15 अक्तूबर 2012
त्योहारी मांग बढऩे से चने के भाव में और तेजी के आसार
आगामी रबी सीजन में चने की बुवाई बढऩे की संभावना के बावजूद त्योहारी सीजन में दाल व बेसन के उत्पादन के लिए मिलों से चने की मांग बढऩे से कीमतों में तेजी आ रही है। कारोबारियों के मुताबिक वर्तमान में हाजिर मंडियों में स्टॉक कम होने के कारण त्योहारी सीजन के दौरान चने की कीमतों में तेजी जारी रहने की संभावना है।
दिल्ली थोक बाजार में पिछले दस दिन में चने की कीमतों में करीब 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई है। इस दौरान चने की थोक कीमतें 4,450 रुपये से बढ़कर 4,660 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गई।
दिल्ली में चने के थोक कारोबारी ओम प्रकाश ने बताया कि त्योहारों के दौरान दाल व बेसन की मांग में बढ़ोतरी के कारण मिलों की ओर से चने की खपत में तेजी आ रही है। इस कारण चने की कीमतों में फिर से तेजी का रुख है। उन्होंने बताया कि पिछले सीजन में चने का उत्पादन कम रहने के कारण वर्तमान में बाजार में स्टॉक भी काफी कम है। इस कारण त्योहारी सीजन के दौरान कीमतों में तेजी का रुख जारी रह सकता है।
पिछले दस दिन में चना कारोबार के प्रमुख केंद्र इंदौर व बीकानेर की मंडियों में इसकी हाजिर कीमतों में तेजी दर्ज की गई है।
इस दौरान इंदौर में चने का भाव 4,350 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर से बढ़कर 4,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। बीकानेर मंडी में भी चने की कीमतें 500-600 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गई हैं। अक्टूबर के शुरू में यहां चने की कीमतें 4,350 रुपये के स्तर पर थीं, जो वर्तमान में 4,600 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गई हैं।
दिल्ली में चने के थोक कारोबारी अशोक कुमार ने बताया कि अभी चने की कीमतों में 500 रुपये प्रति क्विंटल तक की तेजी आ सकती है क्योंकि पिछले साल का उत्पादन कम रहने के कारण स्टॉक कम हैं। वर्ष 2011-12 में चने का उत्पादन 75.8 लाख टन रहने का अनुमान है जो कि 2010-11 में 82.2 लाख टन दर्ज किया गया था। हालांकि, आगामी रबी सीजन में अनुकूल परिस्थितियों के कारण चने की बुवाई बेहतर रहने के संकेत हैं जिससे त्योहारों के बाद कीमतों पर दबाव आ सकता है। (Business Bhaskar)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें