थिर रखा था, लेकिन पहली अक्टूबर 2020-21 के लिए शुरू हो रहे सीजन में इसमें बढ़ोतरी संभव है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पेराई सीजन 2019-20 के लिए 10 फीसदी बेसिक रिकवरी दर के लिए गन्ने का एफआरपी 275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। ............ आर एस राणा
सीसीआई ने कपास के बिक्री भाव बढ़ाये, घरेलू बाजार में और बढ़ेंगे दाम
आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में कपास की कीमतों में सुधार बना हुआ है, जिस कारण कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने भी कपास के बिक्री भाव 500 से 700 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) तक भाव बढ़ा दिए हैं। उत्तर भारत के राज्यों में बारिश से नई फसल की आवक में देरी की आशंका है, इसलिए सीसीआई मौजूदा कीमतों में और भी तेजी कर सकती है।
सीसीआई ने सोमवार को पूरे देश में एक समान 300 रुपये प्रति कैंडी दाम बढ़ाने के साथ आज दक्षिण भारत को छोड़कर कमोवेश पूरे देश में कपास के बिक्री भाव में 200 रुपये प्रति कैंडी की बढ़ोतरी की है। दक्षिण भारत के राज्यों कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना समेत अन्य केंद्रों पर कंपनी ने 100 रुपये की बढ़ोतरी की है। सीसीआई कपास के बंपर स्टॉक को कम करने के लिए 300 से 1,500 रुपये प्रति कैंडी की छूट देकर बिक्री कर रही है। स्कीम के तहत 18 अगस्त को निगम ने अदिलाबाद में 27-30 एमएम कपास 36,200-37,700 रुपये, वारंगल में 28-30 एमएम कपास 36,600-37,700 रुपये, कर्नाटक के हुबली 28-30 एमएम कपास 36,200-37,700 रुपये प्रति कैंडी बेची। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 28-30 एमएम कपास 36,200-37,700 रुपये, मध्य प्रदेश के इंदौर में 27-30 एमएम कपास 36,200-38,600 रुपये, गुजरात के राजकोट में 28.5 एमएम कपास 35,800-36,800 रुपए और अहमदाबाद में 24+-28.5 एमएम कपास 35,200-36,800 रुपए प्रति कंडी के भाव पर बेची। उत्तर भारत में पंजाब के भटिंडा और हरियाणा के सिरसा में 27-28 एमएम कपास 36,200-36,600 रुपये और राजस्थान के भीलवाड़ा में 36,400-36,800 रुपये प्रति कंडी के भाव बेची।
सीसीआई के बिक्री भाव से तेजी, मंदी
सूत्रों के अनुसार उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक नहीं के बराबर हो रही है जबकि उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बारिश हो रही है जिस कारण नई फसल की आवक में देरी होने की आशंका है। यार्न मिलों की मांग में भी हल्का सुधार आया है इसीलिए सीसीआई ने कीमतों में बढ़ोतरी की है, तथा आगामी दिनों में भाव में और भी सुधार आने का अनुमान है क्योंकि अभी भी कपास के दाम घरेलू मंडियों में पिछले साल की तुलना में 15 से 18 फीसदी तक नीचे बने हुए हैं। पिछले साल अहमदाबाद में अगस्त मध्य में शंकर—6 किस्म की कपास का भाव 42,000-45,000 रुपये प्रति कैंडी था।
उत्पादन अनुमान में उद्योग ने की बढ़ोतरी
उद्योग ने चालू सीजन में कपास के उत्पादन अनुमान को बढ़ाकर 354.50 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) कर दिया है जबकि पिछले साल देश में 312 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। कोरोना वायरस के कारण देशभर में हुए लॉकडाउन की वजह से इस साल देश के साथ विश्व बाजार में कपास की मांग में भारी कमी आई है। जिसका असर इसकी कीमतों पर पड़ा। सीसीआई ने चालू सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एक करोड़ गांठ कपास की खरीद की, इसके अलावा महाराष्ट्र में भी राज्य सरकार ने खरीद की। सीसीआई इस समय डिस्काउंट देकर कपास की बिक्री कर रही है क्योंकि पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले नए सीजन में भी कपास का बंपर उत्पादन अनुमान है, जबकि उस समय कपास का बकाया स्टॉक भी 100 लाख गांठ से ज्यादा बचेगा जोकि पिछले साल के बकाया स्टॉक से चार गुना से भी ज्यादा है। इसलिए सीसीआई को अगले फसल सीजन में एमएसपी पर ज्यादा कपास की खरीद करनी पड़ेगी।
बुआई में हुई बढ़ोतरी
चालू खरीफ में कपास की बुआई 3.20 फीसदी बढ़कर 125.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 121.58 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: कपास की बुआई 120.97 लाख हेक्टेयर में होती है। अत: अगले साल भी कपास की कीमतों पर दबाव बना रहने का अनुमान है।............ आर एस राणा
17 अगस्त 2020
उत्तर भारत के राज्यों में 18-21 अगस्त तक अच्छी बारिश के आसार
आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार 18 से 21 अगस्त तक उत्तर भारत में मानसून की सक्रियता बढ़ेगी। इससे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साथ ही हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कहीं कहीं तेज तो कहीं मध्यम बारिश होने का अनुमान है।
