17 अक्तूबर 2012
भू-अधिग्रहण विधेयक का रास्ता साफ
मसौदे का प्रावधान - पीपीपी और निजी परियोजनाओं के लिए भूमि का अधिग्रहण तभी होगा, जब जमीन गंवाने वाले दो-तिहाई लोग भर देंगे हामी
पहले क्या था - मूल प्रस्ताव में यह प्रावधान था कि भूमि गंवाने वाले 80 फीसदी लोगों से सहमति मिलने के बाद ही भूमि अधिग्रहण हो
एक और बाधा खत्म - पिछली तारीख से प्रभावी होने वाला कोई प्रावधान नहीं है अंतिम मसौदे में, भू-अधिग्रहण को कानूनन प्रभावी बनाने के लिए तय की जाएगी कट-ऑफ डेट विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने में कोई अड़चन नहीं
लंबे समय से अटके पड़े विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक का रास्ता अब जाकर साफ हुआ है। मंगलवार को तमाम मतभेद खत्म कर मंत्री समूह (जीओएम) ने इस विधेयक को हरी झंडी दिखा दी। इसके साथ ही भूमि अधिग्रहण विधेयक को पहले कैबिनेट और फिर संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने में अब कोई अड़चन नहीं रह गई है।
सूत्रों के मुताबिक भूमि अधिग्रहण विधेयक के अंतिम मसौदे में यह प्रावधान है कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) वाली परियोजनाओं के साथ-साथ निजी परियोजनाओं के लिए भूमि का अधिग्रहण तभी हो पाएगा, जब जमीन गंवाने वाले दो-तिहाई लोग इसके लिए हामी भर देंगे। यहां पर जमीन गंवाने वाले लोगों से आशय उन व्यक्तियों से है जिनसे कोई भूमि खरीदी जानी है। सूत्रों ने बताया कि इस विधेयक के अंतिम मसौदे में पिछली तारीख से प्रभावी होने वाला कोई प्रावधान नहीं है।
इसका मतलब यही है कि पहले हो चुके भूमि अधिग्रहण इस विधेयक के प्रावधानों से प्रभावित नहीं होंगे। सूत्रों के मुताबिक भूमि अधिग्रहण को कानूनन प्रभावी बनाने के लिए एक खास तारीख (कट-ऑफ डेट) तय की जाएगी जिसके बारे में बाद में निर्णय लिया जाएगा। उपर्युक्त मुद्दों पर जीओएम में तीखे मतभेद देखे जा रहे थे। अनेक मंत्री पिछली तारीख से भूमि अधिग्रहण विधेयक के प्रावधानों को लागू किए जाने के पक्ष में नहीं थे।
इसके अलावा भूमि गंवाने वाले 80 फीसदी लोगों से सहमति मिलने के बाद ही किसी जमीन के अधिग्रहण का रास्ता साफ माने जाने के पक्ष में भी कई मंत्री नहीं थे। कृषि मंत्री एवं उपर्युक्त जीओएम के प्रमुख शरद पवार ने तकरीबन एक घंटे चली बैठक के बाद कहा, 'भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है।'
इस बैठक के दौरान 'उचित मुआवजा का अधिकार, पुनर्वास एवं भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता' विधेयक पर विचार-विमर्श किया गया। पवार ने यहां 14 सदस्यीय जीओएम की तीसरी बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया, 'भूमि अधिग्रहण विधेयक से जुड़े उन सभी मुद्दों पर कुछ हद तक सहमति हो गई है जिन पर मंत्रियों की अलग-अलग राय थी।' (Business Bhaskar)
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