11 अक्तूबर 2012
ज्यादा चाय खरीदारों की पहुंच में होगी ई-नीलामी
मौजूदा समय में विभिन्न नीलामी केंद्रों पर हो रही चाय की ई-नीलामी में तकनीकी अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है, बावजूद इसके भारतीय चाय बोर्ड ने ई-नीलामी के मॉडल की पहुंच पूरे देश में करने का फैसला किया है। इस तरह से देश के दूसरे इलाकों में मौजूद चाय के खरीदार भी चाय की खरीद के लिए ऑनलाइन बोली लगा सकेंगे।
चाय बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक, ई-नीलामी की पहुंच देश भर में होने से नीलामी केंद्र से दूर रहने वाले खरीदारों को फायदा मिलेगा। तकनीकी साझेदार से इस बाबत बातचीत शुरू हो गई है ताकि सॉफ्टवेयर में जरूरी बदलाव किया जा सके और कामकाज में किसी तरह का अवरोध न हो।
भारतीय चाय बोर्ड के वित्तीय सलाहकार और मुख्य लेखा अधिकारी राजीव रॉय ने कहा, 'कॉन्सेप्ट पेपर तैयार हो गया है और सॉफ्टवेयर में जरूरी बदलाव के लिए हम आईटी टीम से बातचीत कर रहे हैं ताकि देश के किसी भी हिस्से से चाय की ऑनलाइन खरीद की जा सके। हमें उम्मीद है कि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी ई-नीलामी जनवरी 2013 से शुरू हो जाएगी।'
रॉय ने कहा, इससे बोली लगाने वाले दूसरे इलाकों केलोगों की भागीदारी बढ़ेगी। एक ओर जहां चाय की बिक्री में बहुत ज्यादा उछाल नहीं भी आ सकती है, वहीं इससे चाय विक्रेताओं को ज्यादा रकम मिल सकेगी। दूसरी ओर दूसरे इलाके के खरीदारों की पहुंच विभिन्न तरह की चाय तक हो जाएगी। उन्होंने हालांकि कहा कि मौजूदा ई-नीलामी केंद्रों में पहले ही तरह काम होता रहेगा। देश में चाय नीलामी के सात केंद्र हैं और इनमें से चार कोलकाता, गुवाहाटी, सिलिगुड़ी और नई जलपाईगुड़ी में स्थित है। जबकि तीन केंद्र कोच्चि, कोयंबटूर और कन्नूर में हैं। इन नीलामी केंद्रों पर औसत कारोबार 200-300 किलोग्राम चाय का होता है। यहां इस बात का उल्लेख जरूरी है कि साल 2009 में ई-नीलामी शुरू होने के बाद इस व्यवस्था की चाय कारोबारियों ने आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इसमें पारदर्शिता का अभाव है, बार-बार लिंक फेल हो जाता है और खरीद चक्र में अवरोध के चलते वित्तीय नुकसान होता है।
वेस्टर्न इंडिया टी डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और बाघ-बकरी ग्रुप के चेयरमैन पियुष देसाई ने कहा, 'हाल में कोलकाता में 3 अक्टूबर को होने वाली ई-नीलामी तकनीकी अवरोध के चलते एक हफ्ते टाल दी गई थी। इससे एक बार फिर साबित हुआ है कि ई-नीलामी के जरिए होने वाली चाय की नीलामी की व्यवस्था संतोषजनक नहीं है।' देसाई ने आरोप लगाया कि इस कैलेंडर वर्ष में नीलामी शुरू होने के बाद कई बार तकनीकी दिक्कतें आई हैं।
उद्योग के जानकारों के मुताबिक, बार-बार होने वाली तकनीकी दिक्कतों से खरीदारों की खरीद का चक्र बाधित होता है और उनकी खरीद लागत भी बढ़ जाती है। कोलकाता के एक चाय कारोबारी ने कहा, कुछ नीलामी केंद्रों पर लिंक का फेल होना सामान्य बात हो गई है और लिंक के बहाल होने तक खरीदारों को इंतजार करने पर मजबूर होना पड़ता है और इस तरह से पूरा दिन बर्बाद हो जाता है। इससे आपूर्ति में अनिश्चितता पैदा होता है और कीमतें भी बढ़ती हैं। गुवाहाटी के एक अन्य कारोबारी ने कहा, खरीदार किसी खास लॉट, कीमत और गुणवत्ता का ऑर्डर देते हैं, जिसमें देरी होती है। इसी तरह विक्रेता की तरफ से भी प्राप्ति में देरी होती है और इससे मजदूरों व गोदामों की लागत आदि का भुगतान प्रभावित होता है। ई-नीलामी में सालाना कम से कम 3-4 बार लिंक फेल होता है।
ज्यादातर कारोबारी ई-नीलामी को और बेहतर बनाने की मांग कर रहे हैं। देसाई ने कहा, चाय के खरीदार ई-नीलामी पर संसद की स्थायी समिति की अंतिम रिपोर्ट के लागू होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। शांता कुमार की अगुआई वाली इस समिति ने ई-नीलामी के संचालन की आलोचना की है और इस व्यवस्था की समीक्षा का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि जल्द ही इस मुद्दे पर काम होगा। चाय कारोबारियों के आरोपों पर चाय बोर्ड ने कहा कि नीलामी केंद्रों पर सीमित बुनियादी ढांचे के चलते ही मुख्य रूप से लिंक फेल होता हा। हम ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन लगा रहे हैं और इसके साथ दोहरा लीज लाइन कनेक्शन भी है। यह अक्टूबर के आखिर से लागू हो जाएगा और हमें उम्मीद है कि लिंक फेल होने के मुद्दे से हम बाहर निकल जाएंगे। बोर्ड के अधिकारी ने कहा, यह संबंधित केंद्र की जिम्मेदारी है कि वह ई-नीलामी की व्यवस्था के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे का इंतजाम करे।a (BS Hindi)
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