स्काईमेट के अनुसार निम्न दबाव का क्षेत्र अब उत्तरी छत्तीसगढ़ और इससे सटे भागों पर पहुँच गया है। इस सिस्टम के साथ ही एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी बना हुआ है। पूर्वोत्तर भारत में मेघालय के ऊपर भी एक चक्रवाती सिस्टम बना हुआ है। मानसून की अक्षीय रेखा आज भी दक्षिण में राजस्थान पर बनी हुई है। इस समय मानसून ट्रफ बीकानेर, जयपुर, शिवपुरी, सतना और छत्तीसगढ़ पर बने निम्न दबाव के क्षेत्र से दिघा होते हुए उत्तर-पूर्वी बंगाल की खाड़ी तक पहुँच रही है। दक्षिणी पंजाब और इससे सटे भागों पर हवाओं में एक चक्रवाती सिस्टम बना हुआ है। एक अन्य चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिणी गुजरात इसके आसपास के हिस्सों पर दिखाई दे रहा है।
आगामी 24 घंटों के दौरान देश में कहां-कहां होगी बारिश
अगले 24 घंटों के दौरान गुजरात, कोंकण गोवा, विदर्भ, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र, तटीय कर्नाटक, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक के कुछ हिस्सों और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल में हल्की से मध्यम बारिश होने के आसार हैं। इन भागों में कुछ स्थानों पर भारी मॉनसूनी बौछारें भी गिर सकती हैं। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, गंगीय पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मानसून कमजोर रहेगा और इन भागों में छिटपुट जगहों पर हल्की बारिश से अधिक की संभावना कम है।
पिछले 24 घंटों में किन राज्यों में हुई मानसूनी बारिश
बीते 24 घंटों के दौरान तटीय और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक तथा कोंकण गोवा में कई जगहों पर मध्यम से भारी बारिश हुई। तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तरी गुजरात में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम और एक-दो जगहों पर भारी मानसून वर्षा दर्ज की गई। गुजरात के बाकी हिस्सों, आंतरिक महाराष्ट्र, केरल, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और शेष मध्य प्रदेश में भी कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हुई। पूर्वी राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। आंध्र प्रदेश, दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक, रायलसीमा और पश्चिमी राजस्थान में छिटपुट जगहों पर हल्की बारिश के साथ कहीं-कहीं पर मध्यम बारिश हुई।.............. आर एस राणा
उत्तर प्रदेश लाईन से नए पूसा 1,509 धान की आवक बढ़ी, भाव में मंदे की उम्मीद
आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश लाइन से हरियाणा की मंडियों में नए पूसा 1,509 धान की आवक बढ़ने लगी है तथा आगे मौसम साफ होने पर आवक का दबाव बनेगा, जिससे इनकी कीमतों में नरमी ही आने का अनुमान है। हरियाणा की करनाल और नरेला मंडी में नए पूसा 1,509 धान के भाव 2,000 से 2,050 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
करनाल मंडी के धान कारोबारी के अनुसार अभी उत्तर प्रदेश लाइन से नए धान की आवक कम हो रही है तथा नए मालों में 20 से 22 फीसदी की नमी है। आगे मौसम साफ होने पर इसकी आवक और बढ़ेगी। हरियाणा एवं पंजाब में नए पूसा 1,509 धान की आवक सितंबर में बनेगी तथा अक्टूबर में परमल धान एवं नवंबर में पूसा 1,121 की आवक बढ़ेगी। परमल धान की सरकारी खरीद पंजाब और हरियाणा की मंडियों में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) करेगी। केंद्र सरकार ने कॉमन ग्रेड धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,868 रुपये और ग्रेड ए धान का एमएसपी 1,888 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
धान की रोपाई चालू खरीफ में 14.05 फीसदी बढ़कर 351.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 308.51 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। चालू सीजन में धान का उत्पादन अनुमान ज्यादा है, जबकि आगे नई फसल की दैनिक आवक बढ़ेगी, इसलिए उत्पादक मंडियों में आगे की कीमतों में नरमी ही आने का अनुमान है। जानकारों के अनुसार पूसा 1,121 नए धान का भाव मंडियों में 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे खुलेगा। करनाल मंडी में सोमवार को पूसा 1,121 धान का भाव 3,150 से 3,200 रुपये और सेला चावल का 5,300 से 5,350 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
?एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 के अप्रैल, मई में 7.84 लाख टन बासमती चावल का और 11.13 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में क्रमश: 8.64 और 7.30 लाख टन का निर्यात हुआ था। ............ आर एस राणा
विश्व बाजार में भाव बढ़ने से जुलाई अंत तक 43 लाख गांठ कपास के हुए निर्यात सौदे
