घाटा कम करने के लिए उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें चालू सीजन में एक महीने
पहले पेराई बंद करने की योजना बना रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एक
महीने पहले पेराई बंद करने से इस सीजन में मिलों की परिचालन लागत 10-15 कम
आएगी। आमतौर पर मिलें 15 अप्रैल के आसपास पेराई बंद करने की घोषणा करती
हैं। हालांकि गन्ने की ज्यादा उपलब्धता की स्थिति में मिलें 30 अप्रैल या
इसके बाद तक चलती हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश की कई मिलों ने 15 मार्च तक
परिचालन बंद करने के लिए पेराई तेज कर दी है।
उत्तर प्रदेश में इस उद्योग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, 'गन्ना अगले 10-15 दिन में खत्म हो जाएगा और इसलिए मिलों के पास 15 मार्च तक चालू सीजन को बंद करने की घोषणा के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा।' इस उद्योग की शीर्ष संस्था भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के मुताबिक राज्य में चल रहीं 118 मिलों ने 15 फरवरी तक 42.3 लाख टन चीनी उत्पादित की है। हालांकि पिछले साल इस समय तक चालू 119 मिलों ने 35.7 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। इसका मतलब है कि चालू मिलें कम होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में इस सीजन के दौरान अब तक 19 फीसदी ज्यादा चीनी उत्पादन हुआ है
इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में 15 मार्च तक गन्ने की गन्ने की आपूर्ति बंद हो जाएगी, इसलिए इस साल मिलें पहले बंद होंगी।' गन्ने की उपलब्धता में अनुमानित 6-8 फीसदी कमी से उत्तर प्रदेश में शुरुआत में चीनी उत्पादन 8 फीसदी घटकर 60 लाख टन रहने का अनुमान जताया गया था, जबकि पिछले सीजन यानी 2013-14 में उत्पादन 65 लाख टन रहा था। लेकिन ताजा अनुमानों में रिकवरी में थोड़ा सुधार होने की बात कही गई है, जिससे उत्पादन थोड़ा बढ़कर पिछले साल के बराबर रह सकता है।
एक अधिकारी ने कहा, 'इस साल गन्ने की उपलब्धता 6-8 फीसदी कम और पेराई की रफ्तार ज्यादा है। इसका मतलब है कि पेराई सीजन जल्द खत्म होगा। लेकिन चीनी का उत्पादन पिछले साल के बराबर रहेगा। इसलिए गन्ने की कम उपलब्धता और पेराई की रफ्तार ज्यादा होने से पेराई सीजन जल्द खत्म होगा।' हालांकि ऐसी भी छिटपुट खबरें हैं कि राज्य में किसानों ने गन्ने के बकाये का लंबे समय तक इंतजार करने के बजाय तुरंत आमदनी के लिए पशु चारे और गुड़ बनाने वाली इकाइयों को गन्ने की आपूर्ति की है। इस्मा के मुताबिक 15 फरवरी तक कुल बकाया 12,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, क्योंकि मिलें 240 रुपये प्रति क्विंटल के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) की दर पर भी किसानों को भुगतान नहीं कर पा रही हैं।
महाराष्ट्र में चालू 178 चीनी मिलों ने इस सीजन में अब तक 6.58 करोड़ टन गन्ने की पराई कर 72.8 लाख टन चीनी उत्पादित की है। पिछले साल 27 फरवरी तक वहां 146 मिलों ने 5 करोड़ टन गन्ने की पेराई कर 55.5 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। महाराष्ट्र में चीनी मिलों पर पहली बार गन्ने का बकाया करीब 1,500 करोड़ रुपये पर पहुंचा है। पिछले साल महाराष्ट्र में चीनी का कुल उत्पादन 77 लाख टन रहा था। लेकिन इस बार 95 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है। महाराष्ट्र स्टेट फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के सचिव आर जी माने ने कहा कि इस साल राज्य में चीनी का उत्पादन ज्यादा रहने का अनुमान है। मिलों को पूरी फसल की पेराई का अधिकार दिया गया है, इसलिए इस साल पूरे सीजन में पेराई चलने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश में इस उद्योग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, 'गन्ना अगले 10-15 दिन में खत्म हो जाएगा और इसलिए मिलों के पास 15 मार्च तक चालू सीजन को बंद करने की घोषणा के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा।' इस उद्योग की शीर्ष संस्था भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के मुताबिक राज्य में चल रहीं 118 मिलों ने 15 फरवरी तक 42.3 लाख टन चीनी उत्पादित की है। हालांकि पिछले साल इस समय तक चालू 119 मिलों ने 35.7 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। इसका मतलब है कि चालू मिलें कम होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में इस सीजन के दौरान अब तक 19 फीसदी ज्यादा चीनी उत्पादन हुआ है
इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में 15 मार्च तक गन्ने की गन्ने की आपूर्ति बंद हो जाएगी, इसलिए इस साल मिलें पहले बंद होंगी।' गन्ने की उपलब्धता में अनुमानित 6-8 फीसदी कमी से उत्तर प्रदेश में शुरुआत में चीनी उत्पादन 8 फीसदी घटकर 60 लाख टन रहने का अनुमान जताया गया था, जबकि पिछले सीजन यानी 2013-14 में उत्पादन 65 लाख टन रहा था। लेकिन ताजा अनुमानों में रिकवरी में थोड़ा सुधार होने की बात कही गई है, जिससे उत्पादन थोड़ा बढ़कर पिछले साल के बराबर रह सकता है।
एक अधिकारी ने कहा, 'इस साल गन्ने की उपलब्धता 6-8 फीसदी कम और पेराई की रफ्तार ज्यादा है। इसका मतलब है कि पेराई सीजन जल्द खत्म होगा। लेकिन चीनी का उत्पादन पिछले साल के बराबर रहेगा। इसलिए गन्ने की कम उपलब्धता और पेराई की रफ्तार ज्यादा होने से पेराई सीजन जल्द खत्म होगा।' हालांकि ऐसी भी छिटपुट खबरें हैं कि राज्य में किसानों ने गन्ने के बकाये का लंबे समय तक इंतजार करने के बजाय तुरंत आमदनी के लिए पशु चारे और गुड़ बनाने वाली इकाइयों को गन्ने की आपूर्ति की है। इस्मा के मुताबिक 15 फरवरी तक कुल बकाया 12,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, क्योंकि मिलें 240 रुपये प्रति क्विंटल के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) की दर पर भी किसानों को भुगतान नहीं कर पा रही हैं।
महाराष्ट्र में चालू 178 चीनी मिलों ने इस सीजन में अब तक 6.58 करोड़ टन गन्ने की पराई कर 72.8 लाख टन चीनी उत्पादित की है। पिछले साल 27 फरवरी तक वहां 146 मिलों ने 5 करोड़ टन गन्ने की पेराई कर 55.5 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। महाराष्ट्र में चीनी मिलों पर पहली बार गन्ने का बकाया करीब 1,500 करोड़ रुपये पर पहुंचा है। पिछले साल महाराष्ट्र में चीनी का कुल उत्पादन 77 लाख टन रहा था। लेकिन इस बार 95 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है। महाराष्ट्र स्टेट फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के सचिव आर जी माने ने कहा कि इस साल राज्य में चीनी का उत्पादन ज्यादा रहने का अनुमान है। मिलों को पूरी फसल की पेराई का अधिकार दिया गया है, इसलिए इस साल पूरे सीजन में पेराई चलने की संभावना है।
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