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06 अक्तूबर 2012

एक करोड़ टन चावल निर्यात का अनुमान

पिछले सितंबर में समाप्त हुए मार्केटिंग वर्ष 2011-12 के दौरान भारत से चावल का जोरदार निर्यात किया गया। विश्व बाजार में अच्छी मांग और भारतीय चावल की कीमत कम होने की वजह से कुल एक करोड़ टन चावल का निर्यात होने का अनुमान है। चार साल के अंतराल के बाद भारत ने सितंबर 2011 में गैर बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दी थी। हालांकि बासमती चावल का निर्यात बदस्तूर जारी रहा था। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) के अनुसार भारत से चावल का निर्यात पिछले अनुमान के मुकाबले 20 लाख टन ज्यादा रहने का अनुमान है। यूएसडीए की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी कारोबार जानकारी के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत के कुल निर्यात एक करोड़ टन का आंकड़ा छू सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्केटिंग वर्ष 2011-12 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान भारत से करीब 82 लाख टन चावल का निर्यात होने का अनुमान है। इसमें से 55 लाख टन गैर बासमती और 27 लाख टन बासमती चावल शामिल है। अगर मान लिया जाए कि काकीनाडा में पड़ा चावल निर्यात नहीं हो पाता है तो भी आखिरी तिमाही जुलाई-सितंबर के दौरान 18 लाख टन चावल का निर्यात हो जाएगा। इस तरह कुल मिलाकर निर्यात का आंकड़ा एक करोड़ टन का आंकड़ा पार कर जाएगा। यूएसडीए ने व्यापारियों सूत्रों के हवाले से बताया है कि जुलाई से सितंबर के बीच बासमती व गैर बासमती चावल का निर्यात अच्छा रहा क्योंकि विदेशी मांग मजबूत थी और डॉलर के मुकाबले रुपया भी करीब स्थिर ही रहा। भारतीय चावल के पक्ष में सबसे अहम तथ्य यह है कि भारतीय गैर बासमती चावल विश्व बाजार में काफी सस्ता है। सितंबर के आखिरी सप्ताह में भारत का कॉमन वैरायटी का चावल 375 से 450 डॉलर प्रति टन (एफओबी) के बीच रहा। यूएसडीए की रिपोर्ट के अनुसार अप्रत्याशित रूप से मजबूत निर्यात मांग होने के कारण पूर्वी तट काकीनाडा पर व्यस्तता काफी ज्यादा बढ़ गई है। रिपोर्ट हैं कि इस पोर्ट पर इस समय निर्यात के लिए करीब छह लाख टन चावल पड़ा है। यूएसडीए को उम्मीद है कि भारत चावल निर्यात की मौजूदा नीति को जारी रखेगी क्योंकि देश में उपलब्धता मांग से कहीं ज्यादा है और सरकारी गोदाम भरे हुए हैं। (Business Bhaskar)

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