नई दिल्ली। विश्व बाजार में कपास की कीमतों में आए सुधार से जुलाई अंत तक 43 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास के निर्यात सौदे हो चुके हैं तथा अगस्त और सितंबर में करीब 7 लाख गांठ का और निर्यात होने का अनुमान है।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है जिससे कुल निर्यात चालू फसल सीजन में 50 लाख गांठ होने का अनुमान है जोकि आरंभिक अनुमान से तीन लाख गांठ ज्यादा है। कपास का आयात भी आरंभिक अनुमान 15 लाख गांठ से बढ़कर 16 लाख गांठ होने का अनुमान है।
जुलाई अंत तक 345.40 लाख गांठ की हो चुकी है आवक
सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2019-20 में 354.50 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है तथा जुलाई अंत तक मंडियों में 345.40 लाख गांठ की आवक हो चुकी है। पिछले साल देश में 312 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में चालू सीजन में 92.50 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 84.50 लाख गांठ, तेलंगाना में 51 लाख गांठ, कर्नाटक में 21 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश 15.25 लाख गांठ, मध्य प्रदेश 17.50 लाख गांठ, तमिलनाडु पांच लाख गांठ तथा उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 63 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। इसके अलावा अन्य राज्यों 4.75 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।
बकाया स्टॉक ज्यादा, बुआई भी बढ़ी
पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने नए कपास सीजन के समय बकाया स्टॉक 102.50 लाख गांठ बचने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 23.50 लाख गांठ से कई गुना ज्यादा है। चालू खरीफ में कपास की बुआई 3.20 फीसदी बढ़कर 125.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 121.58 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: कपास की बुआई 120.97 लाख हेक्टेयर में होती है। अत: अगले साल भी कपास की कीमतों पर दबाव बना रहने का अनुमान है।........ आर एस राणा
15 अगस्त 2020
आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में अगले 24 घंटों में तेज बारिश का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून की अक्षीय रेखा दक्षिण में राजस्थान पर आ गई है। इस समय मानसून ट्रफ जैसलमर, अजमेर, उमरिया होते हुए ओडिशा पर बने निम्न दबाव के क्षेत्र तक पहुँच रही है। इसके अलावा उत्तर पूर्वी राजस्थान और इससे सटे भागों पर एक चक्रवाती सिस्टम बना हुआ है। निम्न दबाव का क्षेत्र प्रभावी होते हुए गहरे निम्न दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो गया है और इस समय तटीय ओडिशा और इससे सटे भागों पर है। एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र गुजरात के कच्छ क्षेत्र तथा इससे सटे दक्षिणी पाकिस्तान पर बना हुआ है।
आगामी 24 घंटों के दौरान देश में कहां-कहां होगी तेज बारिश
स्काईमेट के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान मानसून की व्यापक सक्रियता आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दक्षिणी छत्तीसगढ़ और ओडिशा के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश के साथ कुछ स्थानों पर अति भारी वर्षा हो सकती है। गुजरात, कोंकण गोवा, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और पूर्वी मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्सों पर मानसून सक्रिय है। राज्य के ज़्यादातर जिलों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ हिस्सों में भारी वर्षा की उम्मीद है। जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और मध्य भागों, शेष मध्य प्रदेश, आंतरिक महाराष्ट्र, तटीय कर्नाटक, हरियाणा के कुछ हिस्सों, पश्चिमी राजस्थान और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक में भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर तथा दक्षिण भारत में मानसून कमजोर रहेगा। हालांकि इन भागों में कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा हो सकती है।
पिछले 24 घंटों में कैसा रहा मानसून का प्रदर्शन
बीते 24 घंटों के दौरान मॉनसून की सबसे अधिक सक्रियता कोंकण गोवा, गुजरात और ओडिशा के उत्तरी तटीय भागों पर भारी से अति भारी बारिश दर्ज की गई। हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, दक्षि-पूर्वी मध्य प्रदेश, तेलंगाना, तटीय आंध्र प्रदेश और मेघालय में कई जगहों पर हल्की से मध्यम जबकि कुछ स्थानों पर भारी बारिश दर्ज की गई। उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, पश्चिमी राजस्थान, उत्तर प्रदेश, शेष मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंतरिक ओडिशा, पश्चिम बंगाल, विदर्भ, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र, तटीय कर्नाटक, केरल और शेष पूर्वोत्तर भारत में हल्की से मध्यम बारिश हुई। झारखंड, केरल में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हुई जबकि बिहार, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में एक-दो स्थानों पर मानसूनी बौछारें दर्ज की गईं। .............. आर एस राणा
