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04 अक्टूबर 2012

गेहूं का रकबा पूर्ववत रहने पर भी पैदावार में कमी का अंदेशा

चालू माह के अंतिम सप्ताह में शुरू होगी गेहूं की बुवाई सर्दियों में रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई इस महीने के अंत में शुरू हो जाएगी। एक सरकारी रिसर्च संगठन का अनुमान है कि इस साल रबी सीजन में गेहूं का रकबा पिछले साल के बराबर करीब 299 लाख हैक्टेयर रह सकता है। हालांकि उत्पादन पिछले साल के मुकाबले कम रहने का अनुमान है। इस साल मानसून पिछले साल जैसे बढिय़ा नहीं रहा। पिछले साल अच्छा मानसून रहने की वजह से गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। इस साल मानसून शुरू में कमजोर रहा था। हालांकि लेट मानसूनी बारिश अच्छी रही। करनाल में गेहूं अनुसंधान निदेशालय की प्रोजेक्ट डायरेक्टर इंदु शर्मा ने बताया कि इस साल गेहूं के रकबा में हो सकता है कि कोई घट-बढ़ न हो। इस साल रकबा 299 लाख टन के आसपास ही रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि फसलों में विविधीकरण की संभावना कम होने के कारण ही गेहूं का रकबा अपरिवर्तित रहेगा। शर्मा के अनुसार वर्षा सिंचित क्षेत्रों में, जहां लेट मानसून की बारिश से मिट्टी को अच्छी नमी मिली है, अक्टूबर के अंत से गेहूं की बुवाई शुरू हो जाएगी। यह बुवाई सही समय पर होगी। कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मध्य भारत में पर्याप्त नमी वाले क्षेत्रों में अगैती बुवाई के लिए किसानों को पुसाबहार, मलवरतना, अमृता, हर्षिता, मेघदूत, अमर और स्वप्निल किस्मों के बीज इस्तेमाल में लेने की सलाह दी गई है। किसानों को यलो-रस्ट की प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्मों जैसे जीडब्ल्यू 322, पीबीडब्ल्यू 502 और डीबीडब्ल्यू 16 की भी बुवाई करने की सलाह दी गई है। इन किस्मों में यलो रस्ट बीमारी लगने की आशंका नहीं होगी। सरकार ने फसल वर्ष 2012-13 के रबी सीजन में 860 लाख टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है। पिछले साल देश में अच्छी बारिश होने के कारण 939 लाख टन उत्पादन हुआ था। इस साल मानसूनी बारिश कम रही। तीन दिन की देरी से सक्रिय हुए मानसूनी सीजन के दौरान जून में 28 फीसदी और जुलाई में 13 फीसदी कम बारिश हुई। हालांकि सितंबर में बारिश सामान्य से 11 फीसदी ज्यादा रही। हालांकि कुल मिलाकर बारिश की कमी सिर्फ 7 फीसदी रही। भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए मानसूनी बारिश काफी अहम है क्योंकि 60 फीसदी खेतिहर क्षेत्र सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर हैं। (Business Bhaskar)

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