22 अक्तूबर 2012
मांग की आंच से उबलने लगी दाल
खरीफ सीजन में दलहन के कम उत्पादन का असर अब कीमतों पर दिखाई देने लगा है। अक्टूबर में दालों की कीमतों में 15 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। देश में दालों की बढ़ती मांग की वजह से इस साल दलहन में तेज उछाल की आशंका अभी से जताई जाने लगी है। माना जा रहा है कि इस त्योहारी सीजन में कीमतें और 10 फीसदी तक बढ़ सकती है।
खरीफ सीजन में रकबे में आई कमी और कमजोर उत्पादन का सबसे ज्यादा असर मूंग और चने पर पड़ा है। इस महीने की शुरुआत में चना 4225 रुपये प्रति क्ंिवटल बिक रहा था, जो बढ़कर 4940 रुपये प्रति क्ंिवटल हो गया है। मूंग की कीमतें तो पिछले 30 महीनों का रिकॉर्ड तोड़कर 5700 रुपये प्रति क्ंिवटल के पार पहुंच चुकी है। बाजार के जानकारों की मानी जाए तो चालू त्योहारी सीजन में मूंग जल्द ही 6000 रुपये प्रति क्ंिवटल और चना 5000 रुपये प्रति क्ंिवटल के पार पहुंच सकता है।
इस महीने थोक बाजार में चना दाल की कीमतें करीब 16 फीसदी बढ़कर 7000 रुपये प्रति क्ंिवटल, मूंग दाल करीब 8 फीसदी बढ़कर 7600 रुपये प्रति क्ंिवटल, मसूर दाल 4 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 6800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। हालांकि अरहर दाल 7400 रुपये प्रति क्ंिवटल और उड़द 6800 रुपये प्रति क्ंिवटल पर चल रही हैं, जिनके दामों में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।
दलहन की कीमतों आई तेजी पर ऐंजल ब्रोकिंग की वेदिका नार्वेकर का कहना है कि पिछले 15 दिनों में दलहन विशेषकर चने की कीमतों में तेज बढ़ोतरी हुई है, जिसमें मुनाफावसूली हो सकती है। लेकिन तेज त्योहारी मांग और खरीफ सीजन में कम उत्पादन के कारण बाजार में आपूर्ति कमजोर बनी रह सकती हैं, जिसके कारण कीमतों में बढ़ोतरी तय है। लेकिन ताजा खबरों के मुताबिक रबी सीजन में दलहन फसलों की अच्छी बुआई हो रही है, अगर खरीफ सीजन की भरपाई रबी सीजन में होती है तो कीमतों पर लगाम लग सकती है।
दलहन मामलों के जानकार मेहुल अग्रवाल का कहना है कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार दालों का महंगा होना तय है क्योंकि सरकार ने लगभग सभी दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है। इसके अलावा डीजल-पेट्रोल के दाम बढऩे के वजह से भाड़ा और फसलों की लागत भी बढ़ गई है। पिछले साल की अपेक्षा इस साल औसतन लागत 15 फीसदी बढ़ गई है, जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस साल दालों की कीमतों में औसतन 20-25 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
कृषि मंत्रालय से प्राप्त ताजा आंकड़ों के अनुसार खरीफ सीजन में 99.81 लाख हेक्यर क्षेत्र में दलहन की बुआई हुई थी जबकि पिछले साल इस समय तक दलहन फसलों का रकबा 108.28 लाख हेक्टेयर था। कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार इस साल खरीफ सीजन में दलहन फसलों का कुल उत्पादन में 14.6 फीसदी कमी आने की आशंका है। अनुमान के मुताबिक खरीफ सीजन 2012 में 52.6 लाख टन दलहन की पैदावार होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ सीजन में दलहन फसलों का उत्पादन 61.6 लाख टन हुआ था।
वर्ष 2011-12 के चौथे और अंतिम अनुमान में सरकार ने वर्ष 2011-12 में दलहन का उत्पादन 172.10 लाख टन होने की बात कही थी जबकि 2010-11 में दलहन का उत्पादन 182.80 लाख टन हुआ था। अनुमान के मुताबिक 2011-12 में चना का उत्पादन 75.8 लाख टन, अरहर 26.5 लाख टन, उड़द 18.3 लाख टन और मूंग 17.1 लाख टन होने की बात कही गई थी।
एसोचैम की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012-13 में देश में करीब 210 लाख टन दलहन की जरूरत होगी। जबकि दो साल पहले तक देश में दलहन की सालाना खपत करीब 180-190 लाख टन हुआ करती थी। एसोचैम के मुताबिक दालों की मांग में साल दर साल बढ़ोतरी होगी। वर्ष 2013-14 में दालों की मांग बढ़कर 214.2 लाख टन और 2014-15 में यह मांग 219.1 लाख टन तक पहुंच जाएगी। (BS Hindi)
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