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22 अक्टूबर 2012

यूरिया में उछाल की मांग पर जेना ने उठाया सवाल

उपभोक्ताओं की संवेदनशील प्रकृति (किसानों) के चलते देश में उर्वरक क्षेत्र की छवि नीतिगत अकर्मण्यता की है। हाल के वर्षों में उर्वरकों की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है, जिसकी वजह से सरकार ज्यादा खपत वाले उर्वरक यूरिया को डी-रेग्युलेट करने के प्रति सतर्क है। बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में रसायन व उवर्रक राज्य मंत्री श्रीकांत जेना ने यूरिया की कीमतें बढ़ाने की उद्योग की मांग और इसके नजरिये पर सवाल उठाया और कहा कि यूरिया का डी-रेग्युलेशन एक विकल्प है और इसे तभी आजमाया जाएगा जब देश की सभी यूरिया इकाइयां गैस आधारित हो जाएंगी। हाल के हफ्तों में उर्वरक उद्योग ने सुधार में खुद के हिस्से की मांग की है और वह मांग है यूरिया की कीमतों में 40 फीसदी तक के इजाफे की। फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन और कोरोमंडल इंटरनैशनल लिमिटेड के चेयरमैन ए वेल्लयन ने हाल में यूरिया की कीमतें कम से कम 40 फीसदी बढ़ाने की मांग की है। जेना ने इस मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उद्योग को किस तरह फायदा होगा जब यूरिया की कीमतें बढ़ाई जाएंगी? उन्होंने कहा कि देश भर में यूरिया उद्योग की तरह दूसरा कोई उद्योग सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा उद्योग है जो उत्पादन लागत पर सीधे-सीधे 12 फीसदी मुनाफा हासिल करता है। उद्योग के अधिकारियों ने हालांकि कहा कि सरकार की तरफ से मिलने वाले वास्तविक मुनाफे का आकलन भारांकित औसत के आधार पर होता है।। जिसका मतलब यह हुआ कि अगर प्लांट की क्षमता कम है तो इसका मुनाफा भी घटेगा। लेकिन अगर किसी प्लांट की क्षमता अच्छी है तो इसका मुनाफा 12 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। साथ ही फिक्स्ड कॉस्ट का आकलन साल 2002 की कीमतों के आधार पर होता है। जेना ने कहा, अगर मिट्टी की सेहत और संतुलित उर्वरक के इस्तेमाल का मामला उठाया जाएगा तो यह बेहतर साबित होगा। (BS Hindi)

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