26 अक्तूबर 2012
ग्वार गम के निर्यात में 580 फीसदी की जोरदार बढ़त
आर एस राणा नई दिल्ली
चालू वित्त वर्ष 2012-13 के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त) के दौरान ग्वार गम के निर्यात में मूल्य के हिसाब से 580.36 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। चालू वित्त वर्ष 2012-13 के अप्रैल से अगस्त के दौरान 19,869.89 करोड़ रुपये मूल्य का ग्वार गम का निर्यात हुआ है।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खाड़ी देशों के साथ-साथ अमेरिका और यूरोप की मांग बढऩे से ग्वार गम पाउडर के निर्यात में चालू वित्त वर्ष में भारी बढ़ोतरी हुई है।
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में ही ग्वार गम का निर्यात मूल्य के हिसाब से 580.36 फीसदी बढ़कर 19,869.89 करोड़ रुपये का हो गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में 2,920.49 करोड़ रुपये मूल्य का ग्वार गम का निर्यात हुआ था। एपीडा के अनुसार वित्त वर्ष 2011-12 में ग्वार गम का कुल निर्यात 7.06 लाख टन का हुआ था जो वित्त वर्ष 2010-11 के 4.41 लाख टन से ज्यादा था।
टिकू राम गम एवं केमिकल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर विपिन अग्रवाल ने बताया कि उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड की नई फसल की आवक शुरू हो गई है तथा चालू सीजन में ग्वार सीड का उत्पादन पिछले साल से बढऩे की संभावना है।
इसलिए महीने भर से निर्यात सौदों में कमी आई है। आयात नई फसल को देखते हुए नए आयात सौदे सीमित मात्रा में कर रहे हैं। नवंबर महीने में पैदावार की स्थिति साफ होने के बाद निर्यात सौदों में तेजी आने की संभावना है
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ग्वार सीड और ग्वार गम में वायदा कारोबार सभी पक्षों की राय के बाद ही लिया जाएगा। चालू साल के फरवरी-मार्च में ग्वार और ग्वार गम की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी, जिसके बाद सरकार ने 22 मार्च 2012 को इसके वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। मार्च महीने में उत्पादक मंडियों में ग्वार गम का दाम बढ़कर एक लाख रुपये प्रति क्विंटल और ग्वार सीड का दाम 33,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया था। वर्तमान में उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड का दाम 10,200 रुपये और ग्वार गम का 28,500 रुपये प्रति क्विंटल है।
हरियाणा ग्वार गम एंड केमिकल के डायरेक्टर सुरेंद्र सिंघल ने बताया कि नए सीजन में ग्वार की पैदावार बढ़कर 1.75 से 2 करोड़ बोरी (एक बोरी-एक क्विंटल) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल पैदावार करीब 1.50 करोड़ बोरियों की हुई थी। राजस्थान तथा हरियाणा की उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक 20,000 से 22,000 बोरियों की हो रही है। नवंबर में आवक बढ़कर एक लाख बोरी दैनिक की हो जाएगी। (Business Bhaskar.....R S Rana)
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