13 अक्टूबर 2012
काली मिर्च में अल्पावधि का निवेश देगा लाभ
फायदे का सौदा
वैश्विक और घरेलू स्तर पर काली मिर्च का स्टॉक कम होने के कारण हाजिर बाजार में काली मिर्च की कीमतों में तेजी दर्ज की जा रही है।
घरेलू बाजार में त्योहारी सीजन की मांग को देखते हुए अभी कीमतें मजबूत ही रहने की संभावना है। इसलिए निवेशकों के लिए काली मिर्च में अल्पावधि निवेश फायदेमंद हो सकता है। अगले सीजन में काली मिर्च के उत्पादन में बढ़ोतरी के अनुमान को देखते हुए इसके दीर्घावधि सौदों में गिरावट की संभावना है।
वायदा कारोबार में कृषि जिंसों में निवेश करने वाले निवेशक वर्तमान में काली मिर्च में खरीद से लाभ कमा सकते हैं। वैश्विक और घरेलू स्तर पर काली मिर्च के स्टॉक कम होने के कारण हाजिर बाजार में काली मिर्च की कीमतों में तेजी दर्ज की जा रही है। इसका असर वायदा कारोबार में भी कीमतों में अल्पावधि के लिए रहने की संभावना है। घरेलू बाजार में त्योहारी सीजन की मांग के कारण भी काली मिर्च की कीमतों में तेजी को समर्थन मिल रहा है।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर पिछले एक महीने में काली मिर्च की हाजिर कीमतों में तीन फीसदी की तेजी दर्ज की जा चुकी है। 12 अक्टूबर को काली मिर्च का हाजिर भाव 41,225 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया था जो शुक्रवार को 42,563 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गया। इस दौरान वायदा कारोबार में भी काली मिर्च की कीमतों में करीब 1.8 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। 12 सितंबर को काली मिर्च के अक्टूबर वायदा का भाव 43,060 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि शुक्रवार को यह बढ़कर 43,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
कर्वी कॉमट्रेड की विश्लेषक शिखा मित्तल ने बताया कि वैश्विक स्तर पर वियतनाम और घरेलू बाजार में वर्तमान में काली मिर्च के स्टॉक बहुत कम होने के कारण इसकी कीमतों में मजबूती दर्ज की जा रही है। उन्होंने बताया कि घरेलू बाजार में त्योहारी सीजन की मांग को देखते हुए अभी कीमतें मजबूत ही रहने की संभावना है। इसलिए निवेशकों के लिए काली मिर्च में अल्पावधि निवेश फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, अगले सीजन में काली मिर्च के उत्पादन में बढ़ोतरी के अनुमान को देखते हुए इसके दीर्घावधि सौदों में गिरावट की संभावना है।
इंडियाबुल्स कमोडिटीज के वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च-कमोडिटी) बदरुद्दीन ने बताया कि विदेशों में भारतीय काली मिर्च का दाम वियतनाम से अधिक होने के कारण निर्यात सौदे भी कम हो रहे हैं। निर्यात में कमी के कारण कीमतों में लंबी अवधि के दौरान नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि आपूर्ति में कमी के कारण हाजिर बाजार में कीमतों में तेजी का असर काली मिर्च की वायदा कीमतों पर अल्पावधि में देखने को मिलेगा।
इसके अलावा वर्तमान में निवेशक इंटरनेशनल पेपर कम्यूनिटी (आईपीसी) की अक्टूबर के अंत में होने वाली बैठक का भी इंतजार कर सकते हैं। क्योंकि इसके बाद ही वैश्विक स्तर पर काली मिर्च के उत्पादन और मांग के सही अनुमान के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
दिल्ली के थोक कारोबारी महेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि फिलहाल काली मिर्च के स्टॉक कम होने के कारण कीमतों में तेजी दर्ज की जा रही है। उन्होंने बताया कि निर्यात मांग में कमी के कारण कीमतों में अधिक तेजी दर्ज नहीं की जा रही है। अनुमान के मुताबिक आगामी सीजन में काली मिर्च का उत्पादन 50,000 टन रहने की संभावना है।
जिससे भविष्य में कीमतें कम हो सकती हैं। लेकिन वर्तमान में आपूर्ति में कमी और त्योहारी सीजन की मांग को देखते हुए कीमतों में तेजी जारी रहने के संकेत हैं। भारतीय मसाला बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के अप्रैल महीने में काली मिर्च के निर्यात में 47 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इस दौरान 1,200 टन ही काली मिर्च का निर्यात किया गया। (Business Bhaskar)
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