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27 अक्टूबर 2012

पकने से पहले ही कटने लगा प्याज

कीमतों में बढ़ोतरी का फायदा उठाने के लिए प्रमुख उत्पादक इलाकों में प्याज उगाने वाले किसानों ने खरीफ के प्याज की कटाई इसके पकने से पहले ही शुरू कर दी है। इसका बुरा असर अगले साल नजर आ सकता है क्योंकि पकने से पहले उत्पादित प्याज का जीवनकाल काफी कम होता है। कृषि उत्पाद विपणन समिति वाशी में औसत गुणवत्ता वाले प्याज की कीमतें गुरुवार को 1300-1400 रुपये प्रति क्विंटल रहीं जो इस महीने की शुरुआत में 600-700 रुपये प्रति क्विंटल थी। बेंचमार्क लासालगांव बाजार (नासिक) में प्याज का भाव गुरुवार को 1200-1400 रुये प्रति क्विंटल थी जबकि 1 अक्टूबर को यहां भाव 500-600 रुपये प्रति क्विंटल था। खरीफ सीजन के प्याज की बुआई मॉनसून की बारिश के बहाल होने के साथ शुरू हुई थी और बुआई में करीब दो महीने की देरी हुई थी। इसके परिणामस्वरूप प्याज के उत्पादन में भी आनुपातिक देरी की संभावना थी। सामान्य परिस्थितियों में अक्टूबर के पहले हफ्ते में प्याज की आवक मंडियों में शुरू होती है, लेकिन खरीफ के प्याज की आवक इस साल दिसंबर या जनवरी की शुरुआत मेंं होने की संभावना थी। राष्ट्रीय बागवानी शोध व विकास संघ (एनएचआरडीए) के निदेशक आर पी गुप्ता ने कहा, अपने उत्पाद की कीमत ज्यादा हासिल करने के लिए किसानों ने परिपक्व होने से पहले ही प्याज की कटाई शुरू कर दी। चूंकि इसकी बुआई दो महीने की देरी से हुई थी, लिहाजा इसके परिपक्व होने में समय लगेगा। त्योहारी सीजन की शुरुआत के साथ ही मांग में तेजी आ गई। इसके उलट त्योहारी सीजन में बाजार बंद होने के चलते प्रमुख मंडियों में आपूर्ति सिकुड़कर एक चौथाई रह गई थी। इसके परिणामस्वरूप मंडियों में आपूर्ति सीमित रही जबकि गोदामों में प्याज का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध था। उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल में दुर्गापूजा के चलते बाजार चार दिन तक बंद रहे। दूसरे राज्यों में भी दुर्गापूजा व बकरीद की वजह से बाजार बंद रहे। ऐसे में ट्रक भी इस हफ्ते सड़कों से दूर रहे और इस वजह से मंडियों में प्याज की आवक नहीं हुई। वाशी मंडी में कुल आवक औसतन 50-60 ट्रक रही जबकि अक्टूबर की शुरुआत में यह 180-200 ट्रक थी। लासालगांव हाजिर बाजार में भी प्याज की आवक गुरुवार को घटकर 200 ट्रक रह गई जबकि महीने की शुरुआत में आवक 400 ट्रक थी। लासालगांव के प्याज कारोबारी संजय सनप के मुताबिक, इस सीजन में प्याज उत्पादन में देरी के चलते इस जिंस की आपूर्ति पिछले कुछ हफ्ते से प्रभावित हुई है। चूंकि नई फसल दो महीने बाद मंडियों में आएगी, लिहाजा तब तक बाजार में मजबूती बनी रहेगी। सनप का अनुमान है कि प्याज की कीमतें जल्द ही खुदरा उपभोक्ताओं के लिए 1600 रुपये प्रति क्विंटल को छू जाएंगी और इसकी लागत 24-26 ररुपये प्रति किलोग्राम बैठेगी। गुप्ता के मुताबिक, नए सीजन की फसल की आवक तक मांग पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि प्याज की कीमतें बढऩे की कोई ठोस वजह नहीं है क्योंकि फसल खराब होने की भी खबरें नहीं आई है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि इस सीजन में प्याज की फसल ठीक-ठाक रहेगी, लेकिन अभी भी कीमतें बढ़ रही हैं। एनएचडीआरएफ के मुताबिक, देश में खपत और निर्यात के लिए प्याज की सालाना मांग 157 लाख टन है। इस बीच, रिजवी एक्सपोट्र्स के युसूफ रिजवी ने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी की प्रमुख वजह निर्यात मांग में आई तेजी है। विशेषज्ञों को हालांकि लगता है कि परिपक्वता से पहले उत्पादित प्याज का जीवनकाल कम होता है और इसके परिणामस्वरूप ज्यादा बर्बादी होती है। ज्यादा प्याज बर्बाद होने से अगले सीजन में प्याज की ज्यादा किल्लत हो सकती है। (BS Hindi)

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