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06 अक्तूबर 2012

कॉपर में दीर्घावधि का निवेश देगा मुनाफा

मुनाफे का सौदा चीन की ओर से विशेष निवेश योजनाओं को मंजूर किए जाने से कॉपर की मांग में तेजी का अनुमान लगाया जा रहा है। विश्लेषक आगामी एक-डेढ़ महीने में कॉपर की सप्लाई में भी कमी आने की संभावना जता रहे हैं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर 5 सितंबर को कॉपर के नवंबर वायदा अनुबंध का भाव 437.30 रुपये प्रति किलो के स्तर पर बंद हुआ था जबकि 4 अक्टूबर को इसका बंद भाव 433.30 रुपये प्रति किलो दर्ज किया गया है। निवेशकों को कॉपर में 430 रुपये प्रति किलो तक के स्तर पर निवेश करना चाहिए क्योंकि अगले दो महीने में घरेलू बाजार में इसका भाव 480 रुपये प्रति किलो के स्तर को छूने का अनुमान है। पिछले दस-पंद्रह दिन में कॉपर की कीमतों में गिरावट का रुख रहने के बावजूद लंबी अवधि के दौरान इसकी कीमतों में फिर से तेजी आने की संभावना है। चीन की ओर से विशेष निवेश योजनाओं को मंजूर किए जाने से कॉपर की मांग में तेजी का अनुमान लगाया जा रहा है। दूसरी ओर विश्लेषक आगामी एक-डेढ़ महीने में कॉपर की सप्लाई में भी कमी आने की संभावना जता रहे हैं। इसे देखते हुए मुनाफे के लिए निवेशक कॉपर के लंबी अवधि के वायदा अनुबंधों में सौदे कर सकते हैं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर 5 सितंबर को कॉपर के नवंबर वायदा अनुबंध का भाव 437.30 रुपये प्रति किलो के स्तर पर बंद हुआ था जबकि 4 अक्टूबर को इसका बंद भाव 433.30 रुपये प्रति किलो दर्ज किया गया है। विश्लेषकों के मुताबिक शॉर्ट टर्म के लिए कॉपर में गिरावट का रुख दर्ज किया जा सकता है लेकिन लंबी अवधि के दौरान इसकी कीमतों में तेजी आएगी। पिछले दो माह में अंतरराष्ट्रीय बाजार में लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) पर इसका भाव 8,000 डॉलर प्रति टन के स्तर पर आ गया है जो जुलाई के दौरान 7,551 डॉलर प्रति टन के स्तर पर था। कर्वी कॉमट्रेड के विश्लेषक (मेटल्स) सुमित मुखर्जी के मुताबिक कॉपर में लंबी अवधि के सौदों में निवेश के लिए अभी उचित समय है। क्योंकि सितंबर के मध्य में आई कीमतों की तेजी फिलहाल वैश्विक संकेतों के कारण नरम हो रही है। उन्होंने बताया कि यूरोपीय केंद्रीय बैंक की ओर से यूरो जोन के आर्थिक हालात में सुधार के लिए बांड खरीदे जाने के संकेतों से कॉपर व अन्य बेस मेटल्स की कीमतों में तेजी आई थी। सितंबर मध्य में घरेलू एमसीएक्स पर कॉपर का भाव 457.65 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गया था। लेकिन अभी बाजार में चीन और अमेरिका दोनों की विकास दर के आंकड़े खराब होने की वजह से कीमतों में नरमी दर्ज की जा रही है। उन्होंने बताया कि कॉपर की कीमतों में गिरावट अल्पावधि के लिए ही देखने को मिल सकती है।क्यों कि हाजिर बाजार में कॉपर में गतिविधि तेज होने के संकेत मिल रहे हैं। चीन में विशेष निवेश योजनाओं को मंजूरी मिलने के कारण कॉपर में मजबूती आने की संभावना है। कॉपर की इन्वेंट्री में कमी से सप्लाई में भी नमी का अनुमान है। जिससे लंबी अवधि के दौरान कीमतों में तेजी दर्ज की जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉपर का भाव वर्तमान के 8,000 रुपये के स्तर से बढ़कर 8,200 रुपये प्रति किलो के स्तर पर जा सकता है। इंडियाबुल्स कमोडिटीज के विश्लेषक (रिसर्च-कमोडिटी) बदरुद्दीन ने बताया कि फिलहाल कुछ समय के लिए कॉपर की कीमतों में गिरावट का रुख जारी रह सकता है। हालांकि सितंबर मध्य में यूरोप के केंद्रीय बैंक की ओर से सकारात्मक संकेतों के चलते कीमतों में तेजी दर्ज की गई थी। फिलहाल यह मसला हल होता नहीं दिखाई दे रहा है। इस कारण कीमतें फिर से नीचे आई हैं। उन्होंने बताया कि चीन और अमेरिका में विकास दर धीमी होने के कारण अभी गिरावट का रुख दर्ज किया जा रहा है। मार्च 2011 के बाद नवंबर 2012 के आंकड़े चीन के सर्वाधिक खराब आंकड़े हैं। बदरुद्दीन के मुताबिक घरेलू एमसीएक्स पर कॉपर का भाव 423 रुपये के स्तर पर जा सकता है। ऐसे में निवेशकों के लिए कॉपर में खरीद का अनुकूल माहौल हो सकता है। क्योंकि एक-डेढ़ महीने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में निवेश बढऩे से कॉपर के दाम भी बढ़ सकते हैं। निवेशकों का कहना है कि घरेलू बाजार में सुधारों के लिए केंद्र सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों का असर लंबे समय बाद देखने को मिलेगा। फिलहाल इन सुधारों के संकेतों से रुपये की कीमतों में मजबूती को समर्थन मिलेगा। जिससे आयात में तेजी आने के कारण कॉपर की कीमतों में नरमी कुछ समय के लिए जारी रह सकती है। लेकिन, सप्लाई में कमी के साथ चीन में निवेश बढऩे के संकेतों से कॉपर की कीमतों में तेजी आने की संभावना है। निवेशकों को कॉपर में 430 रुपये प्रति किलो तक के स्तर पर निवेश करना चाहिए क्योंकि अगले दो महीने में घरेलू बाजार में इसका भाव 480 रुपये प्रति किलो के स्तर को छूने का अनुमान है। (Business Bhaskar)

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