11 अक्तूबर 2012
ईरान को गेहूं निर्यात की उम्मीद और बढ़ी
केंद्रीय खाद्य मंत्री के. वी. थॉमस ने कहा है कि ईरान जल्दी ही भारतीय गेहूं का क्वालिटी मसला सुलझा लेगा और आयात शुरू कर देगा। दिसंबर-जनवरी तक ईरान को करीब दो लाख टन गेहूं निर्यात होने की संभावना है।
मंत्री ने बताया कि हमारे अधिकारी हाल में तेहरान का दौरा करके लौटे हैं। उन्हें बताया गया है कि करनाल बंट (फंफूदी की बीमारी) का मसला जल्दी ही सुलझा लिया जाएगा। यह उनका आंतरिक मसला है और जल्दी ही वे इसका समाधान खोज लेंगे। थॉमस के अनुसार ईरान शुरू में 325 डॉलर प्रति टन के भाव पर करीब दो लाख टन गेहूं खरीदने का इच्छुक है। यह गेहूं दिसंबर-जनवरी के बीच सप्लाई हो सकता है।
खाद्य मंत्री ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारा गेहूं स्वीकार्य है। भारत से दुनिया के 25 देशों को गेहूं निर्यात किया जाता है। अगर ईरान गेहूं खरीदना चाहता है तो उन्हें क्वालिटी का मसला अपने स्तर पर सुलझाना होगा। भारत से आयात करने के बारे में फैसला उन्हें करना है।
अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों द्वारा परमाणु कार्यक्रम को लेकर लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंधों के चलते ईरान पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है। वह भारत के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ाना चाहता है, खासकर वह द्विपक्षीय भुगतान समझौते के तहत खाद्यान्न आयात करना चाहता है। गेहूं का निर्यात भारत में यूको बैंक के जरिये किया जाएगा।
भारत से ईरान के समक्ष 340 डॉलर प्रति टन (शिपमेंट खर्च सहित) का निर्यात भाव ऑफर किया है। यह गेहूं कांडला और मुंदड़ा पोर्ट से भेजा जाएगा। इसमें करनाल बंट बीमारी से प्रभावित 0.25 फीसदी गेहूं स्वीकार्य होगा। ईरान 1996 से भारतीय गेहूं का आयात नहीं कर रहा है। उसने क्वालिटी के आधार पर गेहूं का आयात रोका था। (Business Bhaskar)
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