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आर एस राणा
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आगामी गन्ना पेराई सीजन में 362 करोड़ लीटर एथेनॉल के उत्पादन लक्ष्य
आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार गन्ना किसानों के बकाया को कम करने के लिए चीनी के बजाए एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने पर जोर देगी। एथेनॉल उत्पादन से चीनी मिलों का नकदी प्रवाह बढ़ेगा, जिससे बकाया भुगतान में सहुलियत होगी। केंद्र सरकार ने पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले पेराई सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 362 करोड़ एथेनॉल के उत्पादन का लक्ष्य तय किया है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सभी उत्पादक राज्यों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि मिलें एथेनॉल उत्पादन क्षमता का लगभग 85 फीसदी उपयोग जरुर करे। केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने के बावजूद भी गन्ना किसानों का बकाया लगातार बढ़ता जा रहा है, इसलिए सरकार चीनी के बजाए एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने पर जोर देगी, एथेनॉल से चीनी मिलों को समय पर भुगतान हो सकेगा, जिससे किसानों के बकाया भुगतान में मदद मिलेगी।
तेल विपणन कंपनियों ने गुरुवार को 465 करोड़ लीटर एथेनॉल की आवश्यकता की निविदा जारी की है। मंत्रालय ने सभी चीनी उत्पादक राज्यों को पत्र लिखा है कि देश में चीनी का उत्पादन खपत से ज्यादा हो रहा है, जिससे चीनी मिलों को समय से पैसा नहीं मिलने से किसानों के बकाया भुगतान में देरी हो रही है, इसलिए मिलें एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे। केंद्र सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में एथेनॉल ब्लेंडिंग के लिए 10 फीसदी और 2030 तक 20 फीसदी ब्लेंडिंग का लक्ष्य तय किया हुआ है जबकि पेराई सीजन 2018-19 में चीनी मिलों ने तेल कंपनियों को 180 करोड़ लीटर एथेनॉल की सप्लाई ही की थी, जोकि 5 फीसदी ब्लेंडिंग के बराबर है।
केंद्र सरकार ने सितंबर 2019 में सी-ग्रेड एथेनॉल की कीमत 29 पैसे बढ़ाकर 43.75 रुपये प्रति लीटर और बी-ग्रेड एथेनॉल की कीमत को 1.84 रुपये प्रति लीटर बढ़ाकर 54.27 रुपये प्रति लीटर तय की थी। साथ ही गन्ने के रस से सीधे बनने वाले एथेनॉल की कीमत में भी 29 पैसे की बढ़ोतरी कर भाव 59.48 रुपये प्रति लीटर तय किया था। चालू पेराई सीजन 2019-20 में 273 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि आगामी पेराई सीजन में 305 लाख टन से ज्यादा चीनी के उत्पादन का अनुमान उद्योग ने जारी किया है जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 240 से 250 लाख टन की ही होती है। पत्र में कहा गया है कि एथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग 18,600 करोड़ रुपये के सॉफ्ट लोन को बैंकों के माध्यम से 362 परियोजनाओं (349 चीनी मिलों और 13 गुड़-आधारित स्टैंड अलोन डिस्टिलरीज) प्रस्ताव मिले हुए हैं, जिसके लिए सरकार द्वारा करीब 4,050 करोड़ रुपये का ब्याज उपकर पांच साल के लिए वहन जायेगा। सरकार द्वारा सैद्धांतिक रूप से स्वीकृत 349 चीनी मिलों में से अब तक 64 परियोजनाओं के ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं और इन क्षमताओं को पूरा करने से एथेनॉल उत्पादन क्षमता 165 करोड़ लीटर बढ़ जाएगी। .................. आर एस राणा
खरीफ की बुआई का आकड़ा 1,015 लाख हेक्टेयर के पार, सोयाबीन और कपास की सामान्य से ज्यादा
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 14 अगस्त तक फसलों की बुआई बढ़कर 1,015 लाख हेक्टेयर को पार कर चुकी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुफ फसल धान की रोपाई से लेकर दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की बुआई आगे चल रही है जबकि तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन, मूंगफली एवं कपास की बुआई चालू खरीफ मेें सामान्य क्षेत्रफल से भी ज्यादा हुआ है।
मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कुल बुआई का आकड़ा 1,015 लाख हेक्टेयर को पार कर चुका है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई 935.70 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।
दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 2.07 फीसदी बढ़कर 124.01 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में 3.08 फीसदी बढ़कर 43.63 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 42.32 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। इसी तरह से उड़द की बुआई बढ़कर 35.62 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 32.92 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 33.74 एवं 29.03 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
