16 अक्तूबर 2012
नेचुरल रबर के आयात में रिकॉर्ड बढ़ोतरी होने की संभावना
चालू वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान नेचुरल रबर का आयात रिकॉर्ड स्तर पर 22.5 फीसदी बढऩे की संभावना है। घरेलू और विदेशी बाजारों में रबर के मूल्य में भारी अंतर होने के कारण टायर निर्माता कंपनियां जमकर आयात कर रही हैं।
देश में नेचुरल रबर उत्पादन का पीक सीजन होने के बावजूद कंपनियां खूब आयात कर रही हैं। आमतौर पर दुनिया के चौथे सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में अक्टूबर से मार्च के दौरान रबर का आयात कम हो जाता है। इस अवधि में मौसम अनुकूल होने के कारण रबर की टेपिंग अच्छी हो जाती है और उत्पादन सुधर जाता है।
उद्योग के जानकारों के मुताबिक इस साल पहली छमाही में 23.5 फीसदी ज्यादा रबर का आयात होने के बावजूद टायर निर्माता आयात के नए सौदे कर रहे हैं क्योंकि घरेलू बाजार में रबर का भाव विदेश के मुकाबले ज्यादा है। टायर निर्माताओं का अनुमान है कि जल्दी ही रबर के दाम बढ़ सकते हैं। इंडियन रबर डीलर्स फेडरेशन के प्रेसीडेंट जॉर्ज वेली ने बताया कि टायर निर्माता ने पिछले सितंबर के दौरान आयात के लिए कई सौदे किए।
सितंबर में रबर के दाम विदेश में करीब 45 रुपये प्रति किलो कम चल रहे थे। सोमवार को भारत के कोट्टायम ने सबसे ज्यादा बिकने वाली आरएसएस-4 रबर के दाम 18,500 रुपये (350 डॉलर) प्रति क्विंटल रहे। जबकि मलेशिया की एसएमआर-20 रबर के दाम 15,649 रुपये प्रति क्विंटल थे। भारतीय टायर निर्माता ज्यादातर इसी किस्म की रबर की खरीद करते हैं। भारत में मलेशिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया से रबर की खरीद की जाती है।
कोचीन रबर मर्चेंट्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व कारोबारी एन. राधाकृष्णन ने कहा कि मूल्यों में अंतर काफी ज्यादा है। इस वजह से आयात शुल्क लगने के बाद भी विदेशी रबर सस्ती पड़ रही है। ऐसे में आगामी महीनों में भी टायर निर्माताओं की ओर से रबर का आयात जारी रहेगा। विदेश से खरीद करके वे अच्छी बचत कर रहे हैं। रबर के आयात पर 20 रुपये प्रति किलो या 20 फीसदी (जो भी कम हो) शुल्क लगता है। (Business Bhaskar)
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