04 अक्तूबर 2012
यूरिया की कीमत में वृद्धि को उर्वरक कंपनियों का समर्थन
कॉरपोरेट राय
यूरिया की कीमत बढऩे से मिट्टी की पौष्टिकता सुधरेगी
दूसरे उर्वरकों से काफी सस्ती होने से यूरिया का अंधाधुंध उपयोग
कंपनियां चाहती हैं एनबीएस में लाया जाए यूरिया को
इससे उन्हें कीमत निर्धारण की मिल जाएगी पूरी आजादी
फर्टिलाइजर कंपनियों ने यूरिया के मूल्य में बढ़ोतरी करने के केलकर कमेटी के सुझाव का समर्थन किया है। कंपनियों का कहना है कि इससे मिट्टी में पौष्टिक तत्वों का संतुलन सुधरेगा और सरकार को सब्सिडी का भार कम करने में भी मदद मिलेगी।
प्रमुख फर्टिलाइजर कंपनियों इफको, जुआरी, टाटा केमिकल्स और कॉरोमंडल ने कहा है कि यूरिया के दाम बढ़ाने समय की मांग है। इससे यूरिया और फॉस्फेट व पोटाश आधारित फर्टिलाइजरों की कीमत के बीच का अंतर कम होगा। वित्त आयोग के पूर्व प्रमुख विजय केलकर की अगुवाई में वित्तीय संतुलन की योजना बनाने के लिए गठित कमेटी ने कहा है कि फर्टिलाइजर सब्सिडी के मामले में सुधार के कदम उठाना बहुत जरूरी है। सरकार को यूरिया के मूल्य में बढ़ोतरी करनी चाहिए।
कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार यूरिया के दाम बढ़ाने से न सिर्फ सब्सिडी का बोझ कम होगा बल्कि देश में फर्टिलाइजर के उपभोग में पैदा हुए असंतुलन को ठीक करने में भी मदद मिलेगी। मिट्टी की गुणवत्ता और कृषि उत्पादकता में दीर्घकालिक सुधार लाने के लिए यह कदम उठाना बहुत जरूरी है।
देश की सबसे बड़ी कोऑपरेटिव सेक्टर की फर्टिलाइजर कंपनी इफको के मैनेजिंग डायरेक्टर यू. एस. अवस्थी ने कहा कि यूरिया के दाम बढ़ाने से मिट्टी की उत्पादकता सुधरेगी और इसका दुरुपयोग रुकेगा।
इस समय यूरिया 5.30 रुपये प्रति किलो बिक रही है जबकि कॉमन साल्ट भी 12 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। यूरिया के दाम इतने कम है कि इसके ज्यादा इस्तेमाल से मिट्टी की पौष्टिकता प्रभावित हो रही है। एक अन्य फर्टिलाइजर कंपनी कॉरोमंडल इंटरनेशनल के मैनेजिंग डायरेक्टर कपिल मेहन ने कहा कि सुधार का यह कदम काफी पहले ही उठाया जाना चाहिए था। यह सही दिशा में कदम होगा। हमें इस दिशा में कदम उठाना चाहिए और पीएंडके उर्वरकों के बीच इसका अंतर कम करना चाहिए। (Business Bhaskar)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें