12 अक्तूबर 2012
सिक्किम ने बढ़ाए राशन की चीनी के दाम
सिक्किम ने लेवी चीनी (सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दी जाने वाली चीनी) की कीमत बढ़ा दी है, जबकि केंद्र सरकार ने इसकी कीमतों में इजाफे का मामला टाल दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, सिक्किम ने लेवी चीनी की कीमतें बढ़ाकर 26 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी है जबकि केंद्र सरकार ने इसकी कीमतें 13.50 रुपये प्रति किलो तय की है। सिक्किम का मामला दूसरे राज्यों के लिए उदाहरण बन सकता है और दूसरे राज्य भी इस मामले में आगे बढ़ सकते हैं, जो लेवी चीनी की कीमतों के आंशिक विनियंत्रण का हो सकता है। खाद्य मंत्रालय ने लेवी चीनी की कीमतें 13.50 रुपये से बढ़ाकर 24-26 रुपये प्रति किलोग्राम करने का प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन कैबिनेट ने इसे टाल दिया। लेवी चीनी की कीमतें आखिरी बार 2002 में तय की गई थी और तब से इसमें इजाफा नहीं किया गया है।
अधिकारियों के मुताबिक सिक्किम सरकार उत्तर प्रदेश की मिलों से चीनी की खरीद करती है और ट्रकों के जरिए अपने यहां मंगवाती है क्योंकि वहां रेलवे लाइन नहीं है। परिवहन लागत काफी बढ़ गई है और राज्य ने अब इसका भार अब उपभोक्ताओं पर डालने का फैसला किया है और इस लिहाज से राशन की चीनी की कीमतें बढ़ा दी है। दूसरी ओर केंद्र सरकार राज्यों को 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से चीनी वितरण पर ही सब्सिडी देती है। सिक्किम ने 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम से अतिरिक्त लागत का भार उपभोक्ताओं पर डालने का फैसला किया है और अधिकारियों का कहना है कि कीमतें बढ़ाने के बाद भी पीडीएस के तहत बेची जाने वाली चीनी बाजार के मुकाबले सस्ती होगी।
पीडीएस चीनी पर सब्सिडी में कटौती के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा था कि वे इसकी कीमतों में इजाफा करें और इजाफे के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की प्रतीक्षा न करें। केंद्र सरकार बार-बार इसकी कीमतों में इजाफा करने का मसला टाल रही है। इससे राज्यों को लेवी चीनी की खरीद और इसकी बिक्री से होने वाले नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी क्योंकि ऊंचे भाव पर खरीदकर उसे सस्ते में बेचा जाता है। हालांकि सिक्किम को छोड़कर ज्यादातर राज्य इससे समहत नहीं हैं।
अधिकारियों ने कहा, पहले राशन की चीनी और बाजार में बिकने वाली चीनी की कीमतों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं था, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह अंतर काफी ज्यादा बढ़ा है। पहले राज्यों को केंद्र की तरफ से 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से रकम मिलती थी और बाजार कीमतें इसी के आसपास थी, ऐसे में पीडीएस में पर्याप्त चीनी उपलब्ध होती थी और खुले बाजार में अक्सर चीनी की किल्लत नजर आती थी। अब स्थिति हालांकि उलटी हो गई है।
अधिकारियों ने कहा, मिलों से पीडीएस चीनी का उठान काफी तेजी से घटा है और यह कुल स्टॉक का 60-70 फीसदी रह गया है जबकि पहले यह 90-95 फीसदी हुआ करता था। इस प्रगति से जुड़े सूत्रोंं का कहना है कि बिहार व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने पीडीएस के लिए चीनी का उठान वस्तुत: बंद कर दिया है। पहले पीडीएस चीनी के लिए केंद्र सरकार को 5000 करोड़ रुपये देने होते थे, लेकिन अब यह रकम घटकर 1000-1500 करोड़ रुपये रह गई है क्योंकि कई राज्य पीडीएस के तहत काफी कम चीनी का उठान कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा, राज्यों को सब्सिडी तभी दी जाती है जब केंद्र को राज्यों की तरफ से पीडीएस के तहत 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर चीनी बेचने की सूचना मिलती है। (BS Hindi)
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