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10 अक्टूबर 2012

कृषि उत्पादों के लिए बन रही है टिकाऊ आयात-निर्यात नीति

कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि कृषि उत्पादों की आयात-निर्यात नीति में बार-बार बदलाव से वैश्विक कारोबारी साझेदार के तौर पर भारत की छवि को धक्का पहुंच रहा है, लिहाजा सरकार इन उत्पादों के लिए लंबी अवधि की आयात-निर्यात नीति पर काम कर रही है। पवार ने मंगलवार को कहा, इस नीति का विलय वस्तुत: देसी मांग को पूरा करने वाले कृषि समुदाय के हितों के साथ हो जाएगी, जिसकी चर्चा संबंधित मंत्रालयों से की जा चुकी है। आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में पवार ने कहा, पिछले कुछ सालों में हमने गेहूं व चावल के मामले में सतत निर्यात व आयात नीति बनाए रखने की कोशिश की है और आने वाले सालों में हम दूसरी फसलों के मामले में भी इसे जारी रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि नीति के तहत देश में खाद्यान्न की किल्लत के समय बिना किसी अवरोध के आयात की अनुमति दी जानी चाहिए, वहीं अतिरिक्त उपलब्धता की स्थिति में मुक्त निर्यात की अनुमति होनी चाहिए। बाद में संवाददाताओं से बात करते हुए खाद्य मंत्री के वी थॉमस (जिनका मंत्रालय ऐसी नीति बनाने में सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है) ने कहा, आयात या निर्यात को कुछ हद तक सीमित करने या न्यूनतम रकम तय करने पर विचार हो रहा है। अधिकारियों ने कहा, खाद्य मंत्री जल्द ही कृषि मंत्री और वाणिज्य मंत्री से मुलाकात करने वाले हैं और इस मुलाकात में कृषि जिंसों के निर्यात को बनाए रखने वाले नीतिगत मसौदे पर चर्चा होगी। इस बीच, एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए पवार ने कहा, सार्वजनिक उद्देश्य के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण अपवाद के तौर पर ही होना चाहिए। भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह के प्रमुख पवार ने कहा कि कृषि मंत्रालय का मानना है कि बहुफसली जमीन और निश्चित तौर पर कम से कम एक फसल देने वाली जमीन का अधिग्रहण सार्वजनिक मकसद के लिए नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, अगले कुछ दिनों में विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा और इसमें हम सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे अधिग्रहण को रोकने का प्रावधान इसमें हो। मंत्री की टिप्पणी ईजीओएम की बैठक के एक दिन बाद आया है, जो कुछ मसलों पर सदस्यों के मतभेद के चलते बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई थी। साल 2012-13 में खाद्यान्न उत्पादन के बारे में पवार ने कहा, पिछले वर्ष के रिकॉर्ड 25.74 करोड़ टन के मुकाबले इस साल उत्पादन कम होगा। लेकिन अनाज की उपलब्धता घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी। पिछले महीने कृषि मंत्रालय ने कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के 360 तालुके में सूखा पडऩे और कमजोर बारिश के चलते खरीफ के खाद्यान्न उत्पादन में 10 फीसदी की गिरावट का अनुमान जताते हुए कुल उत्पादन 11.71 करोड़ टन रहने की बात कही थी। मंत्री ने यह भी कहा कि सूखे पर अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह कृषि ऋण माफी या राहत पर तब फैसला करेगा जब ऐसी परिस्थितियां सामने आएंगी। अरहर की जीनोम श्रृंखला पढऩे कामयाबी देश में दाल उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों में एक संभावित बड़ी उपलब्धि के तहत भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने अपने बलबूते अरहर की 'जीनोम' की पूर्ण व्याख्या कर ली है, जिससे दलहन की इस मुख्य फसल की उन्नत प्रजातियों के विकास और पादप संरक्षण के नए उपाय करने में मदद मिलेगी। (BS Hindi)

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