10 अक्तूबर 2012
कम अनाज होगा इस साल
नई दिल्ली
कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि कुछ राज्यों में पडे़ सूखे के कारण साल 2012-13 में फसल उत्पादन में कुछ कमी आ सकती है। उन्होंने यह बात यहां मंगलवार को आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में कही। पवार का कहना था कि पिछले फसली सीजन में खाद्यान्न उत्पादन 25 करोड़ 74.4 लाख टन था। इस बार इसमें करीब 1.4 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।
कृषि मंत्री ने कहा कि इस साल मॉनसून की गड़बड़ी के कारण खरीफ फसलों के उत्पादन में जो कमी आएगी उसे रबी फसलों का उत्पादन बढ़ाकर पूरा करने की कोशिश की जाएगी और देश में अनाज की कमी नहीं रहेगी। इस बार कम बारिश के कारण कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के 360 से अधिक तालुके सूखे की चपेट में आ गए हैं। पवार का कहना था कि अगस्त और सितंबर में हुई अच्छी बारिश से अब जमीन में काफी नमी है। इसका फायदा रबी फसलों को होगा। पिछले दो फसली बरस में देश में रिकॉर्ड कृषि उत्पादन हुआ। इसके कारण भारत एक करोड़ टन चावल और 25-25 लाख टन चीनी और गेहूं का निर्यात करने में सफल रहा। खाद्यान्न का बफर स्टॉक करीब 2.12 करोड़ टन होना चाहिए। अभी केंद्रीय पूल में करीब सात करोड़ टन खाद्यान्न है।
किसानों की आत्महत्या : पवार ने कहा कि सरकार की ओर से उठाए गए विभिन्न कदमों के कारण कृषि संबंधी कारणों से जान देने वाले किसानों की संख्या में काफी कमी आई है। 2006 में जहां 1035 किसानों ने आत्महत्या की, वहीं पिछले साल यह संख्या 480 थी।
एफडीआई : पवार ने मल्टी ब्रैंड रिटेल में एफडीआई का स्वागत करते हुए कहा कि इससे किसानों को बेहतर कीमतें मिलेंगी और उपभोक्ताओं को कम कीमत में बेहतर सामान मिलेगा। विदेशी निवेश के कारण कृषि क्षेत्र को विकसित करने में भी मदद मिलेगी।
आयात-निर्यात नीति : पवार ने कहा कि कृषि के मामले में हमें एक दीर्घकालिक आयात-निर्यात नीति की जरूरत है। इस मामले में उतार-चढ़ाव से देश की साख पर फर्क पड़ता है।
जीएम फसलें : कृषि मंत्री ने कहा कि मैं जीएम फसलों के मामले में पूरी एहतियात के साथ आगे बढ़ने का पक्षधर हूं। बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्यान्न के मामले में चुनौतियां बढ़ रही हैं। नए विकल्पों पर विचार करना होगा, मगर सबसे पहले जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा है।
कृषि भूमि का अधिग्रहण रुके : पवार ने देश में तेजी से घटती कृषि भूमि पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि खेती की जमीन का उद्योगों की स्थापना और आवासीय परियोजनाएं वगैरह बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। इसके लिए बंजर जमीन का प्रयोग किया जाना चाहिए। यदि किसी भी जमीन पर एक या दो फसलें भी होती हों तो उसका अधिग्रहण नहीं होना चाहिए। सरकार का मंत्री समूह इस मसले पर जल्द ही फैसला करेगा। मंत्री समूह की सोमवार को ही बैठक हुई थी, लेकिन कृषि भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगाने के सवाल पर एक राय कायम नहीं हो पाई।
पवार ने कहा कि खेती की जमीन का उद्योगों , आवासीय परियोजनाओं या अन्य कामों के लिए उपयोग बहुत ही अपरिहार्य हालात में अधिग्रहण होना चाहिए। गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण , पुनर्वास और पुनर्स्थापन विधेयक 2011 को पिछले साल सितंबर में संसद में पेश किया गया था। संसद ने इसे स्थायी समिति के पास भेज दिया , जिसने मई में अपनी सिफारिशें सौंप दीं। इन सिफारिशों पर मंत्री समूह विचार कर रहा है। (Navbharat)
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