धान और मोटे अनाज की बुआई ज्यादा
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 14.05 फीसदी बढ़कर 351.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 308.51 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में 3.60 फीसदी बढ़कर 168.12 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 162.28 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 14.53 और बाजरा की 65.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 14.57 और 62.66 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मक्का की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 77.78 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 76.83 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। रागी की बुआई भी बढ़कर चालू खरीफ में 6.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल 4.67 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
मूंगफली और सोयाबीन की बुआई सामान्य क्षेत्रफल से भी ज्यादा
तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 14.41 फीसदी बढ़कर 187.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 163.57 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। तिलहन की प्रमुख सोयाबीन की बुआई 118.99 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि सामान्य क्षेत्रफल 110.32 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा है। पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुआई 111.46 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुआई बढ़कर 49.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 35.01 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: मूंगफली की बुआई 41.41 लाख हेक्टेयर में ही होती है। केस्टर सीड की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 4.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 3.83 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
कपास की बुआई में 3.20 फीसदी की बढ़ोतरी
गन्ने की बुआई चालू सीजन में 52.02 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 51.40 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। कपास की बुआई चालू खरीफ में 3.20 फीसदी बढ़कर 125.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 121.58 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: कपास की बुआई 120.97 लाख हेक्टेयर में होती है। ..............आर एस राणा
14 अगस्त 2020
जुलाई तक 53 लाख टन चीनी के हुए निर्यात सौदे, सरकार ने मिलों से मांगी जानकारी
आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चीनी मिलों से कोटे के तहत की गई चीनी के निर्यात की जानकारी मांगी है। सूत्रों के अनुसार चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान जुलाई अंत तक करीब 53 लाख टन चीनी के निर्यात हुए है जोकि तय कोटे 60 लाख टन से सात लाख टन कम है।
केंद्र सरकार ने पेराई सीजन के लिए 60 लाख टन चीनी का निर्यात निर्धारित किया था, जिसके लिए चीनी मिलों को 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी दी जा रही है। यह कोटा मिलों को 30 सितंबर 2020 तक निर्यात करना है। चूंकि पहली अक्टूबर 2020 से गन्ने का नया पेराई सीजन शुरू हो रहा है तथा अगले पेराई सीजन के लिए सब्सिडी पर सरकार चीनी का निर्यात कोटा निर्धारित कर सकती है, इसलिए अभी तक हुए निर्यात की जानकारी मिलों से मांगी गई है।
केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की ओर से चीनी मिलों को लिखे गए पत्र के अनुसार जुलाई अंत तक 53 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे हो चुके हैं तथा इसमें से से बची हुई 7 लाख टन चीनी निर्यात के लिए अब महज डेढ़ महीने का वक्त है। लिहाजा पत्र के जरिए सरकार ने चीनी मिलों को अपने हिस्से की चीनी को जल्द से जल्द निर्यात करने का सुझाव भी दिया है। जिन मिलें कोटे के तहत चीनी निर्यात नहीं किया है या जिन्होंने आंशिक रुप से निर्यात किया है। उनसे भी सरकार ने जानकारी मांगी है। इसके अलावा निर्यात में दिलचस्पी नहीं लेने वाली मिलों को 25 अगस्त तक अपना कोटा सरेंडर करने को भी कहा गया है।
चालू पेराई सीजन के दौरान सरकार ने 60 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा जारी किया था। इस कोटे की मियाद 30 सितंबर को खत्म हो जाएगी। इसके तहत मिलों को चीनी निर्यात की मात्रा का भी आवंटन किया जा चुका है। पिछले पेराई सीजन 2018-19 के लिए सरकार ने 50 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा जारी किया था। जिसके तहत 38 लाख टन चीनी का निर्यात हो सका था। इस समय विश्व बाजार में चीनी के दाम उंचे चल रहे हैं।......... आर एस राणा